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योगी सरकार में भी उपेक्षित है नाथ सम्प्रदाय के संस्थापक गुरु की तपोस्थली

उत्तर प्रदेश के सीतापुर जिले में स्थित नाथ सम्प्रदाय के संस्थापक गुरु मत्स्येंद्रनाथ की तपोस्थली मौजूद है. हालांकि योगी सरकार में भी यह तपोस्थली उपेक्षा का शिकार है. अभी भी यहां पर सरकार का ध्यान नहीं जा रहा है. वहीं मंदिर के पुजारी ने योगी सरकार में भी इस तरह की उपेक्षा होने पर रोष व्यक्त किया है.

गुरु मत्स्येंद्रनाथ की तपोस्थली
गुरु मत्स्येंद्रनाथ की तपोस्थली
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Published : Dec 7, 2020, 10:45 AM IST

सीतापुर: नैमिष क्षेत्र युगों-युगों से ही संतों के लिए तपस्या करने का विशेष स्थान रहा है. मध्ययुग के एक ऐसे संत ने नैमिष क्षेत्र के जंगल में वर्षों तक तपस्या की और भगवान शिव की कृपा से उन्हें कई सिद्धियां प्राप्त हुईं. जिन्हें आदिदेव शिव का प्रथम शिष्य भी कहा जाता है. उन्होंने अपना जीवन लोगों की भलाई करने में समर्पित किया. नाथ संप्रदाय के प्रवर्तक गुरु गोरखनाथ के गुरु मत्स्येंद्रनाथ की तपोभूमि आज भी उपेक्षा की शिकार है. उत्तर प्रदेश के वर्तमान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी इसी नाथ संप्रदाय से ही आते हैं, इसलिए यहां के स्थानीय लोग इसके कायाकल्प होने की राह देख रहे हैं.

नाथ सम्प्रदाय के संस्थापक गुरु मत्स्येंद्र नाथ की है तपोस्थली.

सनातन धर्म में नाथ सम्प्रदाय का विशेष स्थान माना जाता है. इस सम्प्रदाय के प्रवर्तक गुरु गोरखनाथ के गुरु मत्स्येन्द्रनाथ (मछेन्द्रनाथ) का विशेष महत्व है. उन्हें माया स्वरूप कहा जाता है. गुरु मत्स्येन्द्रनाथ जी ने सीतापुर में 84 कोसी परिक्रमा क्षेत्र में वर्षों तक तपस्या की थी.भगवान शिव की कृपा से उन्हें कई सिद्धियां प्राप्त हुईं. मत्स्येंद्रनाथ के विषय में यह भी कहा जाता है कि वह आदिदेव शिव के प्रथम शिष्य थे. वह इस स्थान पर वर्षों तक लोगों की भलाई के कार्य करते रहे. उन्हीं के नाम से यह मछरेहटा कस्बा बसाया गया, लेकिन अफसोस की बात यह है कि इस महान हठ योगी की साधना व कर्मस्थली आज भी उपेक्षा का दंश झेल रही है. जबकि इसी संप्रदाय के योगी आदित्यनाथ वर्तमान समय में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं.

नैमिषारण्य-मिश्रित तीर्थ की चौरासी कोस परिक्रमा क्षेत्र के पास एक कस्बा मछरेहटा है. यहीं पर दो छोटे से मंदिर और तालाब भी हैं. यह तालाब हरिद्वार तीर्थ के नाम से अभिलेखों में दर्ज है, लेकिन यह भी उपेक्षित पड़ा हुआ है. यह स्थान गुरु गोरखनाथ के गुरु मत्स्येंद्रनाथ की तपोभूमि के रूप में विख्यात है. जानकारों का कहना है कि यह नाथ सम्प्रदाय के हठयोग की साधना पर आधारित पंथ है. इस पंथ के गुरुओं को शिव का वंशज भी माना जाता है. गुरु गोरखनाथ के गुरु मत्स्येंद्रनाथ को हठ योगी रूप में लोग जानते हैं. उन्होंने इसी स्थान पर कई वर्षों तक तपस्या की थी, लेकिन उनके यहां से जाने के बाद इस तपोस्थली पर कोई ध्यान नहीं दिया गया. उन्हीं के नाम पर इस कस्बे का नाम मछरेहटा रखा गया. कुछ समय पहले पुरातत्व विभाग ने इस स्थान का थोड़ा बहुत जीर्णोद्धार कराया था, लेकिन फिर भी इस महत्वपूर्ण स्थान को अभी विकास की दरकार है. मंदिर के पुजारी जयराम दास ने बताया कि यह मत्स्येंद्रनाथ की तपोस्थली रही है. इसके कई प्रमाण यहां विद्यमान हैं. उन्होंने योगी सरकार में भी इस स्थान की उपेक्षा होने पर रोष व्यक्त किया.

