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जानिए क्यों, परंपरागत खेती छोड़ फूलों की खेती कर रहे हैं यहां के किसान - up news

सोनभद्र जिले में कई सारे किसान पारंपरिक खेती छोड़कर आधुनिक खेती की ओर बढ़ रहे हैं. किसानों का कहना है कि पारम्परिक खेती की तुलना में यह चार गुणा फायदा देने वाला काम है.

परंपरागत खेती की अपेक्षा कम लागत में मिलता है अधिकतम लाभ.
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Published : May 8, 2019, 9:24 AM IST

Updated : Sep 17, 2020, 4:13 PM IST


सोनभद्र: जिले में परंपरागत खेती से हटकर गेंदा के फूल की खेती कर किसान अपनी आय को चार गुना बढ़ा रहे हैं. सदर विकासखंड के मानपुर गांव के किसान बाबूलाल मौर्या ने परंपरागत खेती छोड़कर सब्जी की खेती करना शुरु किया. इसके बाद उद्यान विभाग द्वारा उनको अनुदान मिलने पर उन्होंने गेंदा के फूल की खेती करनी शुरू की.

परंपरागत खेती की अपेक्षा कम लागत में मिलता है अधिकतम लाभ.

कौन हैं बाबूलाल

  • सोनभद्र के मानपुर गांव के रहने वाले प्रगतिशील किसान हैं बाबूलाल मौर्या.
  • करीब 10 विश्वा जमीन में गेंदा के फूल की खेती करने के बाद उनको अन्य फसलों की अपेक्षा कम लागत में अधिक मुनाफा मिल रहा है.
  • बाबूलाल अपनी पूरी खेती जैविक विधि से करते हैं, जिसमे वह घर पर ही खाद पैदा कर लेते हैं.
  • बाबूलाल को कई बार जिला उद्यान विभाग, कृषि विभाग और अन्य किसान गोष्ठियों में सम्मानित किया जा चुका है.

कैसे शुरू हुआ फूल की खेती का सफर

  • मंडियों में सब्जी ले जाने के बाद वहां बाबूलाल को सब कुछ दिखता था, लेकिन गेंदा का कहीं नहीं दिखाई देता था.
  • इसके बाद उन्होंने गेंदा के फूल की खेती का मन बनाया और जिला उद्यान विभाग से संपर्क किया.
  • यहां से उन्हें एक हेक्टेयर के लिए अनुदान के रूप में बीज मुफ्त में ही मिल गया, जिसके बाद उन्होंने एक बीघे में फूल की खेती शुरू की.

फूल की खेती में न ही कीटनाशक की आवश्यकता है और न ही खाद की. परंपरागत खेतियों की तुलना में गेंदा के फूल की खेती अधिक लाभदायक है. परंपरागत खेती की अपेक्षा इसमें चौगुना फायदा हो रहा है.
-बाबूलाल मौर्या, प्रगतिशील किसान

गेंदा की खेती के लिए सरकार से अनुदान देने का प्रावधान है, जिसके तहत जिले के कई किसानों को इसका लाभ मिल रहा है. किसान अब परंपरागत खेती को छोड़कर आधुनिक खेती कर रहे हैं. किसानों को इससे काफी लाभ मिल भी रहा है.

-सुनील कुमार, जिला उद्यान अधिकारी


सोनभद्र: जिले में परंपरागत खेती से हटकर गेंदा के फूल की खेती कर किसान अपनी आय को चार गुना बढ़ा रहे हैं. सदर विकासखंड के मानपुर गांव के किसान बाबूलाल मौर्या ने परंपरागत खेती छोड़कर सब्जी की खेती करना शुरु किया. इसके बाद उद्यान विभाग द्वारा उनको अनुदान मिलने पर उन्होंने गेंदा के फूल की खेती करनी शुरू की.

परंपरागत खेती की अपेक्षा कम लागत में मिलता है अधिकतम लाभ.

