सुलतानपुरः नगर पालिका में टेंडर के तहत काम कराने वाले ठेकेदारों के चयन को लेकर लंबे समय से रार चल रही है. दो साल से जिलाधिकारी और चेयरमैन आमने-सामने हैं. कभी चेयरमैन अधिकार क्षेत्र में हनन की बात उठाते हैं तो कभी जिलाधिकारी ठेकेदारों के चयन की प्रक्रिया ही रद्द कर देते हैं. इन सबके बीच आए हाईकोर्ट के आदेश ने एक बार फिर मामले में भूचाल ला दिया है.
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जब कर्नाटक, गाजियाबाद या बाहरी शहरों का ठेकेदार टेंडर डालेगा तो उसकी गुणवत्ता की जांच कैसे की जाएगी. उसे कैसे बुलाया जाएगा. वैसे गुणवत्ता के लिए चेयरमैन को ही जिम्मेदार माना जाता है, लेकिन दूरदराज के राज्यों से आने वाले ठेकेदारों के काम करने के बाद गुणवत्ता की जांच कैसे की जाएगी. 2 से 3 माह उसका पता लगाने में लग जाएगा. वह काम करके चला जाएगा तो गुणवत्ता की जिम्मेदारी कौन लेगा.
-बबिता जायसवाल, नगर पालिका चेयरमैन