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सुलतानपुर: धोखा निकला जनप्रतिनिधि का वादा, अपनी ही फसल से बोझिल हुए किसान - farmers angry with administration

यूपी के सुलतानपुर जिले में गन्ना किसान खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं. सरकार और प्रशासन के आश्वासन पर किसानों ने गन्ने की बुवाई की, लेकिन अब प्रशासन ने उन्हें गन्ने की पेराई के लिए दूसरे जिलों में जाने को मजबूर किया है. इससे अब किसानों को ढूलाई का भी खर्च उठाना पड़ेगा जिससे किसान सरकार और प्रशासन से नाराज हैं.

पेराई के लिए तैयार गन्ना.
पेराई के लिए तैयार गन्ना.
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Published : Jun 8, 2020, 1:42 PM IST

सुलतानपुर: 2020 में योगी सरकार ने किसानों को बेहतर रोजगार का सपना दिखाया था. गन्ना पेराई कर बेहतर आय अर्जित करने के जो सपने बीजेपी सरकार ने दिखाए थे, उसके बारे में सोचकर ही अन्नदाताओं के चेहरे खिल उठे थे, लेकिन यह मुस्कान महज कुछ ही दिनों की मेहमान थी. बेहतर मेहनताना देख किसानों ने गेहूं और धान की फसलों को छोड़ गन्ना उगाना शुरू कर दिया, लेकिन जब गन्ने की पेराई का समय आया तो अधिकारी और जनप्रतिनिधियों ने किसानों का साथ छोड़ दिया. उन्होंने किसानों को गन्ने की पेराई के लिए दूसरे जिलों में जाने को मजबूर किया.

जानकारी देते किसान.

चीनी मिलों की नहीं व्यवस्था
किसानों ने गन्ने की उपज से बेहतर मेहनताना को देखते गन्ने की फसल उगाना शुरू कर दिया. इस बीच गन्ना खेतों से निकलकर चीनी मिल पहुंचा, जहां आधी पेराई के बाद ही अधिकारियों ने अपने हाथ खड़े कर लिए और पेराई बंद करवा दी. अधिकारियों ने किसानों को गन्ने की पेराई के लिए अंबेडकरनगर और अयोध्या जाने के लिए कहा, ऐसे में किसानों के लिए उनकी उपज बोझ बन कर रह गई.

सीएम का आश्वासन गया बेकार
सीएम योगी ने पिछले साल अक्टूबर महीने में गन्ना किसानों को अच्छे मेहनताना का आश्वासन दिया था. साथ ही गन्ने की पेराई की मुकम्मल व्यवस्था करने के भी दावे किए थे. पूर्व कैबिनेट मंत्री और बीजेपी सांसद मेनका गांधी ने भी गन्ने की जमकर बुवाई करने का किसानों से आह्वान किया था और बेहतर रोजगार के सपने दिखाए थे, लेकिन जब पेराई का नंबर आया तो जनप्रतिनिधि के साथ-साथ अधिकारियों से भी किसानों को सिर्फ धोखा ही मिला.

गन्ने की बुवाई करना पड़ा महंगा
काश्तकार महेश तिवारी ने बताया कि गन्ने को पेराई के लिए अंबेडकरनगर और अयोध्या गन्ना ले जाना घाटे का सौदा है. चीनी मिल बंद कर दी गई है. जो किसानों को फायदा मिलना था, वह गन्ने की ढुलाई में खर्च हो जाएगा. ऐसे में गन्ने की फसल उगाना घाटे का सौदा बन गया. अब गन्ना बुवाई गेहूं और चावल से भी महंगा पड़ता जा रहा है.

चीनी मिलों में व्यवस्थाओं का अभाव
किसानों ने बताया कि प्रशासन के आश्वासन पर उन्होंने गन्ने की बुवाई की, लेकिन नियमित तौर पर चीनी मिलों के न चलने से गन्ने की पेराई नहीं हो पा रही. देरी होने की वजह से गन्ना भी प्रभावित हो रहा है. इसलिए उन्हें मजबूरन गन्ने की पेराई के लिए दूसरे जिलों में जाना पड़ रहा है.

इसे भी पढ़ें- सुलतानपुरः पशुओं को लेकर दो पक्षों में जमकर मारपीट, एक महिला की मौत

सुलतानपुर: 2020 में योगी सरकार ने किसानों को बेहतर रोजगार का सपना दिखाया था. गन्ना पेराई कर बेहतर आय अर्जित करने के जो सपने बीजेपी सरकार ने दिखाए थे, उसके बारे में सोचकर ही अन्नदाताओं के चेहरे खिल उठे थे, लेकिन यह मुस्कान महज कुछ ही दिनों की मेहमान थी. बेहतर मेहनताना देख किसानों ने गेहूं और धान की फसलों को छोड़ गन्ना उगाना शुरू कर दिया, लेकिन जब गन्ने की पेराई का समय आया तो अधिकारी और जनप्रतिनिधियों ने किसानों का साथ छोड़ दिया. उन्होंने किसानों को गन्ने की पेराई के लिए दूसरे जिलों में जाने को मजबूर किया.

जानकारी देते किसान.

चीनी मिलों की नहीं व्यवस्था
किसानों ने गन्ने की उपज से बेहतर मेहनताना को देखते गन्ने की फसल उगाना शुरू कर दिया. इस बीच गन्ना खेतों से निकलकर चीनी मिल पहुंचा, जहां आधी पेराई के बाद ही अधिकारियों ने अपने हाथ खड़े कर लिए और पेराई बंद करवा दी. अधिकारियों ने किसानों को गन्ने की पेराई के लिए अंबेडकरनगर और अयोध्या जाने के लिए कहा, ऐसे में किसानों के लिए उनकी उपज बोझ बन कर रह गई.

सीएम का आश्वासन गया बेकार
सीएम योगी ने पिछले साल अक्टूबर महीने में गन्ना किसानों को अच्छे मेहनताना का आश्वासन दिया था. साथ ही गन्ने की पेराई की मुकम्मल व्यवस्था करने के भी दावे किए थे. पूर्व कैबिनेट मंत्री और बीजेपी सांसद मेनका गांधी ने भी गन्ने की जमकर बुवाई करने का किसानों से आह्वान किया था और बेहतर रोजगार के सपने दिखाए थे, लेकिन जब पेराई का नंबर आया तो जनप्रतिनिधि के साथ-साथ अधिकारियों से भी किसानों को सिर्फ धोखा ही मिला.

गन्ने की बुवाई करना पड़ा महंगा
काश्तकार महेश तिवारी ने बताया कि गन्ने को पेराई के लिए अंबेडकरनगर और अयोध्या गन्ना ले जाना घाटे का सौदा है. चीनी मिल बंद कर दी गई है. जो किसानों को फायदा मिलना था, वह गन्ने की ढुलाई में खर्च हो जाएगा. ऐसे में गन्ने की फसल उगाना घाटे का सौदा बन गया. अब गन्ना बुवाई गेहूं और चावल से भी महंगा पड़ता जा रहा है.

चीनी मिलों में व्यवस्थाओं का अभाव
किसानों ने बताया कि प्रशासन के आश्वासन पर उन्होंने गन्ने की बुवाई की, लेकिन नियमित तौर पर चीनी मिलों के न चलने से गन्ने की पेराई नहीं हो पा रही. देरी होने की वजह से गन्ना भी प्रभावित हो रहा है. इसलिए उन्हें मजबूरन गन्ने की पेराई के लिए दूसरे जिलों में जाना पड़ रहा है.

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