ETV Bharat / state

सोनभद्र में दिख रहा जल संचयन का परिणाम, जलस्तर एक मीटर से अधिक बढ़ा - तालाबों की खुदाई

यूपी के सोनभद्र जिले में जल संरक्षण के लिए जिला प्रशासन ने कई सकारात्मक कार्य किए हैं. पेयजल के संकट को दूर करने के लिए जिले में कई तालाबों और कुंओं की खुदाई कराई गई है, जिससे जलस्तर का लेवल एक मीटर तक ऊपर आया है.

सोनभद्र में दिख रहा जल संचयन का परिणाम
सोनभद्र में दिख रहा जल संचयन का परिणाम
author img

By

Published : Sep 13, 2020, 10:14 PM IST

Updated : Sep 17, 2020, 4:14 PM IST

सोनभद्र: जनपद का आधे से अधिक भूभाग जंगल पहाड़ और वन क्षेत्र के रूप में जाना जाता है, जहां गर्मियों के दिनों में पीने के पानी की गंभीर समस्या खड़ी हो जाती है. पानी की समस्या को देखते हुए जिला प्रशासन द्वारा जल संरक्षण और जल संवर्धन को लेकर जिले में कई सकारात्मक कार्य किए गए, जिनका परिणाम भी देखने को मिल रहा है.

जिले में लोगों तक पीने का पानी टैंकरों के जरिए पहुंचता है. पिछले वर्ष की अपेक्षा इस वर्ष 5 गुना कम टैंकरों की सप्लाई हुई है, जिससे सरकारी धनराशि की भी बचत हुई है, जो किसी अन्य कार्य पर अब खर्च की जा सकेगी. पानी के संचयन के लिए जिला प्रशासन की तरफ से कई वर्षों से लगातार काम हो रहा है. वहीं वित्तीय वर्ष 2019-20 में जल संचयन के लिए सबसे अधिक कार्य हुआ, जिसका परिणाम यह रहा कि वित्तीय वर्ष 2020-21 में टैंकरों की सप्लाई बहुत ही कम करनी पड़ी.

जिले में तालाबों की खुदाई कर हो रहा जल संरक्षण.
सोनभद्र प्रदेश का दूसरा सबसे बड़ा जिला है, जो कि 6788 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है. जनपद में कई प्रकार के खनिज पदार्थ पाए जाते हैं. प्रदेश का यह जनपद खनिज से समृद्ध होने के बावजूद भी यहां पानी की एक विकराल समस्या बनी रहती थी. जनपद के कई इलाकों में पेयजल के लिए लोग नदी नाले पर आश्रित हैं.
sonbhadra news
कुंओं का हुआ जीर्णोधार.
वित्तीय वर्ष 2015 में 54 करोड़ की भारी-भरकम धनराशि टैंकर से पेयजल आपूर्ति पर व्यय हुई थी. इसी प्रकार प्रत्येक वर्ष करोड़ों रुपए की धनराशि पेयजल की आपूर्ति पर हुआ करती थी. वित्तीय वर्ष 2018 में लगभग 18 करोड़ रुपए की धनराशि पेयजल की आपूर्ति पर व्यय हुई. वहीं 2019 में 6 करोड़ रुपए की धनराशि खर्च हुई, जबकि इस वर्ष लगभग एक करोड़ की धनराशि व्यय हुई.वित्तीय वर्ष 2019-20 में तालाब की खुदाई, टांका निर्माण कुंओं की खुदाई करवाई गई, जिसकी कुल संख्या लगभग 4000 थी. वित्तीय वर्ष 2020-21 में कोविड-19 के चलते तालाबों की खुदाई और जल संरक्षण की रफ्तार थोड़ी धीमी हो गई. जनपद में कुल तीन हजार कुंओं का पिछले वर्ष जीर्णोंद्धार कराया गया. इसमें 15 करोड रुपए खर्च हुए. वहीं 583 टांका बनाया गया, जिसमें 7 करोड़ रुपए खर्च हुए. जिला प्रशासन का मानना है कि यह उपलब्धि नहीं, बल्कि प्रयास है. हमारी कोशिश यह होगी कि आने वाले समय में किसी भी ग्राम में पानी के टैंकर से जल आपूर्ति न हो. हर ग्रामीण को अपने घर के पास पानी उपलब्ध हो सके.
sonbhadra news
तालाबों में किया जा रहा जल संरक्षण.
पानी की समस्या को लेकर स्थानीय निवासी मोहम्मद इदरीस ने बताया कि पहले से अब स्थिति बेहतर है. उन्होंने बताया कि पहले गर्मियों में नल पानी छोड़ देता था, लेकिन अब जगह-जगह तालाब खुद गए हैं, जिससे अब पानी बना रहता है. मवेशियों के लिए भी अब पानी की दिक्कत नहीं होती है.वहीं जल संरक्षण को लेकर ग्राम प्रधान संदीप मिश्रा ने बताया कि जब से प्रधानमंत्री ने पर्यावरण एवं जल संरक्षण के लिए अभियान चलाया है, हमने इसे एक अभियान के रूप में लिया है. पिछली बार हमारे गांव के एक राजस्व गांव में पानी की सप्लाई टैंकर से होती थी, लेकिन पिछले दो सालों में हमारी ग्राम सभा में एक भी हैंडपंप ने पानी नहीं छोड़ा है. पशु और मवेशियों के लिए जल मुहैया है. वहीं इस संबंध में रॉबर्ट्सगंज सदर से विधायक भूपेश चौबे ने बताया कि सोनभद्र पहाड़ी एरिया है. इस कारण यहां पेयजल का संकट बना रहता था. टैंकरों से पानी सप्लाई हुआ करती थी. 2017 के बाद कुंओं की सफाई और प्राकृतिक जल संरक्षण का काम शुरू हुआ.