कौन हैं बाबूलाल

  • सोनभद्र के मानपुर गांव के रहने वाले प्रगतिशील किसान हैं बाबूलाल मौर्या.
  • करीब 10 विश्वा जमीन में गेंदा के फूल की खेती करने के बाद उनको अन्य फसलों की अपेक्षा कम लागत में अधिक मुनाफा मिल रहा है.
  • बाबूलाल अपनी पूरी खेती जैविक विधि से करते हैं, जिसमे वह घर पर ही खाद पैदा कर लेते हैं.
  • बाबूलाल को कई बार जिला उद्यान विभाग, कृषि विभाग और अन्य किसान गोष्ठियों में सम्मानित किया जा चुका है.

कैसे शुरू हुआ फूल की खेती का सफर

  • मंडियों में सब्जी ले जाने के बाद वहां बाबूलाल को सब कुछ दिखता था, लेकिन गेंदा का कहीं नहीं दिखाई देता था.
  • इसके बाद उन्होंने गेंदा के फूल की खेती का मन बनाया और जिला उद्यान विभाग से संपर्क किया.
  • यहां से उन्हें एक हेक्टेयर के लिए अनुदान के रूप में बीज मुफ्त में ही मिल गया, जिसके बाद उन्होंने एक बीघे में फूल की खेती शुरू की.

फूल की खेती में न ही कीटनाशक की आवश्यकता है और न ही खाद की. परंपरागत खेतियों की तुलना में गेंदा के फूल की खेती अधिक लाभदायक है. परंपरागत खेती की अपेक्षा इसमें चौगुना फायदा हो रहा है.
-बाबूलाल मौर्या, प्रगतिशील किसान

गेंदा की खेती के लिए सरकार से अनुदान देने का प्रावधान है, जिसके तहत जिले के कई किसानों को इसका लाभ मिल रहा है. किसान अब परंपरागत खेती को छोड़कर आधुनिक खेती कर रहे हैं. किसानों को इससे काफी लाभ मिल भी रहा है.

-सुनील कुमार, जिला उद्यान अधिकारी

Intro:डे प्लान की स्पेशल स्टोरी

Anchor- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा किसानों की आय 2022 तक दोगुनी करने का वादा किया है तो वही अन्य दलों ने इसको चुनावी मुद्दा बनाया है लेकिन सोनभद्र में इसका असर देखने को मिल रहा है यहां परंपरागत खेती से हटकर गेंदा के फूल की खेती करके किसान अपनी आए को चार गुणा कर रहे हैं। सदर विकासखंड के मानपुर गांव के प्रगतिशील किसान बाबूलाल मौर्या ने परंपरागत खेती गेहूं, चना ,मटर को छोड़कर सब्जी की खेती करना शुरु किया है जिसमे उनको उद्यान विभाग द्वारा अनुदान मिलने पर बाबूलाल ने गेंदा के फूल की खेती 10 विश्वा में किया है। परंपरागत खेती से चार गुणा अधिक लाभ कमाया।बाबूलाल का कहना है कि दस विश्वा में गेहूं की खेती करने से बहुत अधिक लाभ होगा तो 10 हजार से 15 हजार तक लेकिन गेंदा के फूल की खेती में लगभग 50 से 60 हजार शुद्ध लाभ मिलेगा।
गेंदा के फूल की खेती पर जिला उद्यान विभाग के अधिकारी का कहना है कि जिले में तीन वर्षों से फूल की खेती किया जा रहा है यह हमारी योजना के अंतर्गत आता है इसके लिए सब्सिडी भी दिया जाता है ।किसान परंपरागत खेती से हटकर जैसा कि सरकार की मनसा भी है कि किसानों की 2022 तक आय दोगुना करना है जिसमें फूलों की खेती कारगर साबित हो रही है इसमें किसान गेंहू या धान की तुलना में तीन से चार गुणा अधिक फायदा कमाता है।





Body:Vo1-केंद्र सरकार के मंसूबे को साकार रूप देने का काम कर रहे है जनपद सोनभद्र के प्रगतिशील किसान बाबूलाल मौर्या जो परंपरागत खेतियों धान,गेंहू,मटर, चना के बजाय आधुनिक युग की वैज्ञानिक विधि से व्यावसायिक खेती कर रहे है जिससे उनको दो गुना नही चौगुना लाभ मिल रहा है।

