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सीतापुर: घाटे में चल रहा परिवहन निगम, 60 फीसदी ही हो रही आमदनी - सीतापुर परिवहन निगम घाटे में

यूपी के सीतापुर जिले में परिवहन विभाग इन दिनों घाटे में चल रहा है. विभाग के अधिकारियों का कहना है कि अभी उत्तराखंड और नेपाल को जोड़ने वाली बस सेवाओं के अलावा कुछ ग्रामीण रूट की सेवाएं शुरू नहीं की गई है. इस वजह से परिवहन निगम की आय 60 फीसदी तक ही सिमट कर रह गई है.

घाटे में सीतापुर परिवहन निगम
घाटे में सीतापुर परिवहन निगम
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Published : Jul 8, 2020, 5:21 PM IST

सीतापुर: लोंगो को उनकी मंजिल तक पहुंचाने में सारथी की भूमिका निभाने वाला परिवहन निगम इन दिनों घाटा झेलने को मजबूर है. सरकार के निर्देश पर बस सेवा तो शुरू कर दी गई है, लेकिन यात्रियों की संख्या पहले के मुकाबले काफी कम है. लिहाजा परिवहन निगम की आय 60 फीसदी तक ही सिमट कर रह गई है. विभाग के अधिकारियों का यह भी कहना है कि अभी उत्तराखंड और नेपाल को जोड़ने वाली बस सेवाओं के अलावा कुछ ग्रामीण रूट की सेवाएं शुरू नहीं की गई हैं.

110 डीपो की बसें और 77 अनुबंधित बसों का होता है संचालन

सीतापुर डिपो के बेड़े में 110 रोडवेज की बसें हैं, जबकि इसके अलावा 77 अनुबंधित बसों को लॉकडाउन के पहले तक चलाया जा रहा था. लॉकडाउन के दौरान बस सेवा पूरी तरह से बंद कर दी गई थी. इसके बाद अनलॉक प्रथम में परिवहन निगम की बसों का संचालन शुरू किया गया. बस सेवा शुरू होने के बाद यात्रियों की संख्या में भी वृद्धि हुई, लेकिन अब भी यह संख्या 60 फीसदी से अधिक नहीं पहुंच पा रही है.

18 से 20 लाख रुपये की रोजाना होती थी आय

सहायक क्षेत्रीय प्रबंधक विमल राजन ने ईटीवी भारत को बताया कि पिछले वर्ष इन दिनों में 18 से 20 लाख रुपये की रोजाना आय होती थी जो इन दिनों 10 से 13 लाख के बीच सिमटकर रह गई है. मौजूदा समय में सिर्फ 11 से 13 हजार यात्री ही सफर कर रहे हैं, जबकि पहले यह संख्या 18 हजार से अधिक होती थी. उन्होंने स्वीकार किया कि मौजूदा समय में आमदनी घटकर सिर्फ 60 फीसदी ही रह गई है.

सहायक क्षेत्रीय प्रबंधक ने यह भी बताया कि लगभग 70 फीसदी रूट पर बस सेवा का संचालन शुरू कर दिया गया है. जबकि उत्तराखंड और नेपाल को जोड़ने वाली बस सेवाओं को अभी नहीं शुरू किया गया है. इसके अलावा ग्रामीण क्षेत्र के कुछ रूट पर भी अभी बस सेवायें बंद चल रही हैं. इससे भी विभाग की आमदनी पर फर्क पड़ रहा है.

सीतापुर: लोंगो को उनकी मंजिल तक पहुंचाने में सारथी की भूमिका निभाने वाला परिवहन निगम इन दिनों घाटा झेलने को मजबूर है. सरकार के निर्देश पर बस सेवा तो शुरू कर दी गई है, लेकिन यात्रियों की संख्या पहले के मुकाबले काफी कम है. लिहाजा परिवहन निगम की आय 60 फीसदी तक ही सिमट कर रह गई है. विभाग के अधिकारियों का यह भी कहना है कि अभी उत्तराखंड और नेपाल को जोड़ने वाली बस सेवाओं के अलावा कुछ ग्रामीण रूट की सेवाएं शुरू नहीं की गई हैं.

110 डीपो की बसें और 77 अनुबंधित बसों का होता है संचालन

सीतापुर डिपो के बेड़े में 110 रोडवेज की बसें हैं, जबकि इसके अलावा 77 अनुबंधित बसों को लॉकडाउन के पहले तक चलाया जा रहा था. लॉकडाउन के दौरान बस सेवा पूरी तरह से बंद कर दी गई थी. इसके बाद अनलॉक प्रथम में परिवहन निगम की बसों का संचालन शुरू किया गया. बस सेवा शुरू होने के बाद यात्रियों की संख्या में भी वृद्धि हुई, लेकिन अब भी यह संख्या 60 फीसदी से अधिक नहीं पहुंच पा रही है.

18 से 20 लाख रुपये की रोजाना होती थी आय

सहायक क्षेत्रीय प्रबंधक विमल राजन ने ईटीवी भारत को बताया कि पिछले वर्ष इन दिनों में 18 से 20 लाख रुपये की रोजाना आय होती थी जो इन दिनों 10 से 13 लाख के बीच सिमटकर रह गई है. मौजूदा समय में सिर्फ 11 से 13 हजार यात्री ही सफर कर रहे हैं, जबकि पहले यह संख्या 18 हजार से अधिक होती थी. उन्होंने स्वीकार किया कि मौजूदा समय में आमदनी घटकर सिर्फ 60 फीसदी ही रह गई है.

सहायक क्षेत्रीय प्रबंधक ने यह भी बताया कि लगभग 70 फीसदी रूट पर बस सेवा का संचालन शुरू कर दिया गया है. जबकि उत्तराखंड और नेपाल को जोड़ने वाली बस सेवाओं को अभी नहीं शुरू किया गया है. इसके अलावा ग्रामीण क्षेत्र के कुछ रूट पर भी अभी बस सेवायें बंद चल रही हैं. इससे भी विभाग की आमदनी पर फर्क पड़ रहा है.

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