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बस कागजों पर हुआ विकास, ग्रामीणों की पूरी नहीं हुई आस

सुलतानपुर में ग्रामीणों को सरकारी योजनाओं का कोई फायदा नहीं मिल रहा है. कई ग्रामीण आज भी शौच के लिए बाहर जाते हैं. आज भी गांववालों को छप्पर के घर में गुजारा करना पड़ रहा है. सरकार की योजनाओं को केवल कागजों पर ही जगह दी गई. पेश है ईटीवी भारत की सुलतानपुर के एक ऐसे गांव की रिपोर्ट, जहां विकास के नाम पर ग्रामीणों को बस झूठे वादे मिले हैं...

विकास की आस में ग्रामीण
विकास की आस में ग्रामीण
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Published : Feb 6, 2021, 2:41 PM IST

Updated : Feb 6, 2021, 3:53 PM IST

सुलतानपुर: कागजों में तो पंचायती राज विभाग ने स्वच्छ भारत मिशन को शत-प्रतिशत सफल दिखा दिया है. पंचायती राज विभाग के अनुसार, शौचालय से गांव संतृप्त हो गए हैं, प्रधानमंत्री आवास योजना से बेघर लोगों को लाभान्वित कर दिया गया है, रोजगार की दिशा में योजनाएं परवान चढ़ रही हैं, लेकिन इनकी हकीकत सिर्फ फाइलों में ही सीमित हैं. इनका हकीकत से कोई भी लेना-देना नहीं है.

कागजों पर हो रहा विकास.

ईटीवी भारत दिखा रहा सुरौली की असल तस्वीर

जिला मुख्यालय से लगभग 15 किलोमीटर की दूरी पर जयसिंहपुर तहसील की सिरौली ग्राम पंचायत है. जहां पर बीते 5 वर्ष के दौरान 5 करोड़ से अधिक रुपये विकास कार्यों के लिए खर्च किए जा चुके हैं. मनरेगा योजना से मजदूरों और बेरोजगारों को लाभान्वित किया गया है. सभी घरों में शौचालय बनाने के दावे किए जा रहे हैं, लेकिन अभी भी यहां खुले में शौच जाने के लिए ग्रामीण मजबूर हैं.



घर गिरा, फिर भी नहीं मिला प्रधानमंत्री आवास

ग्रामीण किरण कहती हैं कि उनकी शादी को 7 साल हो चुके हैं. अभी तक न तो शौचालय मिला है और न ही प्रधानमंत्री आवास. उन्हें कृषि योजना का लाभ भी नहीं मिला है. वो लोग बस किसी तरह गुजर-बसर कर रहे हैं. सरिता ने बताया कि उनका पुराना घर गिर रहा है, उसके बाद भी उन्हें शौचालय और प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ नहीं मिला है.

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रहने के लिए नहीं है छत

सब मांगते पैसा, नहीं दिया कोई लाभ

ज्ञानमती बताती हैं कि हमारे घर में शौचालय नहीं है. आवास योजना का भी लाभ नहीं दिया गया है. हम लोगों से काम करवाने के लिए पैसा मांगा जाता है. अधिकारी और ग्राम प्रधान हमसे पैसा मांगते हैं. श्यामकली कहती हैं कि कॉलोनी का लाभ हमको नहीं मिला है. शौचालय हमारे घर में नहीं है. गृहिणी किरण का कहना है कि छप्पर में रहने के कारण हमारा अनाज भीग जाता है. हमें छप्पर में रहकर जीवन यापन करना पड़ता है. वहीं, ग्रामीण सोनू कहते हैं कि अपात्रों को इंदिरा आवास का लाभ दिया गया है. जो लाभार्थी हैं, उनको उपेक्षित कर दिया गया है.

गृहिणी बोली, 9 साल में मिली सिर्फ अधूरे शौचालय की सौगात

माधुरी बताती हैं कि उनको शौचालय और प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ नहीं मिला है. 9 साल से हम लोग यहीं हैं, लेकिन यहां कोई विकास नहीं हुआ है. अधूरा शौचालय बनाकर हमें दे दिया गया है. शौचालय का पैसा भी हमें नहीं दिया गया है. यहां तक कि कॉलोनी मांगने पर हमें धमकी मिलती है. वहीं, ग्राम प्रधान ने कहा कि ग्रामीणों को 398 आवास दिए गए हैं. कई शौचालय तो हमारी तरफ से बनवाए गए हैं. शेष काम जो छूट गया है, उसे भी जल्द पूरा कराया जाएगा. पंचायत के अधिकार अब नहीं रहे हैं. दोबारा चयन पर अधूरे कार्य पूरे किए जाएंगे.

