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लखपत जेल से पति का सलाम, 51 साल से शायरा को फुरकान का इंतजार

1971 भारत-पाक युद्ध में पाकिस्तान को बड़ी हार का सामना करना पड़ा. 1971 के युद्ध में भारत की 12 दिनों में जीत हो गई. इस युद्ध में शामिल हुए सुलतानपुर के जाबाज फुरकान अहमद को पाकिस्तान ने कैद कर लिया, जिनका परिवार आज भी इंतजार कर रहा है...

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Published : Aug 15, 2020, 12:24 PM IST

sultanpur news
1971 भारत-पाक युद्ध के योद्धा फुरकान का परिवार कर रहा इंतजार .

सुलतानपुर: 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में शामिल हुए जांबाज फुरकान अहमद की पत्नी शायरा आज भी उनका इंतजार कर रही हैं. डेढ़ साल के बच्चे को छोड़कर युद्ध में गए फुरकान की पत्नी शायरा की राह तकते-तकते आंखें बूढी हो चुकी हैं. आज तक फुरकान का न तो शव मिला और न ही मृत्यु की आधिकारिक पुष्टि हुई. हालांकि पाकिस्तान की कोट लखपत जेल से फोन पर आए सलाम ने एक बार फिर उनकी उम्मीदों को तरोताजा कर दिया.

सुलतानपुर शहर से लगभग 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित वजीरपुर गांव है. जहां के निवासी फुरकान अहमद 1971 की लड़ाई में पगडंडियों को पकड़कर रेलवे स्टेशन गए थे. उन दिनों बाढ़ की स्थिति बनी हुई थी. गांव के चारों तरफ पानी भरा हुआ था, लेकिन जांबाज सिपाही विपरीत परिस्थितियों को तोड़ता हुआ पाकिस्तान से लोहा ले रही भारतीय सेना की लड़ाई में शामिल हुआ.

1971 भारत-पाक युद्ध के योद्धा फुरकान का परिवार कर रहा इंतजार .

51 साल से पति फुरकान अहमद का इंतजार कर रही पत्नी शायरा बानो कहती है कि कई बार गृह मंत्रालय, रक्षा मंत्रालय समेत विभिन्न विभागों के जरिए पत्र व्यवहार किया गया, लेकिन आज तक कोई नतीजा नहीं निकला. 1971 की लड़ाई में पाकिस्तान के खिलाफ लड़े थे. फैजाबाद से सूचना मिली कि सारे लोगों की जानकारी मिली है, एक फुरकान को छोड़कर. शायरा की मानें तो वो आज भी उनका इंतजार कर रही हैं. कोट लखपत जेल से फोन का जिक्र करते हुए वह आज भी भावुक हो उठती हैं.
पाकिस्तान जेल से आया था फोन
जानकारी के मुताबिक पाकिस्तान ने उन्हें कैद कर लिया और लाहौर की कोट लखपत जेल में डाल दिया था, जहां पर उन्हें घोर यातनाएं देने की भी जानकारी मिली थी. बेटा इरशाद राहुल गांधी से पिता की खोजबीन करने के लिए पत्र सौंपने जा रहा था. इसी बीच लाहौर की कोट लखपत जेल से फोन आया. चिर परिचित व्यक्ति के जरिए फुरकान ने बेटे से बात की, जिस पर फुरकान में पत्नी को सलाम कहा और दोबारा फोन करने की बात कही. तब से आज तक उस नंबर पर बेटा फोन लगाता रहा, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला. बेटा इरशाद अहमद कहता है कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी को वो पिता के वतन वापसी कराने के लिए पत्र देने जा रहा था. इसी बीच पिता फुरकान का फोन आया. उन्होंने मां को सलाम करने के लिए कहा और दोबारा बात करने के लिए कहा, लेकिन दोबारा बात नहीं हो सकी.


