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योगी सरकार के बजट में नैमिषारण्य को नहीं मिला स्थान, संतों सहित लोंगो में निराशा

सीतापुर जिले में नैमिषारण्य तीर्थ को वेद, पुराण और शास्त्रों की उद्गमस्थली माना जाता है. योगी सरकार द्वारा पेश किए बजट में इस तीर्थ स्थल को स्थान न मिलने के कारण साधु-संतों और स्थानीय लोगों में नाराजगी है.

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बजट में नहीं मिला नैमिषारण्य को स्थान
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Published : Feb 21, 2020, 9:45 AM IST

सीतापुर: सूबे की योगी सरकार द्वारा पेश किए गए वार्षिक बजट में 88 हजार ऋषियों की तपोभूमि और सतयुग के तीर्थ नैमिषारण्य की उपेक्षा किये जाने से साधु-संतों और स्थानीय लोगों में मायूसी है और उन्होंने इस पर नाराजगी जताई है. उन्होंने कहा कि तीर्थो के विकास का दावा करने वाली योगी सरकार ने हम सबकी अपेक्षाओं पर कुठाराघात किया है.

बजट में नहीं मिला नैमिषारण्य को स्थान.
जिले में स्थित नैमिषारण्य तीर्थ को वेद, पुराण और शास्त्रों की उद्गमस्थली माना जाता है. यहीं पर आदि मानव मनु और सतरूपा ने आदिगंगा गोमती के किनारे 23 हजार वर्षों तक कठिन तपस्या की थी और त्रेता युग में भगवान को अपने पुत्र रूप में प्राप्त करने का वरदान प्राप्त किया था. इसी नैमिषारण्य में चक्रतीर्थ और ललिता देवी मंदिर भी है, जिसकी विशेष मान्यता है. प्रत्येक माह की अमावस्या पर और दोनों नवरात्र के अवसर पर यहां लाखों श्रद्धालुओं की भीड़ इकट्ठा होती है.

इसे भी पढ़े:-AMU में बोले संजय सिंह, 'नफरत की बुनियाद पर दुनिया का कोई मुल्क खड़ा नहीं हो सकता'

सरकार बनने के बाद पर्यटन विभाग के एक कार्यक्रम में शामिल होने आए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने नैमिषारण्य के विकास के लिए कई घोषणाएं की थी, लेकिन वे अभी परवान नहीं चढ़ सकी हैं. लिहाजा लोगों को इस बार के बजट से बहुत सारी उम्मीदें थीं, लेकिन बजट में नैमिषारण्य तीर्थ के लिए किसी प्रकार की घोषणा न होने से सभी में मायूसी के साथ नाराजगी भी है.


सीतापुर: सूबे की योगी सरकार द्वारा पेश किए गए वार्षिक बजट में 88 हजार ऋषियों की तपोभूमि और सतयुग के तीर्थ नैमिषारण्य की उपेक्षा किये जाने से साधु-संतों और स्थानीय लोगों में मायूसी है और उन्होंने इस पर नाराजगी जताई है. उन्होंने कहा कि तीर्थो के विकास का दावा करने वाली योगी सरकार ने हम सबकी अपेक्षाओं पर कुठाराघात किया है.

बजट में नहीं मिला नैमिषारण्य को स्थान.
जिले में स्थित नैमिषारण्य तीर्थ को वेद, पुराण और शास्त्रों की उद्गमस्थली माना जाता है. यहीं पर आदि मानव मनु और सतरूपा ने आदिगंगा गोमती के किनारे 23 हजार वर्षों तक कठिन तपस्या की थी और त्रेता युग में भगवान को अपने पुत्र रूप में प्राप्त करने का वरदान प्राप्त किया था. इसी नैमिषारण्य में चक्रतीर्थ और ललिता देवी मंदिर भी है, जिसकी विशेष मान्यता है. प्रत्येक माह की अमावस्या पर और दोनों नवरात्र के अवसर पर यहां लाखों श्रद्धालुओं की भीड़ इकट्ठा होती है.

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