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भारतीय संस्कृति को सहेज रहा यह संस्कृत विद्यालय, देश विदेश के बच्चे सीख रहे संस्कृत - अंनत श्री वासुदेव संस्कृत महाविद्यालय की खबर

उत्तर प्रदेश के सीतापुर का अंनत श्री वासुदेव संस्कृत महाविद्यालय में देश-विदेश के छात्र संस्कृत भाषा सीख रहे हैं. दस वर्ष की आयु में यहां छात्रों का प्रवेश लिया जाता है और बाद में वैदिक, शास्त्रार्थ एवं ज्योतिष विद्या की पढ़ाई कराकर उन्हें पारंगत किया जाता है.

संस्कृत महाविद्यालय
देश-विदेश के छात्र संस्कृत भाषा सीख रहे हैं.
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Published : Mar 19, 2020, 10:16 AM IST

सीतापुर: जिले के अनन्त श्री वासुदेव संस्कृत महाविद्यालय में आज भी गुरुकुल की परम्परा चली आ रही है, यहां छात्रों को देवभाषा संस्कृत का अध्ययन कराया जा रहा है. इस विद्यालय में विदेशी छात्र भी शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं.

सीतापुर का अंनत श्री वासुदेव संस्कृत महाविद्यालय

इस संस्कृत महाविद्यालय में इस समय करीब 3 सौ छात्र वैदिक शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं, जिसमें दो छात्र पड़ोसी देश नेपाल के रहने वाले हैं. इससे पहले भी नेपाल के कई छात्र यहां शिक्षा ग्रहण कर या तो सरकारी सेवा कर रहे हैं या फिर कथाव्यास के रूप में अपनी भूमिका का निर्वाह कर रहे हैं.

पड़ोसी देश के निवासी छात्रों ने बताया कि संस्कृत भाषा में रुचि के कारण वे इसका ज्ञान अर्जित करने यहां आए हुए हैं. इससे पूर्व भी नेपाल के कई लोग इस विद्यालय में शिक्षा ग्रहण कर चुके हैं, जिनकी सफलता को देखकर उन्होंने भी संस्कृत भाषा सीखने का निर्णय लिया.

इनमें से एक छात्र पिछले सात वर्षों से यहां अध्ययनरत हैं. उन्होंने बताया कि वे लोग साहित्य,व्याकरण और वेद की शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं और यहां शिक्षा पूरी करने के बाद नेपाल देश मे इस भाषा का प्रचार प्रसार करेंगे.

इस विद्यालय के छात्रों को ऋषि परंपरा से शिक्षा ग्रहण कराई जाती है. गुरुकुल के छात्रों को प्रातःकाल उठने के बाद उपासना करनी पड़ती है और भारतीय संस्कृति से लबरेज किया जाता है, उन्हें धोती-कुर्ता,अचरा,लुंगी और पीत वस्त्र भी धारण कराए जाते हैं. दस वर्ष की आयु में इनका प्रवेश लिया जाता है और बाद में वैदिक,शास्त्रार्थ एवं ज्योतिष विद्या की पढ़ाई कराकर उन्हें पारंगत किया जाता है.

इसे भी पढ़ें:-कोरोना संकट पर आज पीएम मोदी का संबोधन, अब तक 150 से ज्यादा लोग संक्रमित

वर्ष 1975 में इस महाविद्यालय की स्थापना हुई थी तबसे लगातार छात्रों को शास्त्रीय शिक्षा देकर वेद का निपुण बनाया जा रहा है. इस महाविद्यालय में मात्र एक ही शिक्षक नियुक्त है, जिसके सहारे इतने सारे बच्चों को शिक्षा दी जा रही है यदि सरकार यहां शिक्षकों की संख्या बढ़ा दी तो छात्रों को और बेहतर शिक्षा दी जा सकती है.
महंत इंदिरारमन रामानुज दास, प्रबंधक,महाविद्यालय

सीतापुर: जिले के अनन्त श्री वासुदेव संस्कृत महाविद्यालय में आज भी गुरुकुल की परम्परा चली आ रही है, यहां छात्रों को देवभाषा संस्कृत का अध्ययन कराया जा रहा है. इस विद्यालय में विदेशी छात्र भी शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं.

सीतापुर का अंनत श्री वासुदेव संस्कृत महाविद्यालय

इस संस्कृत महाविद्यालय में इस समय करीब 3 सौ छात्र वैदिक शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं, जिसमें दो छात्र पड़ोसी देश नेपाल के रहने वाले हैं. इससे पहले भी नेपाल के कई छात्र यहां शिक्षा ग्रहण कर या तो सरकारी सेवा कर रहे हैं या फिर कथाव्यास के रूप में अपनी भूमिका का निर्वाह कर रहे हैं.

पड़ोसी देश के निवासी छात्रों ने बताया कि संस्कृत भाषा में रुचि के कारण वे इसका ज्ञान अर्जित करने यहां आए हुए हैं. इससे पूर्व भी नेपाल के कई लोग इस विद्यालय में शिक्षा ग्रहण कर चुके हैं, जिनकी सफलता को देखकर उन्होंने भी संस्कृत भाषा सीखने का निर्णय लिया.

इनमें से एक छात्र पिछले सात वर्षों से यहां अध्ययनरत हैं. उन्होंने बताया कि वे लोग साहित्य,व्याकरण और वेद की शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं और यहां शिक्षा पूरी करने के बाद नेपाल देश मे इस भाषा का प्रचार प्रसार करेंगे.

इस विद्यालय के छात्रों को ऋषि परंपरा से शिक्षा ग्रहण कराई जाती है. गुरुकुल के छात्रों को प्रातःकाल उठने के बाद उपासना करनी पड़ती है और भारतीय संस्कृति से लबरेज किया जाता है, उन्हें धोती-कुर्ता,अचरा,लुंगी और पीत वस्त्र भी धारण कराए जाते हैं. दस वर्ष की आयु में इनका प्रवेश लिया जाता है और बाद में वैदिक,शास्त्रार्थ एवं ज्योतिष विद्या की पढ़ाई कराकर उन्हें पारंगत किया जाता है.

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वर्ष 1975 में इस महाविद्यालय की स्थापना हुई थी तबसे लगातार छात्रों को शास्त्रीय शिक्षा देकर वेद का निपुण बनाया जा रहा है. इस महाविद्यालय में मात्र एक ही शिक्षक नियुक्त है, जिसके सहारे इतने सारे बच्चों को शिक्षा दी जा रही है यदि सरकार यहां शिक्षकों की संख्या बढ़ा दी तो छात्रों को और बेहतर शिक्षा दी जा सकती है.
महंत इंदिरारमन रामानुज दास, प्रबंधक,महाविद्यालय

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