सुलतानपुर: देश में कोलकाता के बाद दूसरे स्थान पर दुर्गा पूजा महोत्सव में खास स्थान रखने वाले सुलातनपुर में विसर्जन यात्रा का शुभारंभ हो चुका है. आदि गंगा गोमती के बगल में बने कृत्रिम कुंड में प्रतिमाओं का विसर्जन शुरु कर दिया गया है. इसमें 101 प्रतिमाओं का विसर्जन किया जाना है. गोमती नदी में प्रतिमाएं न जाएं और सुप्रीम कोर्ट के आदेश का मखौल न उड़े, इसके लिए पुलिस के साथ पीएससी का भी सुरक्षा घेरा बनाया गया है.
सुलतानपुर की ऐतिहासिक दुर्गा पूजा महोत्सव में प्रतिमाएं शहर में विभिन्न रूटों पर भ्रमण करती हैं. पूर्णिमा के दिन से इसकी शुरुआत होती है और दूसरे दिन विसर्जन का कार्यक्रम शुरू होता है. भ्रमण के दौरान मां के जयकारे और उद्घोष गूंजते हैं. लोगों में प्रसाद वितरित किया जाता है और जगह-जगह लंगर चलता है. भंडारे में आने वाले श्रद्धालु जलपान करते हैं.
केंद्रीय पूजा समिति के संरक्षक भजन सेठ ने बताया कि पहले साधारण तौर पर मूर्ति विसर्जन कार्यक्रम चलता था. लोग कंधे पर दुर्गा प्रतिमाएं लेकर विसर्जन के लिए आते थे. लेकिन धीरे-धीरे लोग सुविधाओं के चलते मजबूर होते गए और अपने व्यक्तिगत आचरण और नैतिकता को भूलते गए.
101 प्रतिमाओं के विसर्जन के लिए प्रशासन और केंद्रीय पूजा समिति ने कमर कस ली है. इसके लिए गोमती नदी के तट पर दोहरी बैरिकेडिंग की गई है. इससे गोमती नदी में प्रतिमाओं का विसर्जन नहीं हो सकेगा. यहां अलग कुंड में प्रतिमाओं का विसर्जन किया जाना है. गोमती नदी का पानी यहां पाइप लाइन के जरिए छोड़ा जा रहा है. मुख्य घाट पर कंधे के जरिए प्रतिमाएं आ रही हैं और जयकारों के साथ विसर्जन कार्यक्रम चल रहा है.
शहर में बड़ी दुर्गा की प्रतिमा चौक से विसर्जन यात्रा के लिए निकलती है. इसके पीछे मां काली, मां अंबे समेत अन्य प्रतिमाएं क्रम से भ्रमण के लिए निकलती हैं. लोग दरवाजे-दरवाजे पर मां की पूजा-अर्चना करते हैं. हाथों से रथ खींचे जाते हैं और नृत्य संगीत के जरिए भजन-कीर्तन कार्यक्रम चलता है. इस दौरान पूरा शहर मां के जयकारे और उद्घोष से गूंज उठता है.