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जीर्णोद्धार की राह देख रही तपोस्थली.

नैमिषारण्य क्षेत्र के विलुप्त हो रहे तीर्थ एवं महत्वपूर्ण स्थानों के विकास के लिए संघर्षशील महंत संतोष दास खाकी ने बताया कि इस स्थान के संरक्षण और विकास के लिए उन्होंने न सिर्फ पुरातत्व विभाग और सरकार से अनुरोध किया है, बल्कि उत्तर प्रदेश के वर्तमान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से इस स्थान के विकास के लिए कई आग्रह किया है. लेकिन इस ओर ध्यान नही दिया गया. उत्तर प्रदेश में नाथ सम्प्रदाय के गोरखनाथ मंदिर के उत्तराधिकारी योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में सरकार काम कर रही है. ऐसे में इस सम्प्रदाय से जुड़े धार्मिक महत्व के स्थानों के विकास की अपेक्षाएं और बढ़ जाना स्वाभाविक है. लेकिन अफसोस की बात यह है कि इस तपोस्थली के विकास पर मौजूदा सरकार का अभी तक ध्यान नहीं गया है. जरूरत है कि सरकार इस तपोभूमि के विकास का खाका तैयार कर अतीत की स्मृतियों को संजोने का प्रयास करे, ताकि इसे भावी पीढ़ियों के लिए संरक्षित किया जा सके.

मिश्रिख विधानसभा से भाजपा विधायक रामकृष्ण भार्गव ने बताया कि मत्स्येंद्रनाथ की तपोस्थली मेरे क्षेत्र में है, यहां पर एक हरिद्वार तीर्थ भी बना था जो टूट कर जर्जर हो गया है. यह अब तालाब की स्थिति में तबदील हो गया है. यहीं से 84 कोसी परिक्रमा भी निकलती है और वहां मेला भी लगता है. इसके विकास के एक साल पहले हमने प्रयास किया था. कुछ लोग आये थे और इसका सर्वे भी हुआ था, लेकिन अभी तक कुछ विकास नहीं हुआ. उन्होंने कहा कि मैं दोबारा मुख्यमंत्री जी से मिलूंगा. इस स्थान के विकास के लिए लिखकर देंगे और व्यक्तिगत तौर पर भी कहूंगा. यहां पर पूरी तरह से सर्वे कराके विकास होना चाहिए.

सीतापुर: नैमिष क्षेत्र युगों-युगों से ही संतों के लिए तपस्या करने का विशेष स्थान रहा है. मध्ययुग के एक ऐसे संत ने नैमिष क्षेत्र के जंगल में वर्षों तक तपस्या की और भगवान शिव की कृपा से उन्हें कई सिद्धियां प्राप्त हुईं. जिन्हें आदिदेव शिव का प्रथम शिष्य भी कहा जाता है. उन्होंने अपना जीवन लोगों की भलाई करने में समर्पित किया. नाथ संप्रदाय के प्रवर्तक गुरु गोरखनाथ के गुरु मत्स्येंद्रनाथ की तपोभूमि आज भी उपेक्षा की शिकार है. उत्तर प्रदेश के वर्तमान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी इसी नाथ संप्रदाय से ही आते हैं, इसलिए यहां के स्थानीय लोग इसके कायाकल्प होने की राह देख रहे हैं.

नाथ सम्प्रदाय के संस्थापक गुरु मत्स्येंद्र नाथ की है तपोस्थली.

सनातन धर्म में नाथ सम्प्रदाय का विशेष स्थान माना जाता है. इस सम्प्रदाय के प्रवर्तक गुरु गोरखनाथ के गुरु मत्स्येन्द्रनाथ (मछेन्द्रनाथ) का विशेष महत्व है. उन्हें माया स्वरूप कहा जाता है. गुरु मत्स्येन्द्रनाथ जी ने सीतापुर में 84 कोसी परिक्रमा क्षेत्र में वर्षों तक तपस्या की थी.भगवान शिव की कृपा से उन्हें कई सिद्धियां प्राप्त हुईं. मत्स्येंद्रनाथ के विषय में यह भी कहा जाता है कि वह आदिदेव शिव के प्रथम शिष्य थे. वह इस स्थान पर वर्षों तक लोगों की भलाई के कार्य करते रहे. उन्हीं के नाम से यह मछरेहटा कस्बा बसाया गया, लेकिन अफसोस की बात यह है कि इस महान हठ योगी की साधना व कर्मस्थली आज भी उपेक्षा का दंश झेल रही है. जबकि इसी संप्रदाय के योगी आदित्यनाथ वर्तमान समय में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं.

