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मेरठ नगर निगम को जारी करना पड़ा 25 नए शवदाह स्थल बनाने का फरमान, जानिए वजह

यूपी के मेरठ में कोरोना लगातार बढ़ता जा रहा है. ऐसे में मरने वालों का आंकड़ा भी बढ़ रहा है. यहां के श्मशान घाट में शवों के अंतिम संस्कार के लिए जगह कम पड़ गई है. इसके लिए नगर निगम ने 25 नए शवदाह स्थल बनाने का फैसला लिया है.

बनाए जाएंगे 25 नए शवदाह स्थळ
बनाए जाएंगे 25 नए शवदाह स्थळ
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Published : Apr 29, 2021, 2:07 AM IST

मेरठ: पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मेरठ में कोरोना की दूसरी लहर का प्रकोप लगातार जारी है. यहां कोरोना से मरने वालों की संख्या भी प्रतिदिन बढ़ती जा रही है. आलम यह है कि शहर के सबसे बड़े श्मशान घाट में शवों के अंतिम संस्कार के लिए जगह कम पड़ गई है. सुबह से देर रात तक श्मशानघाट में शवों की लंबी लाइन लगी रहती है. जिसके चलते नगर निगम ने सूरजकुंड श्मशानघाट की पार्किंग में 25 नए शवदाह स्थल बनाने का फैसला लिया है. पार्किंग स्थल पर महज 2 दिन में शवदाह स्थल बनाने के निर्देश दिए गए हैं. जिससे श्मशान घाट में आने वाले शवों का समय पर विधि विधान से क्रियाकर्म किया जा सके. इसके लिए नगर आयुक्त मनीष बंसल की मौजूदगी में संबधित अधिकारियों ने निरीक्षण कर पार्किंग में शवदाह बनाने के निर्देश दिए हैं.

क्यों बढ़ाने पड़े शवदाह स्थल

बता दें कि मेरठ शहर में कोरोना मरीजों की मौत का आंकड़ा लगातार बढ़ता जा रहा है. शवों का अंतिम संस्कार करने के लिए स्वास्थ्य विभाग और परिजनों के जद्दोजद करनी पड़ रही है. सुबह से लेकर शाम तक सूरजकुंड श्मशान घाट पर 50 से ज्यादा शवों का अंतिम संस्कार किया जा रहा है. कई बार तो यह आंकड़ा 70 को भी पार कर चुका है, जिससे चबूतरे कम पड़ गए और शवों को जमीन पर जलाया गया. सूरजकुंड श्मशान घाट में 48 शवदाह स्थल पहले ही बने हुए हैं. बावजूद इसके नगर निगम ने शवदाह स्थल की संख्या बढ़ाने का फैसला लिया है.

पार्किंग में बनेंगे 25 शवदाह स्थल

वैसे तो सूरजकुंड श्मशानघाट में मुख्य द्वार के अलावा एक और द्वार है जो बंद रहता है लेकिन, कोरोना संक्रमण के कारण श्मशानघाट के बंद दरवाजे को खोला जा रहा है. निगम अधिकारियों ने सूरजकुंड शमशानघाट और रिठानी शमशानघाट का निरीक्षण कर शवदाह स्थल बढ़ाने के निर्देश दिए हैं. जानकारी के मुताबिक शवों की बढ़ती संख्या को देखते हुए सूरजकुंड श्मशानघाट की पार्किंग में 25 अस्थाई शवदाह स्थल बनाने का काम शुरू कर दिया गया है. नगर आयुक्त मनीष बंसल ने अवर अभियंता अनुज कुमार को महज दो दिन के भीतर 25 अस्थाई शवदाह स्थलों का निर्माण पूरा कराने के निर्देश दिए हैं, जिससे आगामी दिनों में शवों के अंतिम संस्कार को लेकर आई परेशानी से छुटकारा मिल सके.

नॉन कोविड शवों के लिए खुला बंद दरवाजा

नगर आयुक्त मनीष बंसल ने बताया कि सूरजकुंड श्मशानघाट में सबसे ज्यादा शवों का अंतिम संस्कार किया जाता है. कोरोना काल में कोविड संक्रमित मरीजों और नॉन कोविड मरीजों के शवों का अंतिम संस्कार एक ही जगह किया जा रहा है. हालांकि इसके लिए एहतियात बरते जा रहे हैं लेकिन, कोरोना संक्रमण के खतरे के देखते हुए नॉन कोविड शवों के लिए अलग से शवदाह स्थलों की व्यवस्था की जा रही है. नगर आयुक्त ने बताया कि कंकरखेड़ा, कसेरू बक्सर में श्मशानघाट पर कोविड संक्रमित शवों के साथ नॉन कोविड शवों का अंतिम संस्कार किया जा रहा है. अब्दुल्लापुर और रिठानी के श्मशानघाट में भी अंतिम संस्कार शुरू करने की तैयारी की जा रही है जबकि, यहां सामान्य एवं नॉन कोविड शवों का अंतिम संस्कार पहले से ही किया जा रहा है.

ईंधन आपूर्ति के दिए आदेश

नगर आयुक्त मनीष बंसल का कहना है कि श्मशानघाट पर बड़ी संख्या में शवों का अंतिम संस्कार किया जा रहा है. जिससे लकड़ी एवं ईंधन की खपत हो रही है. लकड़ी आपूर्ति के लिए वन विभाग के अधिकारियों से बात की गई है. वन विभाग के अधिकारियों को शवदाह के लिए जलौनी लकड़ी उपलब्ध कराने के निर्देश दिए गए हैं, ताकि किसी भी शव के अंतिम संस्कार के लिए ईंधन की आपूर्ति होती रहे.

