सोनभद्र: देश के 115 अति पिछड़े जिलों में शामिल और नीति आयोग की तरफ से आकांक्षी जिला घोषित होने के बाद सोनभद्र जिले में विकास कार्य हेतु वित्तीय वर्ष 2018-19 में 1200 करोड़ रुपये मिले थे. वहीं वित्तीय वर्ष समाप्त होने पर जिला प्रशासन के सभी विभागों ने मिलकर 11 सौ करोड़ 33 लाख रुपये ही खर्च कर पाए, जबकि 67 करोड़ रुपये वापस चले गए.
दरअसल देश के 115 अति पिछड़े जिलों में सोनभद्र जिले को शामिल किया गया था. यही नहीं नीति आयोग की तरफ से सोनभद्र को आकांक्षी जिला भी घोषित किया गया था. अति पिछड़े जिले में शामिल होने पर सोनभद्र को जिले में विकास कार्य हेतु वित्तीय वर्ष 2018-19 में 1200 करोड़ रुपये मिले थे, लेकिन जिले के सभी विभागों ने मिलकर केवल 11 सौ करोड़ 33 लाख रुपये खर्च कर पाए, जबकि 67 करोड़ रुपये वापस चले गए.
जिले के विकास कार्यों के लिए आए रुपयों में से 67 करोड़ रुयपे का वापस होना कहीं न कहीं अधिकारियों की लापरवाही और उनकी कार्यशैली को दर्शा रहा है. इन पैसों की वापसी जिले के महत्वपूर्ण विभागों से हुई है, जिसमें स्वास्थ्य विभाग से 10 करोड़ 98 लाख 637 रुपये, शिक्षा विभाग से 6 करोड़ 66 लाख 33 हजार 599 रुपये, उड्डयन से 7 करोड़ 19 लाख 43 हजार 977 रुपये, कलेक्ट्रेट के मद से 7 करोड़ 63 लाख 46 हजार 407 रुपये, कृषि से 3 करोड़ 15 लाख 18 हजार 436 रुयपे.
वहीं बाल विकास एवं प्रोबेशन का 3 करोड़ 53 लाख 69 हजार 510 रुपये, वन विभाग का 8 करोड़ 20 लाख 18 हजार 614 रुपये, सिंचाई विभाग का 2 करोड़ 51 लाख 69 हजार 89 रुपये. इसी तरीके से अन्य कई विभागों के करोड़ों रुपये खर्च न कर पाने की वजह से वापस हो गए.