सुलतानपुरः जिले के एमपी एमएलए कोर्ट ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के खिलाफ दर्ज मुकदमें की सुनवाई में तेजी ले आने के लिए जिलाधिकारी को पैरवी करने का आदेश दिया है. अरविंद केजरीवाल के खिलाफ जिले से संबंधित केस सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है.
बता दें कि अमेठी में 2014 के लोकसभा चुनाव में अरविंद केजरीवाल पर आचार संहिता उल्लंघन और भड़काऊ भाषण देने के मामले में मुकदमा दर्ज किया गया था. मामले की सुनवाई के दौरान एमपी एमएलए कोर्ट ने यह निर्देश जारी करते हुए जिलाधिकारी से सुप्रीम कोर्ट में पैरवी करने को कहा है. पूरा मामला अमेठी जिले के मुसाफिरखाना और गौरी गंज थाना क्षेत्र से जुड़ा हुआ है.
भाजपा- कांग्रेस के खिलाफ दिया था भड़काऊ भाषण
बता दें कि 2 मई 2014 को दिल्ली के मुख्यमंत्री और तत्कालीन आम आदमी पार्टी नेता अरविंद केजरीवाल अमेठी पहुंचे थे. जहां पर उन्होंने आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार कुमार विश्वास के पक्ष में जनसभा के दौरान कांग्रेस व भाजपा को वोट नहीं देने संबंधी भड़काऊ भाषण दिया था. जिसके बाद इन पर आचार संहिता के उल्लंघन समेत अन्य मामले को संज्ञान में लेते हुए तत्कालीन मजिस्ट्रेट प्रेमचंद ने गौरीगंज थाने में मुकदमा दर्ज कराया था. वहीं उड़नदस्ता की तरफ से मजिस्ट्रेट की तहरीर पर मुसाफिरखाना में भी अरविंद केजरीवाल के खिलाफ मुकदमा पंजीकृत किया गया था. मामले में हाईकोर्ट ने मुख्यमंत्री केजरीवाल को उपस्थिति में 19 अक्टूबर 2016 को राहत दी थी. जिसके बाद से ट्रायल की प्रक्रिया काफी सुस्त हो गई है. मामले में अगली सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में 24 अगस्त 2021 को नियत है.
अधिवक्ता अंकुश यादव ने बताया कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और तत्कालीन आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार कुमार विश्वास के खिलाफ मामला विचाराधीन है. सुप्रीम कोर्ट में कई साल से मामले में विचारण में प्रगति नहीं आ पा रही है. विशेष अभियोजक के माध्यम से जिलाधिकारी को आदेश दिया गया है कि इसमें बेहतर पैरवी की जाए जिससे विचारण की प्रक्रिया प्रभावित ना हो.
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एमपी एमएलए कोर्ट के विशेष लोक अभियोजक वैभव पांडे ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट की तरफ से अरविंद केजरीवाल को मुकदमे में उपस्थिति को लेकर छूट दी गई है. जिसकी वजह से मुकदमे में तेजी नहीं आ पा रही है. एमपी एमएलए कोर्ट ने मुझे आदेश दिया है कि जिलाधिकारी और एक पत्र प्रमुख सचिव न्याय को जारी किया जाए. जिससे मुकदमे के विचारण में तेजी लाई जा सके. यह मामला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है.