इसे भी पढ़ें- यूपी की जेलों में 1641 कैदी कोरोना संक्रमित

मेरठ: पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मेरठ में कोरोना की दूसरी लहर का प्रकोप लगातार जारी है. यहां कोरोना से मरने वालों की संख्या भी प्रतिदिन बढ़ती जा रही है. आलम यह है कि शहर के सबसे बड़े श्मशान घाट में शवों के अंतिम संस्कार के लिए जगह कम पड़ गई है. सुबह से देर रात तक श्मशानघाट में शवों की लंबी लाइन लगी रहती है. जिसके चलते नगर निगम ने सूरजकुंड श्मशानघाट की पार्किंग में 25 नए शवदाह स्थल बनाने का फैसला लिया है. पार्किंग स्थल पर महज 2 दिन में शवदाह स्थल बनाने के निर्देश दिए गए हैं. जिससे श्मशान घाट में आने वाले शवों का समय पर विधि विधान से क्रियाकर्म किया जा सके. इसके लिए नगर आयुक्त मनीष बंसल की मौजूदगी में संबधित अधिकारियों ने निरीक्षण कर पार्किंग में शवदाह बनाने के निर्देश दिए हैं.

क्यों बढ़ाने पड़े शवदाह स्थल

बता दें कि मेरठ शहर में कोरोना मरीजों की मौत का आंकड़ा लगातार बढ़ता जा रहा है. शवों का अंतिम संस्कार करने के लिए स्वास्थ्य विभाग और परिजनों के जद्दोजद करनी पड़ रही है. सुबह से लेकर शाम तक सूरजकुंड श्मशान घाट पर 50 से ज्यादा शवों का अंतिम संस्कार किया जा रहा है. कई बार तो यह आंकड़ा 70 को भी पार कर चुका है, जिससे चबूतरे कम पड़ गए और शवों को जमीन पर जलाया गया. सूरजकुंड श्मशान घाट में 48 शवदाह स्थल पहले ही बने हुए हैं. बावजूद इसके नगर निगम ने शवदाह स्थल की संख्या बढ़ाने का फैसला लिया है.

पार्किंग में बनेंगे 25 शवदाह स्थल

वैसे तो सूरजकुंड श्मशानघाट में मुख्य द्वार के अलावा एक और द्वार है जो बंद रहता है लेकिन, कोरोना संक्रमण के कारण श्मशानघाट के बंद दरवाजे को खोला जा रहा है. निगम अधिकारियों ने सूरजकुंड शमशानघाट और रिठानी शमशानघाट का निरीक्षण कर शवदाह स्थल बढ़ाने के निर्देश दिए हैं. जानकारी के मुताबिक शवों की बढ़ती संख्या को देखते हुए सूरजकुंड श्मशानघाट की पार्किंग में 25 अस्थाई शवदाह स्थल बनाने का काम शुरू कर दिया गया है. नगर आयुक्त मनीष बंसल ने अवर अभियंता अनुज कुमार को महज दो दिन के भीतर 25 अस्थाई शवदाह स्थलों का निर्माण पूरा कराने के निर्देश दिए हैं, जिससे आगामी दिनों में शवों के अंतिम संस्कार को लेकर आई परेशानी से छुटकारा मिल सके.

नॉन कोविड शवों के लिए खुला बंद दरवाजा

नगर आयुक्त मनीष बंसल ने बताया कि सूरजकुंड श्मशानघाट में सबसे ज्यादा शवों का अंतिम संस्कार किया जाता है. कोरोना काल में कोविड संक्रमित मरीजों और नॉन कोविड मरीजों के शवों का अंतिम संस्कार एक ही जगह किया जा रहा है. हालांकि इसके लिए एहतियात बरते जा रहे हैं लेकिन, कोरोना संक्रमण के खतरे के देखते हुए नॉन कोविड शवों के लिए अलग से शवदाह स्थलों की व्यवस्था की जा रही है. नगर आयुक्त ने बताया कि कंकरखेड़ा, कसेरू बक्सर में श्मशानघाट पर कोविड संक्रमित शवों के साथ नॉन कोविड शवों का अंतिम संस्कार किया जा रहा है. अब्दुल्लापुर और रिठानी के श्मशानघाट में भी अंतिम संस्कार शुरू करने की तैयारी की जा रही है जबकि, यहां सामान्य एवं नॉन कोविड शवों का अंतिम संस्कार पहले से ही किया जा रहा है.

ईंधन आपूर्ति के दिए आदेश

नगर आयुक्त मनीष बंसल का कहना है कि श्मशानघाट पर बड़ी संख्या में शवों का अंतिम संस्कार किया जा रहा है. जिससे लकड़ी एवं ईंधन की खपत हो रही है. लकड़ी आपूर्ति के लिए वन विभाग के अधिकारियों से बात की गई है. वन विभाग के अधिकारियों को शवदाह के लिए जलौनी लकड़ी उपलब्ध कराने के निर्देश दिए गए हैं, ताकि किसी भी शव के अंतिम संस्कार के लिए ईंधन की आपूर्ति होती रहे.

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