जनपद में तीन वर्षों से जल संरक्षण के कार्य लगातार चल रहे हैं. पिछले वर्ष दो हजार तालाब मनरेगा के तहत खुदवाए गए थे. मनरेगा के तहत पानी बचाने के कार्य किए गए. जल संरक्षण एवं जल संचयन का नतीजा यह हुआ कि धीरे-धीरे ग्राउंड वाटर लेवल में वृद्धि हुई है. जियोलॉजी रिपोर्ट के अनुसार एक मीटर से अधिक वाटर लेवल बढ़ा है.
-अजय कुमार द्विवेदी, मुख्य विकास अधिकारी

सोनभद्र: जनपद का आधे से अधिक भूभाग जंगल पहाड़ और वन क्षेत्र के रूप में जाना जाता है, जहां गर्मियों के दिनों में पीने के पानी की गंभीर समस्या खड़ी हो जाती है. पानी की समस्या को देखते हुए जिला प्रशासन द्वारा जल संरक्षण और जल संवर्धन को लेकर जिले में कई सकारात्मक कार्य किए गए, जिनका परिणाम भी देखने को मिल रहा है.

जिले में लोगों तक पीने का पानी टैंकरों के जरिए पहुंचता है. पिछले वर्ष की अपेक्षा इस वर्ष 5 गुना कम टैंकरों की सप्लाई हुई है, जिससे सरकारी धनराशि की भी बचत हुई है, जो किसी अन्य कार्य पर अब खर्च की जा सकेगी. पानी के संचयन के लिए जिला प्रशासन की तरफ से कई वर्षों से लगातार काम हो रहा है. वहीं वित्तीय वर्ष 2019-20 में जल संचयन के लिए सबसे अधिक कार्य हुआ, जिसका परिणाम यह रहा कि वित्तीय वर्ष 2020-21 में टैंकरों की सप्लाई बहुत ही कम करनी पड़ी.

