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सुलतानपुर: बेरीकेटिंग तोड़ गोमती में विसर्जित की गई मां दुर्गा की मूर्तियां

उत्तर प्रदेश के सुलतानपुर में जिलाधिकारी के निर्देश पर नगर पालिका ने सीता कुंड घाट पर मूर्ति विसर्जन की व्यवस्था की थी. वहीं जब मूर्ति विसर्जन की बारी आई तो चंद मूर्तियां विसर्जित होने के बाद ही यह बैरियर टूट गया और आदि गंगा गोमती में मूर्तियां प्रभावित होने लगी.

मूर्ति विसर्जन के लिए तोड़ा प्रदूषण कंट्रोल बैरियर.
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Published : Oct 14, 2019, 8:24 PM IST

सुलतानपुर: जिले में दुर्गा पूजा महोत्सव में इस बार भी समिति के पदाधिकारियों ने आदि गंगा गोमती को रासायनिक प्रदूषण से बचाने के लिए लगाया गया बैरियर तोड़ दिया. जबकि प्रशासन की तरफ से गड्ढा बनाया गया था, जिसमें मूर्तियां विसर्जित की जानी थी. इससे प्रदूषण से आदि गंगा गोमती को बचाया जा सकता था.

मूर्ति विसर्जन के लिए तोड़ा प्रदूषण कंट्रोल बैरियर.

गोमती नदी में की गई मूर्तियां विसर्जित

  • जिलाधिकारी के निर्देश पर नगर पालिका ने सीता कुंड घाट पर मूर्ति विसर्जन की व्यवस्था की थी.
  • इसमें एक गड्ढा जेसीबी से खोदकर बनाया गया था, जिसमें प्रतिमाओं के विसर्जन की तैयारी की गई थी.
  • इसके लिए पालिका ने बजट जारी किया था और व्यवस्था की थी.
  • आदि गंगा गोमती को रसायनिक कचरे से बचाने का बैनर लगाते हुए आह्वान किया गया था.
  • जब मूर्ति विसर्जन की बारी आई तो चंद मूर्तियां विसर्जित होने के बाद ही यह बैरियर टूट गया और आदि गंगा गोमती में मूर्तियां प्रभावित होने लगी.

इसे भी पढ़ें- सुलतानपुर: विसर्जन यात्रा को डीएम, एसपी ने हरी झंडी दिखाकर किया रवाना

सभासद संतोष सिंह कहते हैं कि गोमती को प्रदूषण से बचाने के लिए गड्ढा तैयार किया गया था, लेकिन कुछ मूर्तियां विसर्जन के बाद ही प्रतिमाओं को वापस गोमती नदी में डाला जाने लगा.

सुलतानपुर: जिले में दुर्गा पूजा महोत्सव में इस बार भी समिति के पदाधिकारियों ने आदि गंगा गोमती को रासायनिक प्रदूषण से बचाने के लिए लगाया गया बैरियर तोड़ दिया. जबकि प्रशासन की तरफ से गड्ढा बनाया गया था, जिसमें मूर्तियां विसर्जित की जानी थी. इससे प्रदूषण से आदि गंगा गोमती को बचाया जा सकता था.

मूर्ति विसर्जन के लिए तोड़ा प्रदूषण कंट्रोल बैरियर.

गोमती नदी में की गई मूर्तियां विसर्जित

  • जिलाधिकारी के निर्देश पर नगर पालिका ने सीता कुंड घाट पर मूर्ति विसर्जन की व्यवस्था की थी.
  • इसमें एक गड्ढा जेसीबी से खोदकर बनाया गया था, जिसमें प्रतिमाओं के विसर्जन की तैयारी की गई थी.
  • इसके लिए पालिका ने बजट जारी किया था और व्यवस्था की थी.
  • आदि गंगा गोमती को रसायनिक कचरे से बचाने का बैनर लगाते हुए आह्वान किया गया था.
  • जब मूर्ति विसर्जन की बारी आई तो चंद मूर्तियां विसर्जित होने के बाद ही यह बैरियर टूट गया और आदि गंगा गोमती में मूर्तियां प्रभावित होने लगी.

इसे भी पढ़ें- सुलतानपुर: विसर्जन यात्रा को डीएम, एसपी ने हरी झंडी दिखाकर किया रवाना

सभासद संतोष सिंह कहते हैं कि गोमती को प्रदूषण से बचाने के लिए गड्ढा तैयार किया गया था, लेकिन कुछ मूर्तियां विसर्जन के बाद ही प्रतिमाओं को वापस गोमती नदी में डाला जाने लगा.

Intro:एक्सक्लुसिव खबर
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शीर्षक : सुलतानपुर : धर्मावलंबियों ने तोडा प्रदूषण कंट्रोल बैरियर, गंगा गोमती में घोला जहरीला रसायन।


एंकर : धर्म के नशे में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का बैरियर तोड़ने का सिलसिला जारी है। सुल्तानपुर दुर्गा पूजा महोत्सव में इस बार भी समिति के पदाधिकारियों ने आदि गंगा गोमती को रासायनिक प्रदूषण से बचाने के लिए लगाया गया बैरियर तोड़ दिया और मूर्तियों का आदि गंगा में प्रभाव शुरू कर दिया। जबकि प्रशासन की तरफ से गड्ढा बनाया गया था । जिसमें मूर्तियां विसर्जित की जानी थी। इससे प्रदूषण से आधी गंगा को बचाया जा सकता था।


Body:वीओ : जिलाधिकारी के निर्देश पर नगर पालिका ने सीता कुंड घाट पर मूर्ति विसर्जन की व्यवस्था की थी। जिसमें एक गड्ढा जेसीबी से खोदकर बनाया गया था। जिसमें प्रतिमाओं के विसर्जन की तैयारी की गई थी। इसके लिए पालिका ने बजट जारी किया था। बाकायदा व्यवस्था की गई थी। बोर्ड लगाए गए थे। आदि गंगा को रसायनिक कचरे से.बचाने का बैनर लगाते हुए आह्वान किया गया था । लेकिन जब मूर्ति विसर्जन की बारी आई तो चंद मूर्तियां विसर्जित होने के बाद ही यह बैरियर टूट गया और गंगा में मूर्तियां प्रभावित होने लगी।



बाइट : सभासद संतोष सिंह कहते हैं कि गोमती को प्रदूषण से बचाने के लिए गड्ढा तैयार किया गया था लेकिन कुछ मूर्तियां विसर्जन के बाद ही प्रतिमाओं को वापस गोमती नदी में डाला जाने लगा। सीता कुंड घाट पर पहुंची श्रद्धालु ममता ने कहा कि गड्ढे में विसर्जन से प्रदूषण बचता है । इसे गोमती नदी में रासायनिक कचरा फैलेगा। एक विद्यालय के शिक्षक केपी श्रीवास्तव कहते हैं कि प्रदूषण विसर्जन से नहीं फैलता है। उनका कहना है कि आस्था से खिलवाड़ नहीं होना चाहिए।


Conclusion:आशुतोष मिश्रा सुल्तानपुर 94 15049 256
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