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सोनभद्र: खाली पड़ा पोषण पुनर्वास केन्द्र, कुपोषित बच्चे नहीं हो रहे भर्ती

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Published : Nov 6, 2019, 4:06 PM IST

Updated : Sep 17, 2020, 4:13 PM IST

यूपी के सोनभद्र में जिला अस्पताल में खोले गए पोषण पुनर्वास केन्द्र में पिछले एक महीने से कुपोषित बच्चे भर्ती नहीं हो रहे हैं. इसे लेकर चिकित्सक का कहना है कि त्योहारों का सीजन और कटाई होने की वजह से बच्चों को नहीं लाया जा रहा है.

एक महीने से खाली पड़ा पोषण पुनर्वास केन्द्र.

सोनभद्र: प्रदेश में कुपोषण से बच्चों को मुक्ति दिलाने के लिये पोषण पुनर्वास केन्द्र खोले गए हैं, लेकिन जिला अस्पताल के पोषण पुनर्वास केन्द्र में पिछले एक महीने से एक भी कुपोषित बच्चे भर्ती नहीं किए गए हैं. इसे लेकर चिकित्सक का कहना है कि त्योहारों का सीजन और कटाई होने की वजह से बच्चों को नहीं लाया जा रहा है.

एक महीने से खाली पड़ा पोषण पुनर्वास केन्द्र.

कुपोषित बच्चों का किया जाता है उपचार-

  • जिला अस्पताल में कुपोषण पुनर्वास केन्द्र खोला गया है.
  • शून्य से पांच वर्ष के कुपोषित बच्चों का उपचार किया जाता है.
  • अति कुपोषित बच्चों और उनकी मां को 15 से 25 दिन तक रखा जाता है.
  • भर्ती बच्चे की माता को दैनिक भत्ता दिया जाता है.
  • बच्चों को भर्ती कराने की जिम्मेदारी आशा और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की होती है.
  • पिछले एक माह से केंद्र में एक भी कुपोषित बच्चा भर्ती नहीं हुआ है.
  • बाल विकास और पुष्टाहार विभाग के सितम्बर माह के सर्वे में 2,06,573 बच्चों में से 35,734 बच्चे कुपोषित हैं, जिनमें 5,684 बच्चे अति कुपोषित हैं.

यह भी पढ़ें: पुलिस-वकील विवाद पर बोले पूर्व डीजीपी प्रकाश सिंह, दोनों ओर से लांघा गया कानून

त्योहार का सीजन और कटाई होने की वजह से आंगनबाड़ी और आशा कार्यकर्ता अति कुपोषित बच्चों को भर्ती के लिए नहीं ला रही हैं. अति कुपोषित बच्चों के माता-पिता कटाई के काम में व्यस्त हैं.
डॉ. रंजीता चौधरी, पोषण पुनर्वास केन्द्र

सोनभद्र: प्रदेश में कुपोषण से बच्चों को मुक्ति दिलाने के लिये पोषण पुनर्वास केन्द्र खोले गए हैं, लेकिन जिला अस्पताल के पोषण पुनर्वास केन्द्र में पिछले एक महीने से एक भी कुपोषित बच्चे भर्ती नहीं किए गए हैं. इसे लेकर चिकित्सक का कहना है कि त्योहारों का सीजन और कटाई होने की वजह से बच्चों को नहीं लाया जा रहा है.

एक महीने से खाली पड़ा पोषण पुनर्वास केन्द्र.

कुपोषित बच्चों का किया जाता है उपचार-

  • जिला अस्पताल में कुपोषण पुनर्वास केन्द्र खोला गया है.
  • शून्य से पांच वर्ष के कुपोषित बच्चों का उपचार किया जाता है.
  • अति कुपोषित बच्चों और उनकी मां को 15 से 25 दिन तक रखा जाता है.
  • भर्ती बच्चे की माता को दैनिक भत्ता दिया जाता है.
  • बच्चों को भर्ती कराने की जिम्मेदारी आशा और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की होती है.
  • पिछले एक माह से केंद्र में एक भी कुपोषित बच्चा भर्ती नहीं हुआ है.
  • बाल विकास और पुष्टाहार विभाग के सितम्बर माह के सर्वे में 2,06,573 बच्चों में से 35,734 बच्चे कुपोषित हैं, जिनमें 5,684 बच्चे अति कुपोषित हैं.

