सोनभद्र: वित्तविहीन विद्यालयों में पढ़ाने वाले शिक्षकों ने भारी संख्या में कलेक्ट्रेट पहुंचकर प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री एवं शिक्षा मंत्री के नाम एसडीएम को ज्ञापन सौंपा. इन लोगों का कहना है कि उत्तर प्रदेश के माध्यमिक वित्तविहीन विद्यालयों में कार्यरत शिक्षकों एवं शिक्षणेत्तर कर्मचारियों को पिछले कुछ महीने से मानदेय उपलब्ध नहीं हुआ है. जिसकी वजह से उनके परिवार के भरण-पोषण के लिए समस्या खड़ी हो रही है. इसके मद्देनजर शिक्षकों ने चेतावनी दी कि अतिशीघ्र मानदेय उपलब्ध कराया जाए, नहीं तो प्रदेश के शिक्षक उग्र आंदोलन करेंगे और इसकी जिम्मेदारी सरकार की होगी.
'मिलती है कम पारिश्रमिक'
वित्तविहीन शिक्षकों का कहना है कि उत्तर प्रदेश की माध्यमिक शिक्षा में लगभग 454 ऐडेड और 500 राजकीय सहित कुल 6000 विद्यालयों के सापेक्ष लगभग 42,000 सेल्फ फाइनेंस विद्यालय संचालित हैं. इनमें कार्यरत लगभग साढ़े तीन लाख शिक्षक प्रदेश के माध्यमिक शिक्षा के लगभग 87% परीक्षार्थी को शिक्षित करते हैं. शिक्षक अपने विद्यालय में जमा होने वाले शुल्क से ही वेतन के रूप में बहुत ही कम पारिश्रमिक प्राप्त करते हैं.
संकट में परिवार
शिक्षकों ने बताया कि वित्तविहीन शिक्षक व्यक्तिगत कोचिंग करके अपने एवं अपने परिवार का भरण-पोषण बड़ी कठिनाई के साथ कर पाते हैं. पिछले कुछ महीने से विद्यालयों के विभिन्न कारणों से बंद होने के कारण विद्यार्थी अध्ययन के लिए नहीं आ रहे हैं. लॉकडाउन के चलते विद्यालय में फीस ना आने के कारण विगत मार्च माह से किसी प्रकार का मानदेय नहीं मिला है. कोचिंग वगैरह भी नहीं चल रही है, जिसकी वजह से भरण-पोषण तक का इंतजाम नहीं हो पा रहा है. इस परिस्थिति में शिक्षक एवं शिक्षणेत्तर कर्मचारी और उनका परिवार काफी संकट में है.
मांग न पूरी होने पर करेंगे आंदोलन
शिक्षकों का कहना है कि प्रवासी मजदूरों एवं अन्य समस्या ग्रस्त लोगों को आर्थिक मदद उपलब्ध कराए जा रहे हैं, परन्तु इस बात का दुख है कि इस हिस्से में संगठन के द्वारा कई बार यह समस्या संज्ञान में लाने के बावजूद उन्हें किसी प्रकार की आर्थिक सहायता प्राप्त नहीं हुई. इससे वह भुखमरी की कगार पर पहुंच गए हैं. 10 जुलाई तक अगर उनकी मांग पूरी नहीं होती है, तो ऐसी स्थिति में हताश और निराश शिक्षक प्रदेश में उग्र आंदोलन करने के लिए बाध्य होंगे, जिसकी समस्त जिम्मेदारी सरकार की होगी.
वित्तविहीन शिक्षकों का कहना है कि उनके भरण-पोषण व अभिलंब मासिक मानदेय की व्यवस्था की जाए. इसमें किसी भी प्रकार का विलंब अगर हो, तो उसे तत्काल कम से कम 15,000 रुपये प्रति शिक्षक एवं शिक्षणेत्तर कर्मचारी को सहायता राशि उपलब्ध कराई जाए.