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लॉकडाउन के चलते नहीं बिका सोनभद्र का पान, किसान परेशान

उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले में पान किसान लॉकडाउन की वजह से लाखों को नुकसान झेल रहे हैं. लॉकडाउन की वजह से पान के पत्ते मंडी तक नहीं पहुंच सके और खेतों में सड़ गए.

खराब हुए पान के पत्ते खेत से हटाता किसान
खराब हुए पान के पत्ते खेत से हटाता किसान
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Published : Jun 25, 2020, 1:34 PM IST

Updated : Sep 17, 2020, 4:13 PM IST

सोनभद्र: वैश्विक महामारी कोविड-19 की वजह से हुए लॉकडाउन में किसानों एवं व्यापारियों को काफी नुकसान हुआ है. सोनभद्र के चतरा और घोरावल विकासखंड में काफी संख्या में किसान पान की खेती करते हैं, लेकिन लॉकडाउन की वजह से उनका पान खेतों में ही खराब हो गया. अब उनके सामने रोजी रोटी की समस्या खड़ी हो रही है.

लॉकडाउन के चलते नहीं बिका पान

जिले में किसान केवल पान की खेती से ही अपना पूरा परिवार चलाते हैं. इसी पान की खेती में पान लगाने से लेकर उसकी देखभाल, पान की तुड़ाई और बाजार में ले जाकर बेचने का काम भी खुद ही करते हैं, लेकिन कोरोना वायरस के चलते इस वर्ष पान की बिल्कुल बिक्री नहीं हुई. इससे पान की खेती करने वाले किसानों के चेहरे पर मायूसी है.

पूर्वांचल में लोग पान के शौकीन

पूर्वांचल में ज्यादातर लोग पान के शौकीन हैं. यहां ज्यादातर लोग घर पर ही पान खाने की पूरी व्यवस्था रखते हैं. इसके अलावा पान का उपयोग पूजा-पाठ से लेकर अन्य जगहों पर भी होता है. शादी-विवाह सहित अन्य शुभ अवसरों पर भोजन के बाद पान खाना शुभ माना जाता है. ऐसा माना जाता है कि पान का पत्ता खाना स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है, लेकिन कोरोान महामारी के चलते पान का व्यवसाय पूरी तरह से चौपट हो गया है. अब व्यापारी सरकार से मदद की आस लगाए हैं.

वाराणसी तक होती है सप्लाई

पान की सप्लाई जनपद के अलावा वाराणसी तक भी होती है, लेकिन लॉकडाउन में पान खेत में ही पड़े-पड़े सड़ गए. आमदनी न होने से पान के किसान हताश और मायूस हैं. क्योंकि इन्होंने बड़ी ही मेहनत और लगन से पान की खेती तैयार की थी. लॉकडाउन से पहले फसल लगभग तैयार हो गई थी, लेकिन लॉकडाउन लागू होते ही पान बाजारों तक नहीं पहुंच पाया. पान के पत्ते खेत में सड़ने लगे.

कई प्रकार के होते हैं पान

पान का वर्णन शास्त्रों में है. संस्कृत भाषा में इसे ताम्बूल कहा जाता है. सोनभद्र जिले में कई प्रकार के पान की खेती होती है. पान के पत्ते कई प्रकार के होते हैं. जिसमें जगन्नाथी, मगही, सौंफिया, साँची, कपुरी, बंगाली, मीठी, कसकाठी, महोबाई, देशवारी, हल्दिया, बेलखुली, दुग्गी, काला आदि प्रकार के पान पाए जाते हैं. सोनभद्र जिले में किसान सांची और देसी पान की खेती बड़े पैमाने पर करते हैं.

ईटीवी भारत की टीम ने सोनभद्र के पान किसानों से फसलों के नुकसान पर जब बातचीत की, तो किसानों की आखें छलक गईं. दबी आवाज में किसान अपना दुखड़ा सुनाने लगे.

लॉकडाउन की वजह से मेरा बहुत फसल नष्ट हुआ है. गर्मी का पान जो था उसमें पत्ती पर पत्ती पड़ती चली गई. पान सड़ गया. हम चाहते हैं कि हमें कुछ सरकार की तरफ से मदद मिल जाए. इससे कुछ राहत मिल जाएगी.

चंद्रकांत चौरसिया, किसान

इस वर्ष बहुत क्षति हुई है. 3 महीने से पान बिल्कुल नहीं बिक रहा है. पान के ऊपर पान बढ़ता चला गया. लगभग सवा लाख रुपये का नुकसान हुआ है. प्रदेश सरकार से यदि कुछ मदद मिल जाए तो राहत मिल जाएगी. ऐसे में घर चलाना तो दूर की बात है हम इसकी मरम्मत कैसे करेंगे पहले यह सोचना है.

