सीतापुर: अयोध्या में होने वाले राम मंदिर निर्माण के भूमि पूजन में 88 हजार ऋषियों की तपोभूमि नैमिषारण्य के पांच प्रमुख तीर्थो का जल और यहां की मिट्टी का भी प्रयोग किया जाएगा. विधि विधान और वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ इसे अयोध्या भेजने के लिए एक स्थान पर एकत्र किया गया.
आगामी पांच अगस्त को राम मंदिर निर्माण की आधारशिला रखी जाएगी. इसके लिए भूमि पूजन की तैयारियां श्री राम जन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की ओर से तेजी से की जा रही हैं. वहीं ट्रस्ट मंदिर निर्माण की भी तैयारियों जोरों से कर रहा है. भूमि पूजन कार्यक्रम में सतयुग के तीर्थ और मनु-सतरूपा की तपोभूमि नैमिषारण्य तीर्थ में नारदानन्द आश्रम से जगदाचार्य देवेन्द्रानंद सरस्वती, क्षेत्रीय विधायक रामकृष्ण भार्गव सहित कई विशिष्टजनों की मौजूदगी में वैदिक पूजन कर नैमिष तीर्थ अंतर्गत चक्रतीर्थ, काशीकुण्ड , पंचप्रयाग तीर्थ, सीताकुंड, दधीचि कुंड समेत सभी प्रमुख तीर्थो का जल और मिट्टी को भूमि पूजन कार्यक्रम में भेजने की तैयारी की गई है.
नारदानन्द आश्रम से जगदाचार्य देवेन्द्रानंद सरस्वती ने बताया कि अयोध्या और नैमिषारण्य तीर्थ का वर्षो पुराना संबंध है. यहीं पर मनु शतरूपा ने 23 हजार वर्ष तक तपस्या की थी और भगवान से अपने पुत्र के रूप में जन्म लेने का वरदान भी मांगा था.
जिसके बाद राजा मनु दशरथ और रानी सतरूपा कौशल्या के रूप में अवतरित हुए और उनके यहां भगवान राम ने पुत्र रूप में जन्म लिया. संपूर्ण सनातन समाज और नैमिषारण्य तीर्थ इस अवसर पर हर्ष व्यक्त करता है. उन्होंने कहा कि सभी की कामना है कि जल्द से जल्द अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण शुरू हो और रामलला के दर्शन करने का सौभाग्य प्राप्त हो. भूमि पूजन के मुहूर्त को लेकर जगदाचार्य ने कहा कि मेरा ये मानना है कि जिस समय भगवान की इच्छा से बड़े कार्यों का शुभारंभ होता है वह स्वयं अपने आप में सबसे बड़ा मुहूर्त होता है.
वहीं मिश्रिख के विधायक रामकृष्ण भार्गव ने कहा कि हम सब बहुत सौभाग्यशाली हैं, जिनके जीवनकाल में रामलला के भव्य मंदिर का निर्माण होने जा रहा है. उन्होंने कहा कि भूमि पूजन कार्यक्रम में तपोभूमि नैमिषारण्य के प्रमुख तीर्थो का जल और मिट्टी पहुंचेगी और मंदिर के निर्माण में उसका प्रयोग हो सकेगा.