सुलतानपुर: कागजों में तो पंचायती राज विभाग ने स्वच्छ भारत मिशन को शत-प्रतिशत सफल दिखा दिया है. पंचायती राज विभाग के अनुसार, शौचालय से गांव संतृप्त हो गए हैं, प्रधानमंत्री आवास योजना से बेघर लोगों को लाभान्वित कर दिया गया है, रोजगार की दिशा में योजनाएं परवान चढ़ रही हैं, लेकिन इनकी हकीकत सिर्फ फाइलों में ही सीमित हैं. इनका हकीकत से कोई भी लेना-देना नहीं है.

कागजों पर हो रहा विकास.

ईटीवी भारत दिखा रहा सुरौली की असल तस्वीर

जिला मुख्यालय से लगभग 15 किलोमीटर की दूरी पर जयसिंहपुर तहसील की सिरौली ग्राम पंचायत है. जहां पर बीते 5 वर्ष के दौरान 5 करोड़ से अधिक रुपये विकास कार्यों के लिए खर्च किए जा चुके हैं. मनरेगा योजना से मजदूरों और बेरोजगारों को लाभान्वित किया गया है. सभी घरों में शौचालय बनाने के दावे किए जा रहे हैं, लेकिन अभी भी यहां खुले में शौच जाने के लिए ग्रामीण मजबूर हैं.



घर गिरा, फिर भी नहीं मिला प्रधानमंत्री आवास

ग्रामीण किरण कहती हैं कि उनकी शादी को 7 साल हो चुके हैं. अभी तक न तो शौचालय मिला है और न ही प्रधानमंत्री आवास. उन्हें कृषि योजना का लाभ भी नहीं मिला है. वो लोग बस किसी तरह गुजर-बसर कर रहे हैं. सरिता ने बताया कि उनका पुराना घर गिर रहा है, उसके बाद भी उन्हें शौचालय और प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ नहीं मिला है.

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रहने के लिए नहीं है छत

सब मांगते पैसा, नहीं दिया कोई लाभ

ज्ञानमती बताती हैं कि हमारे घर में शौचालय नहीं है. आवास योजना का भी लाभ नहीं दिया गया है. हम लोगों से काम करवाने के लिए पैसा मांगा जाता है. अधिकारी और ग्राम प्रधान हमसे पैसा मांगते हैं. श्यामकली कहती हैं कि कॉलोनी का लाभ हमको नहीं मिला है. शौचालय हमारे घर में नहीं है. गृहिणी किरण का कहना है कि छप्पर में रहने के कारण हमारा अनाज भीग जाता है. हमें छप्पर में रहकर जीवन यापन करना पड़ता है. वहीं, ग्रामीण सोनू कहते हैं कि अपात्रों को इंदिरा आवास का लाभ दिया गया है. जो लाभार्थी हैं, उनको उपेक्षित कर दिया गया है.

गृहिणी बोली, 9 साल में मिली सिर्फ अधूरे शौचालय की सौगात

माधुरी बताती हैं कि उनको शौचालय और प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ नहीं मिला है. 9 साल से हम लोग यहीं हैं, लेकिन यहां कोई विकास नहीं हुआ है. अधूरा शौचालय बनाकर हमें दे दिया गया है. शौचालय का पैसा भी हमें नहीं दिया गया है. यहां तक कि कॉलोनी मांगने पर हमें धमकी मिलती है. वहीं, ग्राम प्रधान ने कहा कि ग्रामीणों को 398 आवास दिए गए हैं. कई शौचालय तो हमारी तरफ से बनवाए गए हैं. शेष काम जो छूट गया है, उसे भी जल्द पूरा कराया जाएगा. पंचायत के अधिकार अब नहीं रहे हैं. दोबारा चयन पर अधूरे कार्य पूरे किए जाएंगे.

Last Updated : Feb 6, 2021, 3:53 PM IST
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