गोविंद चौरसिया, किसान

सोनभद्र: वैश्विक महामारी कोविड-19 की वजह से हुए लॉकडाउन में किसानों एवं व्यापारियों को काफी नुकसान हुआ है. सोनभद्र के चतरा और घोरावल विकासखंड में काफी संख्या में किसान पान की खेती करते हैं, लेकिन लॉकडाउन की वजह से उनका पान खेतों में ही खराब हो गया. अब उनके सामने रोजी रोटी की समस्या खड़ी हो रही है.

लॉकडाउन के चलते नहीं बिका पान

जिले में किसान केवल पान की खेती से ही अपना पूरा परिवार चलाते हैं. इसी पान की खेती में पान लगाने से लेकर उसकी देखभाल, पान की तुड़ाई और बाजार में ले जाकर बेचने का काम भी खुद ही करते हैं, लेकिन कोरोना वायरस के चलते इस वर्ष पान की बिल्कुल बिक्री नहीं हुई. इससे पान की खेती करने वाले किसानों के चेहरे पर मायूसी है.

पूर्वांचल में लोग पान के शौकीन

पूर्वांचल में ज्यादातर लोग पान के शौकीन हैं. यहां ज्यादातर लोग घर पर ही पान खाने की पूरी व्यवस्था रखते हैं. इसके अलावा पान का उपयोग पूजा-पाठ से लेकर अन्य जगहों पर भी होता है. शादी-विवाह सहित अन्य शुभ अवसरों पर भोजन के बाद पान खाना शुभ माना जाता है. ऐसा माना जाता है कि पान का पत्ता खाना स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है, लेकिन कोरोान महामारी के चलते पान का व्यवसाय पूरी तरह से चौपट हो गया है. अब व्यापारी सरकार से मदद की आस लगाए हैं.

वाराणसी तक होती है सप्लाई

पान की सप्लाई जनपद के अलावा वाराणसी तक भी होती है, लेकिन लॉकडाउन में पान खेत में ही पड़े-पड़े सड़ गए. आमदनी न होने से पान के किसान हताश और मायूस हैं. क्योंकि इन्होंने बड़ी ही मेहनत और लगन से पान की खेती तैयार की थी. लॉकडाउन से पहले फसल लगभग तैयार हो गई थी, लेकिन लॉकडाउन लागू होते ही पान बाजारों तक नहीं पहुंच पाया. पान के पत्ते खेत में सड़ने लगे.

कई प्रकार के होते हैं पान

पान का वर्णन शास्त्रों में है. संस्कृत भाषा में इसे ताम्बूल कहा जाता है. सोनभद्र जिले में कई प्रकार के पान की खेती होती है. पान के पत्ते कई प्रकार के होते हैं. जिसमें जगन्नाथी, मगही, सौंफिया, साँची, कपुरी, बंगाली, मीठी, कसकाठी, महोबाई, देशवारी, हल्दिया, बेलखुली, दुग्गी, काला आदि प्रकार के पान पाए जाते हैं. सोनभद्र जिले में किसान सांची और देसी पान की खेती बड़े पैमाने पर करते हैं.

ईटीवी भारत की टीम ने सोनभद्र के पान किसानों से फसलों के नुकसान पर जब बातचीत की, तो किसानों की आखें छलक गईं. दबी आवाज में किसान अपना दुखड़ा सुनाने लगे.

लॉकडाउन की वजह से मेरा बहुत फसल नष्ट हुआ है. गर्मी का पान जो था उसमें पत्ती पर पत्ती पड़ती चली गई. पान सड़ गया. हम चाहते हैं कि हमें कुछ सरकार की तरफ से मदद मिल जाए. इससे कुछ राहत मिल जाएगी.

चंद्रकांत चौरसिया, किसान

इस वर्ष बहुत क्षति हुई है. 3 महीने से पान बिल्कुल नहीं बिक रहा है. पान के ऊपर पान बढ़ता चला गया. लगभग सवा लाख रुपये का नुकसान हुआ है. प्रदेश सरकार से यदि कुछ मदद मिल जाए तो राहत मिल जाएगी. ऐसे में घर चलाना तो दूर की बात है हम इसकी मरम्मत कैसे करेंगे पहले यह सोचना है.

गोविंद चौरसिया, किसान

Last Updated : Sep 17, 2020, 4:13 PM IST
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