उन्नाव: प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ गरीबों को दिलाने के लिए शासन स्तर से एक सूची मांगी गई थी. इस सूची का सर्वे ब्लॉक के अधिकारियों को घर- घर जाकर करने को कहा गया था. लेकिन इन अधिकारियों की लापरवाही से उन्नाव के 1400 लाभार्थियों का आवास अधर में लटक गया है. इन 1400 लाभार्थियों का नाम सूची से सिर्फ इसलिए काट दिया गया है. क्योंकि जिम्मेदारों ने इनके घर में लैंडलाइन फोन दर्शा दिया है.
प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत लाभ दिलाने के लिए केंद्र को भेजी गई थी सूची
सिर पर दुरुस्त छत तक नसीब नहीं मगर अधिकारियों की नजर में घर में बाकायदा लैंडलाइन फोन लगा है. जाड़ा, गर्मी, बरसात से बचने के लिए सहारा नहीं है, मगर सरकार को जो रिर्पोट दी गई. उसमें इन गरीबों को सुविधा संपन्न अमीर दिखाया गया. मातहतों ने ऐसा एक या दो लोगों के साथ नहीं बल्कि 1400 से अधिक लोगों के साथ किया है. सरकार ने फिल्टर करके सूची दोबारा जिला स्तर पर भेजी तो हड़कंप मच गया. एक साथ 1400 लोगों के नाम कटे देख कर अधिकारियों के पैरों के नीचे की जमीन खिसक गई. दोबारा जांच कराई गई तो लैंडलाइन फोन दूर इनके घर ही नहीं मिले. कोई तरपाल तले जीवन यापन करते मिला तो किसी के घर में पुआल का छप्पर मिला. इनकों आवास का लाभ दिलाने के लिए जिला स्तर से दोबारा सूची आयुक्त ग्राम विकास को भेजी गई है.
घर बैठे कर डाला सर्वे
प्रधानमंत्री आवास योजना में गरीबों को आवास का लाभ देने के लिए सरकार ने प्रायोरिटी सूची बनवाई थी. सूची बनाने के लिए ब्लॉक स्तरीय अधिकरियों को घर घर जाकर सर्वे करना था, मगर अधिकारियों ने घर बैठे ही सर्वे कर डाला. जिले से जो सूची शासन को भेजी गई उसमें बड़ी संख्या में गरीबों के घर में लैंड लाइन फोन प्रयोग होता दिखा दिया गया. वहीं जब फिल्टर होकर सूची जिला स्तर पर आई तो गरीबों के नाम इस सूची से गायब थे.
ईटीवी भारत की पड़ताल में सच आया सामने
उन्नाव की हसनगंज तहसील क्षेत्र में स्थित मियागंज विकासखंड में रहने वाले तिलक चंद जमला पुर गांव में रहते हैं. तिलक चंद आवास की राह देख रहे हैं, लेकिन इनको यह नहीं पता कि इनका नाम आवास सूची में था, तो लेकिन लैंडलाइन फोन दिखने की वजह से नाम हटा दिया गया. तिलक चंद्र ने ईटीवी भारत से बताया कि वह छप्पर के नीचे रहने को मजबूर हैं. उनके पास कोई भी लैंडलाइन फोन नहीं है.
इसी गांव की रहने वाली अंजू मजदूरी करके अपना परिवार चलाती हैं, लेकिन घर में लैंडलाइन फोन दिखाने की वजह से इनका भी नाम लिस्ट से हटा दिया गया. अंजू ने भी ईटीवी भारत से बात करते हुए बताया कि उनसे ग्राम प्रधान ने पैसे भी लिए थे, लेकिन अभी तक उन्हें आवास नहीं मिला. अंजू को यह नहीं पता कि उनका नाम लिस्ट से सिर्फ इसलिए हटा दिया गया, क्योंकि मातहतों ने उनके घर में लैंडलाइन फोन दिखा दिया है. अंजू ने बताया कि उनके घर में लैंडलाइन फोन नहीं है.
वहीं जमलापुर गांव में रहने वाली किरण अपने आवास की राह देख रही हैं. घर में लैंडलाइन फोन तो दूर मोबाइल फोन तक नहीं है. किरण के पति मजदूरी करके अपने परिवार को पालते हैं. आवास के लिए ग्राम प्रधान से कहा था फार्म भी भरवाया था, लेकिन मातहतों की गैर जिम्मेदारी की वजह से किरण को आवास अभी तक नहीं मिल पाया है. किरण के घर में भी लैंडलाइन फोन दिखा दिया गया है. जिससे इनका भी नाम लिस्ट से कट गया है. वहीं किरण ने भी ईटीवी भारत से बताया कि वह कच्चे घर में रहने को मजबूर हैं. उनके पास कोई भी लैंडलाइन फोन तो दूर कोई फोन तक नहीं है.
रिपोर्ट गलत फीड होने की वजह से हुआ ऐसा
वहीं ईटीवी भारत से बात करते हुए मुख्य विकास अधिकारी राजेश प्रजापति ने बताया कि सर्वे के दौरान गलत रिर्पोट फीड की गई थी. इस वजह से गरीबों को आवास का लाभ नहीं मिला था. दोबारा जांच कराकर सही रिर्पोट आयुक्त ग्राम विकास को भेजी गई है.