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26 जनवरी को BJP कर सकती है 75 जिलाध्यक्षों की घोषणा, बचे हुए नामों की सूची होगी होल्ड! - BJP POLITICS

प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी के कुल 98 संगठनात्मक जिले हैं.

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फाइल फोटो (Photo credit: ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jan 23, 2025, 7:16 PM IST

लखनऊ : बीजेपी के जिलाध्यक्षों की सूची अब फाइनल होगी. सूची 25 से 26 जनवरी के बीच ये सूची घोषित की जा सकती है. फिलहाल 98 में से 75 से 80 जिलाध्यक्ष घोषित किए जा सकते हैं, जबकि बचे हुए जिलों के जिलाध्यक्षों की सूची को होल्ड किया जा सकता है.



जिलाध्यक्ष बनने को प्रदेशभर के दावेदारों ने लखनऊ में जोर-आजमाइश में पूरा दमखम झोंक रखा है. प्रदेश कार्यालय पर दावेदारों व उनके समर्थकों की भीड़ बनी हुई है. प्रदेश मुख्यालय पर जिलाध्यक्ष पद के दावेदारों के आवेदनों की स्क्रीनिंग का सिलसिला अब समाप्त हो गया है. प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के कुल 98 संगठनात्मक जिले हैं. इनमें से करीब 90 में नामांकन प्रक्रिया कराई गई थी. बीजेपी के उच्च पदस्थ सूत्रों ने बताया कि 75 से 80 के बीच नये जिलाध्यक्षों की घोषणा 25 से 26 जनवरी के बीच हो सकती है. बीजेपी के जिलाध्यक्ष चयन में सिफारिश के जोर देखते हुए राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने अपने वीटो लगा दिया है. संघ ने लगातार सिफारिशी नेताओं के आगे बढ़ाए जाने को लेकर नाराजगी जताई है. जिसके बाद स्क्रीनिंग और कड़ी हो गई है.

बता दें कि कुछ समय पहले प्रदेश भाजपा नेतृत्व की समन्वय बैठक नोएडा में हुई थी. बैठक में राज्य के संगठनात्मक चुनाव का मुद्दा गूंजा था. प्रांत प्रचारकों ने अपना फीडबैक दिया था, जिसमें मंडल चुनाव के बाद जिलाध्यक्ष चयन की चल रही प्रक्रिया में कैडर कार्यकर्ताओं की नाराजगी झलक रही थी. संघ ने साफ संदेश दिया है कि सांसद-विधायक या स्थानीय से लेकर पंचायत चुनाव में चाहे जो प्रत्याशी बने, लेकिन संगठन संघ व भाजपा से जुड़े कैडर ही चलाएंगे. ऐसे में संगठनात्मक पद देते समय इस बात का पूरा ख्याल रखा जाएगा. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह अरुण कुमार ने बैठक में कहा था कि संघ व भाजपा की प्रदेश टीम से समन्वय के तमाम बिंदुओं पर चर्चा की थी. बैठक में पूर्वी और पश्चिमी उत्तर प्रदेश क्षेत्र के दोनों क्षेत्र प्रचारकों समेत भाजपा प्रदेश अध्यक्ष भी मौजूद थे.

संघर्षशील कैडर ही बनाए जाएं जिलाध्यक्ष : समन्वय बैठक में कहा गया है कि बेदाग और संघर्षशील-समर्पित कैडर में से ही जिलाध्यक्ष चुना जाए तो बेहतर परिणाम आएंगे. पिछले लोकसभा चुनाव में हार के लिए जिन जिलाध्यक्षों की लापरवाही सामने आई थी, उन्हें कतई जिम्मेदारी न दी जाए. दो साल पूरा करने वाले और 60 साल की उम्र का पालन हो, लेकिन कोई न मिले तो संघ से ऐसे लोगों का चयन किया जाए. प्रदेश में नए भाजपा प्रदेश अध्यक्ष के नाम के ऐलान से पहले संघ की बैठक बेहद महत्वपूर्ण मानी जा रही है. सूत्रों के अनुसार, संघ के सह सरकार्यवाह ने संगठनात्मक चुनाव प्रक्रिया में बूथ से लेकर मंडल तक से आई शिकायतों की स्क्रीनिंग करते हुए क्षेत्र प्रचारकों ने मत रखा. यह भी बातें आईं कि तमाम विधायक अपने खास को संगठन में एंट्री दिला रहे हैं.

