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आरओ ने रश्मि जायसवाल को माना सपा प्रत्याशी, नीलकमल को झटका

सीतापुर नगर पालिका अध्यक्ष की पुत्रवधू को समाजवादी पार्टी का अधिकृत प्रत्याशी घोषित कर दिया गया है. जबकि राकेश राठौर अपनी पत्नी नीलकमल की दावेदारी को चुनाव अधिकारी ने नकार दिया है.

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Published : Apr 18, 2023, 11:04 PM IST

सीतापुर: नगर पालिका अध्यक्ष पद के लिए समाजवादी पार्टी के टिकट को लेकर काफ़ी समय से चल रही उठापटक का मंगलवार को पटाक्षेप हो गया. नामांकन पत्र की जांच के बाद निर्वतमान नगर पालिका अध्यक्ष एवं पूर्व विधायक राधेश्याम जायसवाल की पुत्रवधू श्रीमान रश्मि जायसवाल को समाजवादी पार्टी का अधिकृत प्रत्याशी घोषित कर दिया गया है.

बता दें कि नगर पालिका परिषद की चेयरमैन सीट पर काफी समय से राधेश्याम जायसवाल परिवार का कब्जा रहा है. केवल एक बार ही आशीष मिश्रा राधेश्याम जायसवाल को मात देकर इस प्रतिष्ठापूर्ण सीट पर बैठने में सफल रहे. राधेश्याम जायसवाल खुद तो कई बार चेयरमैन बने ही, अपनी बहू रश्मि जायसवाल को भी चेयरमैन बनवाने में कामयाब रहे. वर्ष 2017 के चुनाव में भी वह सत्तारूढ़ भाजपा के प्रत्याशी को हराकर जीत का परचम फहराने में कामयाब रहे थे.

इस बार नगर पालिका परिषद चुनाव की आहट सुनाई पड़ने के साथ ही सपा का एक और धड़ा चेयरमैन पद के टिकट की दावेदारी में जुट गया था. वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में राकेश राठौर बीजेपी के टिकट पर चुनाव जीते. उन्होंने सपा के मौजूदा विधायक राधेश्याम जायसवाल को हराकर अपनी जीत दर्ज कराई थी. विधायक बनने के कुछ दिन बाद ही कई मामलों को लेकर राकेश राठौर ने बागी तेवर अपना लिये और हाईकमान को खुली चुनौती दे दी. इसके बाद अपना कार्यकाल खत्म होने के पहले ही उन्होंने समाजवादी पार्टी से अपनी नजदीकियां बढ़ा ली और बाद में सपा में शामिल भी हो गये.

विधानसभा चुनाव के दौरान टिकट की बारी आई तो राकेश राठौर और राधेश्याम जायसवाल दोनों ने ही अपनी दावेदारी पेश की. राकेश राठौर बीजेपी छोड़कर आये थे तो उनकी दावेदारी मजबूत थी. लेकिन राधेश्याम जायसवाल भी पार्टी के पुराने कार्यकर्ता थे लिहाजा उनकी भी दावेदारी को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता था. अंततोगत्वा सपा हाईकमान ने राकेश राठौर को भविष्य का आश्वासन देकर राधेश्याम जायसवाल को टिकट थमा दिया. इस चुनाव में कांटे की टक्कर में राधेश्याम जायसवाल मात्र कुछ वोटों के अंतर से चुनाव हार गए.

वक्त का पहिया घूमता रहा. वर्ष 2022 में जब नगर निकाय चुनाव की बारी आई तो राकेश राठौर ने पार्टी नेतृत्व के सामने टिकट की दावेदारी पेश कर जनसम्पर्क अभियान भी शुरू कर दिया. उधर राधेश्याम जायसवाल तो पहले से ही इस पद पर काबिज होने के कारण मजबूत दावेदार थे ही. यह सीट जब सामान्य महिला वर्ग के लिए आरक्षित हुई तो राधेश्याम जायसवाल ने अपनी बहू रश्मि जायसवाल और राकेश राठौर ने अपनी पत्नी नीलकमल के लिए सपा में टिकट की दावेदारी पेश की. दोनों के बीच जमकर रस्साकशी हुई.

पार्टी हाईकमान ने दोनो को किसी एक के पक्ष में समझाने बुझाने की कोशिश की लेकिन कामयाबी हाथ नहीं लगी. आखिरकार उसने रश्मि जायसवाल और नीलकमल राठौर दोनों को ही पार्टी का सिंबल एलॉट कर दिया. दोनों ने आरओ के सामने अपने अपने अधिकार पत्र दाखिल कर दिए. मंगलवार को नामांकन पत्र की जांच के दौरान दोनों पक्षो की ओर से सिंबल के लिए दावेदारी पेश की गई, जिसमें उनके अधिवक्ताओं ने अनेक तर्क पेश किए. सबकी दलीलें सुनने और दस्तावेजों का आकलन करने के बाद रिटर्निंग ऑफिसर ने रश्मि जायसवाल को समाजवादी पार्टी का अधिकृत उम्मीदवार ठहराते हुए उनके पक्ष में अपना निर्णय दे दिया. इस निर्णय के बाद से जहां राधेश्याम जायसवाल के खेमे में उत्साह का माहौल बना हुआ है. वहीं राकेश राठौर के खेमे में उदासी और मायूसी है. सपा का सिम्बल न मिलने के बाद राकेश राठौर अपनी पत्नी नीलकमल को निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में मैदान में उतारेंगे या फिर पर्चा वापस लेंगे. इस पर सभी की निगाहें टिकी हुई हैं.