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त्योहार का सीजन और कटाई होने की वजह से आंगनबाड़ी और आशा कार्यकर्ता अति कुपोषित बच्चों को भर्ती के लिए नहीं ला रही हैं. अति कुपोषित बच्चों के माता-पिता कटाई के काम में व्यस्त हैं.
डॉ. रंजीता चौधरी, पोषण पुनर्वास केन्द्र

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Anchor - केन्द्र और प्रदेश सरकार कुपोषण से बच्चो को मुक्ति दिलाने के लिये पोषण पुनर्वास केन्द्र खोल कर भले ही लाख दावे कर रही हो लेकिन सोनभद्र जिले में हकीकत कुछ और ही है। इस पोषण पुनर्वास केन्द्र में शून्य से पांच वर्ष के अति कुपोषित बच्चो का उपचार किया जाता है। जिले के बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग के सितम्बर माह में हुए सर्वे मे 206573 बच्चो में से 35734 बच्चे कुपोषित जिनमे 5684 बच्चे अति कुपोषित है। जिला अस्पताल में खुले पोषण पुनर्वास केन्द्र में अति कुपोषित बच्चो का उपचार होता है लेकिन पिछले एक माह से इस केंद्र में एक भी कुपोषित बच्चे भर्ती नही हुए है। इस पर पोषण पुनर्वास के चिकित्सक का कहना है कि अक्टूबर माह में अधिक त्यौहार का दिन होने की वजह से आंगनबाड़ी और आशा कार्यकर्ताओ द्वारा अति कुपोषित बच्चों को नही लाया जा रहा है। इस केंद्र में पिछले एक सप्ताह से अति कुपोषित बच्चे नही लाये जा रहे है।

Body:Vo 1 - सोनभद्र में शून्य से पांच वर्ष तक के बच्चो को अति कुपोषण से मुक्ति दिलाने के लिए जिला अस्पताल में कुपोषण पुनर्वास केन्द्र खोला गया है। इस पुनर्वास केन्द्र में पिछले एक माह से एक भी कुपोषित बच्चो की भर्ती नही हुई है। दस बेड वाले इस केन्द्र में अति कुपोषित बच्चो का उपचार कर उन्हें स्वस्थ्य किया जाता है। यहां पर आने वाले अति कुपोषित बच्चो और उनकी मां को पंद्रह दिन से 25 दिन तक रखा जाता है। इस केन्द्र में जिले के विभिन्न क्षेत्रों में तैनात आशा , आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की जिम्मेदारी होती है कि वे अति कुपोषित बच्चो को पोषण पुनर्वास केन्द्र में भर्ती कराये लेकिन एक माह से सभी बेड खाली पड़े है। जिससे यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि जिले में कुपोषण को लेकर स्वास्थ्य और बाल विकास विभाग अपनी जिम्दारियों के प्रति कितना सजग है।

Conclusion:Vo 2 - इस पर पोषण पुनर्वास के चिकित्सक का कहना है कि धान कटाई और त्यौहार का सीजन होने की वजह से आंगनबाड़ी और आशा कार्यकर्ताओ द्वारा अति कुपोषित बच्चों को नही लाया जा रहा है। क्षेत्र में मिलने वाले अति कुपोषित बच्चो के माता-पिता कटाई के माध्यम से अपनी साल भर का आजीविका तैयार करते है ताकि अन्य बच्चो का पालन पोषण कर सके। इस केंद्र में पिछले एक सप्ताह से अति कुपोषित बच्चे नही लाये जा रहे है। यहां अति कुपोषित बच्चों का 15 से 25 दिन तक उपचार चलता है जिसमे दवा और जांच मुफ्त है इसके साथ ही भर्ती बच्चे की माता को दैनिक भत्ता दिया जाता है।

Byte - डा . रंजीता चौधरी (चिकित्सक , पोषण पुनर्वास केन्द्र , जिला अस्पताल सोनभद्र)



चन्द्रकान्त मिश्रा
सोनभद्र
मो0 9450323031
Last Updated : Sep 17, 2020, 4:13 PM IST
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