नैमिषारण्य-मिश्रित तीर्थ की चौरासी कोस परिक्रमा क्षेत्र के पास एक कस्बा मछरेहटा है. यहीं पर दो छोटे से मंदिर और तालाब भी हैं. यह तालाब हरिद्वार तीर्थ के नाम से अभिलेखों में दर्ज है, लेकिन यह भी उपेक्षित पड़ा हुआ है. यह स्थान गुरु गोरखनाथ के गुरु मत्स्येंद्रनाथ की तपोभूमि के रूप में विख्यात है. जानकारों का कहना है कि यह नाथ सम्प्रदाय के हठयोग की साधना पर आधारित पंथ है. इस पंथ के गुरुओं को शिव का वंशज भी माना जाता है. गुरु गोरखनाथ के गुरु मत्स्येंद्रनाथ को हठ योगी रूप में लोग जानते हैं. उन्होंने इसी स्थान पर कई वर्षों तक तपस्या की थी, लेकिन उनके यहां से जाने के बाद इस तपोस्थली पर कोई ध्यान नहीं दिया गया. उन्हीं के नाम पर इस कस्बे का नाम मछरेहटा रखा गया. कुछ समय पहले पुरातत्व विभाग ने इस स्थान का थोड़ा बहुत जीर्णोद्धार कराया था, लेकिन फिर भी इस महत्वपूर्ण स्थान को अभी विकास की दरकार है. मंदिर के पुजारी जयराम दास ने बताया कि यह मत्स्येंद्रनाथ की तपोस्थली रही है. इसके कई प्रमाण यहां विद्यमान हैं. उन्होंने योगी सरकार में भी इस स्थान की उपेक्षा होने पर रोष व्यक्त किया.

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जीर्णोद्धार की राह देख रही तपोस्थली.

नैमिषारण्य क्षेत्र के विलुप्त हो रहे तीर्थ एवं महत्वपूर्ण स्थानों के विकास के लिए संघर्षशील महंत संतोष दास खाकी ने बताया कि इस स्थान के संरक्षण और विकास के लिए उन्होंने न सिर्फ पुरातत्व विभाग और सरकार से अनुरोध किया है, बल्कि उत्तर प्रदेश के वर्तमान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से इस स्थान के विकास के लिए कई आग्रह किया है. लेकिन इस ओर ध्यान नही दिया गया. उत्तर प्रदेश में नाथ सम्प्रदाय के गोरखनाथ मंदिर के उत्तराधिकारी योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में सरकार काम कर रही है. ऐसे में इस सम्प्रदाय से जुड़े धार्मिक महत्व के स्थानों के विकास की अपेक्षाएं और बढ़ जाना स्वाभाविक है. लेकिन अफसोस की बात यह है कि इस तपोस्थली के विकास पर मौजूदा सरकार का अभी तक ध्यान नहीं गया है. जरूरत है कि सरकार इस तपोभूमि के विकास का खाका तैयार कर अतीत की स्मृतियों को संजोने का प्रयास करे, ताकि इसे भावी पीढ़ियों के लिए संरक्षित किया जा सके.

मिश्रिख विधानसभा से भाजपा विधायक रामकृष्ण भार्गव ने बताया कि मत्स्येंद्रनाथ की तपोस्थली मेरे क्षेत्र में है, यहां पर एक हरिद्वार तीर्थ भी बना था जो टूट कर जर्जर हो गया है. यह अब तालाब की स्थिति में तबदील हो गया है. यहीं से 84 कोसी परिक्रमा भी निकलती है और वहां मेला भी लगता है. इसके विकास के एक साल पहले हमने प्रयास किया था. कुछ लोग आये थे और इसका सर्वे भी हुआ था, लेकिन अभी तक कुछ विकास नहीं हुआ. उन्होंने कहा कि मैं दोबारा मुख्यमंत्री जी से मिलूंगा. इस स्थान के विकास के लिए लिखकर देंगे और व्यक्तिगत तौर पर भी कहूंगा. यहां पर पूरी तरह से सर्वे कराके विकास होना चाहिए.

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