जिले में तालाबों की खुदाई कर हो रहा जल संरक्षण.
सोनभद्र प्रदेश का दूसरा सबसे बड़ा जिला है, जो कि 6788 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है. जनपद में कई प्रकार के खनिज पदार्थ पाए जाते हैं. प्रदेश का यह जनपद खनिज से समृद्ध होने के बावजूद भी यहां पानी की एक विकराल समस्या बनी रहती थी. जनपद के कई इलाकों में पेयजल के लिए लोग नदी नाले पर आश्रित हैं.
sonbhadra news
कुंओं का हुआ जीर्णोधार.
वित्तीय वर्ष 2015 में 54 करोड़ की भारी-भरकम धनराशि टैंकर से पेयजल आपूर्ति पर व्यय हुई थी. इसी प्रकार प्रत्येक वर्ष करोड़ों रुपए की धनराशि पेयजल की आपूर्ति पर हुआ करती थी. वित्तीय वर्ष 2018 में लगभग 18 करोड़ रुपए की धनराशि पेयजल की आपूर्ति पर व्यय हुई. वहीं 2019 में 6 करोड़ रुपए की धनराशि खर्च हुई, जबकि इस वर्ष लगभग एक करोड़ की धनराशि व्यय हुई.वित्तीय वर्ष 2019-20 में तालाब की खुदाई, टांका निर्माण कुंओं की खुदाई करवाई गई, जिसकी कुल संख्या लगभग 4000 थी. वित्तीय वर्ष 2020-21 में कोविड-19 के चलते तालाबों की खुदाई और जल संरक्षण की रफ्तार थोड़ी धीमी हो गई. जनपद में कुल तीन हजार कुंओं का पिछले वर्ष जीर्णोंद्धार कराया गया. इसमें 15 करोड रुपए खर्च हुए. वहीं 583 टांका बनाया गया, जिसमें 7 करोड़ रुपए खर्च हुए. जिला प्रशासन का मानना है कि यह उपलब्धि नहीं, बल्कि प्रयास है. हमारी कोशिश यह होगी कि आने वाले समय में किसी भी ग्राम में पानी के टैंकर से जल आपूर्ति न हो. हर ग्रामीण को अपने घर के पास पानी उपलब्ध हो सके.
sonbhadra news
तालाबों में किया जा रहा जल संरक्षण.
पानी की समस्या को लेकर स्थानीय निवासी मोहम्मद इदरीस ने बताया कि पहले से अब स्थिति बेहतर है. उन्होंने बताया कि पहले गर्मियों में नल पानी छोड़ देता था, लेकिन अब जगह-जगह तालाब खुद गए हैं, जिससे अब पानी बना रहता है. मवेशियों के लिए भी अब पानी की दिक्कत नहीं होती है.वहीं जल संरक्षण को लेकर ग्राम प्रधान संदीप मिश्रा ने बताया कि जब से प्रधानमंत्री ने पर्यावरण एवं जल संरक्षण के लिए अभियान चलाया है, हमने इसे एक अभियान के रूप में लिया है. पिछली बार हमारे गांव के एक राजस्व गांव में पानी की सप्लाई टैंकर से होती थी, लेकिन पिछले दो सालों में हमारी ग्राम सभा में एक भी हैंडपंप ने पानी नहीं छोड़ा है. पशु और मवेशियों के लिए जल मुहैया है. वहीं इस संबंध में रॉबर्ट्सगंज सदर से विधायक भूपेश चौबे ने बताया कि सोनभद्र पहाड़ी एरिया है. इस कारण यहां पेयजल का संकट बना रहता था. टैंकरों से पानी सप्लाई हुआ करती थी. 2017 के बाद कुंओं की सफाई और प्राकृतिक जल संरक्षण का काम शुरू हुआ.

जनपद में तीन वर्षों से जल संरक्षण के कार्य लगातार चल रहे हैं. पिछले वर्ष दो हजार तालाब मनरेगा के तहत खुदवाए गए थे. मनरेगा के तहत पानी बचाने के कार्य किए गए. जल संरक्षण एवं जल संचयन का नतीजा यह हुआ कि धीरे-धीरे ग्राउंड वाटर लेवल में वृद्धि हुई है. जियोलॉजी रिपोर्ट के अनुसार एक मीटर से अधिक वाटर लेवल बढ़ा है.
-अजय कुमार द्विवेदी, मुख्य विकास अधिकारी

Last Updated : Sep 17, 2020, 4:14 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.