लखनऊ: विद्युत नियामक आयोग ने बिजली दर प्रस्ताव समय से न दाखिल करने पर सभी बिजली कम्पनियों के प्रबंध निदेशकों को विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 142 के तहत नोटिस जारी कर तीन जुलाई को तलब किया. वहीं उपभोक्ता परिषद के बिजली दरों में कमी करने के प्रस्ताव पर प्रदेश के ऊर्जामंत्री श्रीकांत शर्मा ने प्रमुख सचिव ऊर्जा व अध्यक्ष पावर कारपोरेशन को उपभोक्ता हित में कार्रवाई करने का लिखित निर्देश जारी किया है.
प्रदेश में बिजली दर व वार्षिक राजस्व आवश्यकता (एआरआर) वर्ष 2020-21 दाखिल करने को लेकर घमासान जारी है. वहीं विद्युत नियामक आयोग ने प्रदेश की सभी बिजली कम्पनियों को समय से बिजली दर व वार्षिक राजस्व आवश्कता समय से दाखिल न करने को लेकर प्रबंध निदेशकों को आड़े हाथों लिया है. राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने इसी सिलसिले में ऊर्जा मंत्री श्रीकान्त शर्मा से शक्ति भवन में मुलाकात की.
ऊर्जा मंत्री को जनहित प्रस्ताव सौंपकर सरकार से बिजली दरों में कमी कराने के लिए विद्युत नियामक आयोग में प्रस्ताव सौंपने की गुहार लगाई. अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने आरोप लगाया कि बिजली कम्पनियां जानबूझकर बिजली दर प्रस्ताव नहीं दाखिल कर रही हैं, क्योंकि उन्हें पता है कि वर्ष 2019-20 के टैरिफ आदेश में नियामक आयोग ने लम्बी बहस के बाद यह तय कर दिया कि प्रदेश के बिजली उपभोक्ताओं का वर्ष 2017-18 तक कुल लगभग 13,337 करोड़ रुपये बिजली कम्पनियों पर निकल रहा है. इसे आगे उपभोक्ताओं को पास किया जाएगा जो अब कैरिंग कॉस्ट 13 प्रतिशत जोड़ कर लगभग 14782 करोड़ रुपये हो गया है.
वर्मा का कहना है कि प्रदेश की बिजली कम्पनियां आंकड़ेबाजी के खेल में लगी हैं, जिससे वह 14,782 करोड़ रुपये से ज्यादा का गैप निकाल कर बिजली दर बढ़वाने की बात करें. उन्होंने कहा कि सरकार पूरे मामले पर हस्तक्षेप कर बिजली दरों को कम कराए. अगर बिजली कम्पनियां ये रकम एक साथ नहीं दे सकतीं हैं तो अगले तीन वर्षो तक हर साल 8 प्रतिशत बिजली दरों में कमी का प्रस्ताव देकर उपभोक्ताओं की पूरी निकली रकम वापस करा सकती है.
प्रदेश के ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा ने पूरे मामले पर प्रमुख सचिव ऊर्जा व अध्यक्ष पावर कारपोरेशन को उचित कार्रवाई के लिए निर्देशित किया है.