लखनऊ : बीजेपी के जिलाध्यक्षों की सूची अब फाइनल होगी. सूची 25 से 26 जनवरी के बीच ये सूची घोषित की जा सकती है. फिलहाल 98 में से 75 से 80 जिलाध्यक्ष घोषित किए जा सकते हैं, जबकि बचे हुए जिलों के जिलाध्यक्षों की सूची को होल्ड किया जा सकता है.



जिलाध्यक्ष बनने को प्रदेशभर के दावेदारों ने लखनऊ में जोर-आजमाइश में पूरा दमखम झोंक रखा है. प्रदेश कार्यालय पर दावेदारों व उनके समर्थकों की भीड़ बनी हुई है. प्रदेश मुख्यालय पर जिलाध्यक्ष पद के दावेदारों के आवेदनों की स्क्रीनिंग का सिलसिला अब समाप्त हो गया है. प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के कुल 98 संगठनात्मक जिले हैं. इनमें से करीब 90 में नामांकन प्रक्रिया कराई गई थी. बीजेपी के उच्च पदस्थ सूत्रों ने बताया कि 75 से 80 के बीच नये जिलाध्यक्षों की घोषणा 25 से 26 जनवरी के बीच हो सकती है. बीजेपी के जिलाध्यक्ष चयन में सिफारिश के जोर देखते हुए राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने अपने वीटो लगा दिया है. संघ ने लगातार सिफारिशी नेताओं के आगे बढ़ाए जाने को लेकर नाराजगी जताई है. जिसके बाद स्क्रीनिंग और कड़ी हो गई है.

बता दें कि कुछ समय पहले प्रदेश भाजपा नेतृत्व की समन्वय बैठक नोएडा में हुई थी. बैठक में राज्य के संगठनात्मक चुनाव का मुद्दा गूंजा था. प्रांत प्रचारकों ने अपना फीडबैक दिया था, जिसमें मंडल चुनाव के बाद जिलाध्यक्ष चयन की चल रही प्रक्रिया में कैडर कार्यकर्ताओं की नाराजगी झलक रही थी. संघ ने साफ संदेश दिया है कि सांसद-विधायक या स्थानीय से लेकर पंचायत चुनाव में चाहे जो प्रत्याशी बने, लेकिन संगठन संघ व भाजपा से जुड़े कैडर ही चलाएंगे. ऐसे में संगठनात्मक पद देते समय इस बात का पूरा ख्याल रखा जाएगा. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह अरुण कुमार ने बैठक में कहा था कि संघ व भाजपा की प्रदेश टीम से समन्वय के तमाम बिंदुओं पर चर्चा की थी. बैठक में पूर्वी और पश्चिमी उत्तर प्रदेश क्षेत्र के दोनों क्षेत्र प्रचारकों समेत भाजपा प्रदेश अध्यक्ष भी मौजूद थे.

संघर्षशील कैडर ही बनाए जाएं जिलाध्यक्ष : समन्वय बैठक में कहा गया है कि बेदाग और संघर्षशील-समर्पित कैडर में से ही जिलाध्यक्ष चुना जाए तो बेहतर परिणाम आएंगे. पिछले लोकसभा चुनाव में हार के लिए जिन जिलाध्यक्षों की लापरवाही सामने आई थी, उन्हें कतई जिम्मेदारी न दी जाए. दो साल पूरा करने वाले और 60 साल की उम्र का पालन हो, लेकिन कोई न मिले तो संघ से ऐसे लोगों का चयन किया जाए. प्रदेश में नए भाजपा प्रदेश अध्यक्ष के नाम के ऐलान से पहले संघ की बैठक बेहद महत्वपूर्ण मानी जा रही है. सूत्रों के अनुसार, संघ के सह सरकार्यवाह ने संगठनात्मक चुनाव प्रक्रिया में बूथ से लेकर मंडल तक से आई शिकायतों की स्क्रीनिंग करते हुए क्षेत्र प्रचारकों ने मत रखा. यह भी बातें आईं कि तमाम विधायक अपने खास को संगठन में एंट्री दिला रहे हैं.



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