इसे भी पढ़ें-लखनऊ की इन दो नगर पंचायतों के वोटर पहली बार चुनेंगे चेयरमैन, जानिए क्या हैं उम्मीदें

सीतापुर: नगर पालिका अध्यक्ष पद के लिए समाजवादी पार्टी के टिकट को लेकर काफ़ी समय से चल रही उठापटक का मंगलवार को पटाक्षेप हो गया. नामांकन पत्र की जांच के बाद निर्वतमान नगर पालिका अध्यक्ष एवं पूर्व विधायक राधेश्याम जायसवाल की पुत्रवधू श्रीमान रश्मि जायसवाल को समाजवादी पार्टी का अधिकृत प्रत्याशी घोषित कर दिया गया है.

बता दें कि नगर पालिका परिषद की चेयरमैन सीट पर काफी समय से राधेश्याम जायसवाल परिवार का कब्जा रहा है. केवल एक बार ही आशीष मिश्रा राधेश्याम जायसवाल को मात देकर इस प्रतिष्ठापूर्ण सीट पर बैठने में सफल रहे. राधेश्याम जायसवाल खुद तो कई बार चेयरमैन बने ही, अपनी बहू रश्मि जायसवाल को भी चेयरमैन बनवाने में कामयाब रहे. वर्ष 2017 के चुनाव में भी वह सत्तारूढ़ भाजपा के प्रत्याशी को हराकर जीत का परचम फहराने में कामयाब रहे थे.

इस बार नगर पालिका परिषद चुनाव की आहट सुनाई पड़ने के साथ ही सपा का एक और धड़ा चेयरमैन पद के टिकट की दावेदारी में जुट गया था. वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में राकेश राठौर बीजेपी के टिकट पर चुनाव जीते. उन्होंने सपा के मौजूदा विधायक राधेश्याम जायसवाल को हराकर अपनी जीत दर्ज कराई थी. विधायक बनने के कुछ दिन बाद ही कई मामलों को लेकर राकेश राठौर ने बागी तेवर अपना लिये और हाईकमान को खुली चुनौती दे दी. इसके बाद अपना कार्यकाल खत्म होने के पहले ही उन्होंने समाजवादी पार्टी से अपनी नजदीकियां बढ़ा ली और बाद में सपा में शामिल भी हो गये.

विधानसभा चुनाव के दौरान टिकट की बारी आई तो राकेश राठौर और राधेश्याम जायसवाल दोनों ने ही अपनी दावेदारी पेश की. राकेश राठौर बीजेपी छोड़कर आये थे तो उनकी दावेदारी मजबूत थी. लेकिन राधेश्याम जायसवाल भी पार्टी के पुराने कार्यकर्ता थे लिहाजा उनकी भी दावेदारी को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता था. अंततोगत्वा सपा हाईकमान ने राकेश राठौर को भविष्य का आश्वासन देकर राधेश्याम जायसवाल को टिकट थमा दिया. इस चुनाव में कांटे की टक्कर में राधेश्याम जायसवाल मात्र कुछ वोटों के अंतर से चुनाव हार गए.

वक्त का पहिया घूमता रहा. वर्ष 2022 में जब नगर निकाय चुनाव की बारी आई तो राकेश राठौर ने पार्टी नेतृत्व के सामने टिकट की दावेदारी पेश कर जनसम्पर्क अभियान भी शुरू कर दिया. उधर राधेश्याम जायसवाल तो पहले से ही इस पद पर काबिज होने के कारण मजबूत दावेदार थे ही. यह सीट जब सामान्य महिला वर्ग के लिए आरक्षित हुई तो राधेश्याम जायसवाल ने अपनी बहू रश्मि जायसवाल और राकेश राठौर ने अपनी पत्नी नीलकमल के लिए सपा में टिकट की दावेदारी पेश की. दोनों के बीच जमकर रस्साकशी हुई.

पार्टी हाईकमान ने दोनो को किसी एक के पक्ष में समझाने बुझाने की कोशिश की लेकिन कामयाबी हाथ नहीं लगी. आखिरकार उसने रश्मि जायसवाल और नीलकमल राठौर दोनों को ही पार्टी का सिंबल एलॉट कर दिया. दोनों ने आरओ के सामने अपने अपने अधिकार पत्र दाखिल कर दिए. मंगलवार को नामांकन पत्र की जांच के दौरान दोनों पक्षो की ओर से सिंबल के लिए दावेदारी पेश की गई, जिसमें उनके अधिवक्ताओं ने अनेक तर्क पेश किए. सबकी दलीलें सुनने और दस्तावेजों का आकलन करने के बाद रिटर्निंग ऑफिसर ने रश्मि जायसवाल को समाजवादी पार्टी का अधिकृत उम्मीदवार ठहराते हुए उनके पक्ष में अपना निर्णय दे दिया. इस निर्णय के बाद से जहां राधेश्याम जायसवाल के खेमे में उत्साह का माहौल बना हुआ है. वहीं राकेश राठौर के खेमे में उदासी और मायूसी है. सपा का सिम्बल न मिलने के बाद राकेश राठौर अपनी पत्नी नीलकमल को निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में मैदान में उतारेंगे या फिर पर्चा वापस लेंगे. इस पर सभी की निगाहें टिकी हुई हैं.

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