नीति आयोग द्वारा देश के 115 आती पिछड़े जिलों की सूची में भले ही सोनभद्र शामिल हो लेकिन यहां किसान परंपरागत खेती से हट का फूलों की खेती के तरफ ध्यान दे रहे हैं जिसका परिणाम यह है कि उनकी आय चार गुनी बढ़ गयी हैं ।

जनपद सोनभद्र के एक छोटे से गांव मानपुर में रहने वाले प्रगतिशील किसान बाबूलाल मौर्या ने तकरीबन 10 विश्वा में गेंदा के फूल की खेती किया है जिससे उनको अन्य फसलों की अपेक्षा कम लागत में अधिक मुनाफा मिल रहा है।इतना ही नही बाबूलाल अपनी पूरी खेती जैविक विधि से करते है जिसमे घर पर ही खाद पैदा कर लेते है और गेंदा फूल के अलावा सब्जियों की खेती भी जैविक विधि से करते है जिसमे इनको काफी मुनाफा होता है ।इसके लिए बाबूलाल को कई बार जिला उद्यान विभाग,कृषि विभाग व अन्य किसान गोष्ठियों में सम्मानित किया जा चुका है।

बाबूलाल ने बताया कि मंडियों में सब्जी लेकर जाते थे तो उन्हें सब कुछ दिखता था लेकिन गेंदा का फूल मंडी में नही दिखाई देता था तो उन्होंने गेंदा के फूल की खेती का मन बनाया और गेंदा की खेती के लिए जिला उद्यान विभाग से संपर्क किया जहां से पिछले साल उन्हें एक हेक्टेयर के लिए अनुदान के रूप में बीज मुफ्त में ही मिल गया लेकिन बाबूलाल केवल एक विघा ही खेती कर पाए जिसमे उन्हें सब्जी की खेती से भी अधिक लाभ मिला।
आगे बाबूलाल का कहना है कि फूल की खेती में कोई लागत नही है इसमें ना ही कीटनाशक की आवश्यकता है और ना ही खाद या अधिक देखभाल की।

इस वर्ष भी बाबुलाल ने 10 विश्वा गेंदा का पौधा लगाया है और आगे धीरे-धीरे लगा रहे है।परंपरागत खेतियों की तुलना में गेंदा फूल की खेती अधिक लाभदायक है क्योंकि इसमें खाद ,बीज का कोई लफड़ा नही है यही कारण है कि परंपरागत खेती की अपेक्षा इसमें चौगुना फायदा हो रहा है। आगे बाबूलाल का कहना है कि दस विश्वा में गेहूं की खेती करने से बहुत अधिक लाभ होगा तो 10 हजार से 15 हजार तक लेकिन गेंदा के फूल की खेती में लगभग 50 से 60 हजार शुद्ध लाभ मिलेगा।

Byte-बाबूलाल मौर्या(प्रगतिशील किसान)


Conclusion:Vo2-वही जिला उद्यान अधिकारी सुनील कुमार ने बताया कि गेंदा की खेती के लिए सरकार से अनुदान देने का प्रावधान है जिससे तहत जनपद सोनभद्र के कई किसानों को इसका लाभ मिल रहा है ।वही आगे बताया कि तमाम किसान अब परंपरागत खेती को त्याग कर आधुनिक गेंदा की खेती कर रहे है जिससे उनको काफी लाभ मिल रहा है वही आगे बताया कि मानपुर के बाबूलाल मौर्या और चोपन ब्लाक के खरौंधी गांव के फोरोज आलम ने व्यापक पैमाने पर गेंदा फूल की खेती किया है जैसा कि सरकार की मंशा है कि 2022 तक सभी किसानों की आय दोगुनी हो तो निश्चित तौर पर यह कहा जा सकता है कि गेंदा की खेती करने से किसानों की आय दोगुनी ही नही चौगुनी हो जाएगी।

Byte-सुनील कुमार(जिला उद्यान अधिकार,सोनभद्र)


चन्द्रकान्त मिश्रा
सोनभद्र
मो0 9450323031
Last Updated : Sep 17, 2020, 4:13 PM IST
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