सरकार से परिवार को न उम्मीदी
भारत सरकार के मंत्रियों से कई बार फुरकान का पता लगाने की अपील की गई, लेकिन आज तक कोई ठोस पहल सामने नहीं आ सकी. शायरा की तरफ से जन सूचना के जरिए कई पत्र भेजे गए, गृह मंत्रालय, रक्षा मंत्रालय और प्रधानमंत्री कार्यालय से पत्र व्यवहार किया गया, लेकिन कोई ठोस नतीजा आज तक नहीं निकल सका.

सुलतानपुर: 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में शामिल हुए जांबाज फुरकान अहमद की पत्नी शायरा आज भी उनका इंतजार कर रही हैं. डेढ़ साल के बच्चे को छोड़कर युद्ध में गए फुरकान की पत्नी शायरा की राह तकते-तकते आंखें बूढी हो चुकी हैं. आज तक फुरकान का न तो शव मिला और न ही मृत्यु की आधिकारिक पुष्टि हुई. हालांकि पाकिस्तान की कोट लखपत जेल से फोन पर आए सलाम ने एक बार फिर उनकी उम्मीदों को तरोताजा कर दिया.

सुलतानपुर शहर से लगभग 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित वजीरपुर गांव है. जहां के निवासी फुरकान अहमद 1971 की लड़ाई में पगडंडियों को पकड़कर रेलवे स्टेशन गए थे. उन दिनों बाढ़ की स्थिति बनी हुई थी. गांव के चारों तरफ पानी भरा हुआ था, लेकिन जांबाज सिपाही विपरीत परिस्थितियों को तोड़ता हुआ पाकिस्तान से लोहा ले रही भारतीय सेना की लड़ाई में शामिल हुआ.

1971 भारत-पाक युद्ध के योद्धा फुरकान का परिवार कर रहा इंतजार .

51 साल से पति फुरकान अहमद का इंतजार कर रही पत्नी शायरा बानो कहती है कि कई बार गृह मंत्रालय, रक्षा मंत्रालय समेत विभिन्न विभागों के जरिए पत्र व्यवहार किया गया, लेकिन आज तक कोई नतीजा नहीं निकला. 1971 की लड़ाई में पाकिस्तान के खिलाफ लड़े थे. फैजाबाद से सूचना मिली कि सारे लोगों की जानकारी मिली है, एक फुरकान को छोड़कर. शायरा की मानें तो वो आज भी उनका इंतजार कर रही हैं. कोट लखपत जेल से फोन का जिक्र करते हुए वह आज भी भावुक हो उठती हैं.
पाकिस्तान जेल से आया था फोन
जानकारी के मुताबिक पाकिस्तान ने उन्हें कैद कर लिया और लाहौर की कोट लखपत जेल में डाल दिया था, जहां पर उन्हें घोर यातनाएं देने की भी जानकारी मिली थी. बेटा इरशाद राहुल गांधी से पिता की खोजबीन करने के लिए पत्र सौंपने जा रहा था. इसी बीच लाहौर की कोट लखपत जेल से फोन आया. चिर परिचित व्यक्ति के जरिए फुरकान ने बेटे से बात की, जिस पर फुरकान में पत्नी को सलाम कहा और दोबारा फोन करने की बात कही. तब से आज तक उस नंबर पर बेटा फोन लगाता रहा, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला. बेटा इरशाद अहमद कहता है कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी को वो पिता के वतन वापसी कराने के लिए पत्र देने जा रहा था. इसी बीच पिता फुरकान का फोन आया. उन्होंने मां को सलाम करने के लिए कहा और दोबारा बात करने के लिए कहा, लेकिन दोबारा बात नहीं हो सकी.


सरकार से परिवार को न उम्मीदी
भारत सरकार के मंत्रियों से कई बार फुरकान का पता लगाने की अपील की गई, लेकिन आज तक कोई ठोस पहल सामने नहीं आ सकी. शायरा की तरफ से जन सूचना के जरिए कई पत्र भेजे गए, गृह मंत्रालय, रक्षा मंत्रालय और प्रधानमंत्री कार्यालय से पत्र व्यवहार किया गया, लेकिन कोई ठोस नतीजा आज तक नहीं निकल सका.

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