लखनऊ : संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान के निदेशक डॉ. आर के धीमन ने स्पष्ट किया कि एसजीपीजीआई को कोविड-19 अस्पताल घोषित करने के बाद भी यहां डायलिसिस और गुर्दा प्रत्यारोपण की सुविधा जारी है. संस्थान का नेफ्रोलॉजी विभाग रोगियों को नियमित मेंटेनेंस डायलिसिस की सुविधा प्रदान कर रहा है.
भारत में कोविड-19 पॉजिटिव गुर्दा रोगियों की सबसे कम मौतें
एसजीपीजीआई निदेशक ने बताया कि कोविड पॉजिटिव गुर्दा रोग से ग्रस्त मरीजों के संबंध में पश्चिमी देशों में उपलब्ध आंकड़ों की तुलना में यहां मृत्यु का आंकड़ा कम है. लखनऊ का नेफ्रोलॉजी विभाग भारत और उत्तर प्रदेश राज्य के सार्वजनिक क्षेत्र के एक उत्कृष्ट और अनेक बड़े केंद्रों में से एक हैं. वर्ष 2020 में आई कोविड-19 महामारी के समय से विभाग द्वारा 30,286 डायलिसिस सत्र प्रदान किए जा चुके हैं. नेफ्रोलॉजी विभाग ने मेंटेनेंस हेमोडायलिसिस पर रहे 273 रोगियों को सप्ताह में दो या तीन बार डायलिसिस सेवाएं भी प्रदान की हैं. कोविड अस्पताल में भी डायलिसिस के 1200 सत्र प्रदान किए गए हैं.
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9880 मरीजों का किया गया डायलिसिस
डॉक्टर धीमन ने बताया कि इस वर्ष 2021 में गैर कोविड क्षेत्र में रोगियों को 9880 डायलिसिस सत्र और कोविड रोगियों ( RCH1 + RCH 2) को 274 डायलिसिस सत्र प्रदान किए गए हैं. RCH1 और RCH2 में कोविड पॉजिटिव रोगियों के डायलिसिस के लिए मजबूत प्रोटोकॉल बनाए गए हैं. आरसीएच-एक में 12 और आरसीएच-2 में 4 (कुल 16) सत्र निर्धारित किए गए हैं.
गैर कोविड एरिया में 55 डायलिसिस स्टेशन
एसजीपीजीआई निदेशक ने बताया कि गैर कोविड एरिया में 55 डायलिसिस स्टेशन के साथ नियमित मेंटेनेंस हीमोडायलिसिस इकाइयां दिन-रात कार्य कर रही हैं. वर्ष 2020 में 45 गुर्दा प्रत्यारोपण किए गए और इस वर्ष 2021 में अब तक 24 प्रत्यारोपण किए जा चुके हैं. विभागाध्यक्ष प्रोफेसर नारायण प्रसाद ने बताया कि इस दौरान कभी भी किसी भी रोगी को (कोविड पॉजिटिव या कोविड निगेटिव) डायलिसिस के लिए मना नहीं किया है.