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सीतापुर: संस्कृत विद्यालयों मे शिक्षकों का अभाव, 10 शिक्षकों के सहारे 13 विद्यालय

उत्तर प्रदेश के सीतापुर जिले में संस्कृत विद्यालय शिक्षकों की कमी से जूझ रहे हैं. फिलहाल सरकार ने मानदेय पर शिक्षकों की नियुक्ति के आदेश दिए हैं.

संस्कृत स्कूलों में शिक्षकों की कमीं.
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Published : Jul 18, 2019, 11:44 PM IST

सीतापुर: देवभाषा संस्कृत के उत्थान के लिए सरकार भले ही प्रयास कर रही हो, लेकिन सीतापुर में संचालित संस्कृत विद्यालयों को अपना अस्तित्व बचाने के लिए जूझना पड़ रहा है. इन विद्यालयों में छात्रों को पढ़ाने वाले शिक्षकों का अभाव है. जिले में 13 संस्कृत विद्यालय 10 शिक्षकों के सहारे चल रहे हैं, तो सात विद्यालयों में शिक्षक ही नहीं है. ऐसे में इन विद्यालयों में पढ़ने वाले छात्रों का भविष्य भी अंधकारमय होता जा रहा है.

संस्कृत स्कूलों में शिक्षकों की कमीं.

नहीं हो रही रिक्त पदों पर भर्ती:
पूरे जिले में संस्कृत भाषा के कुल 18 विद्यालय संचालित है. जिनमें 13 विद्यालय अशासकीय सहायता प्राप्त और पांच विद्यालय वित्तविहीन मान्यता प्राप्त है. वित्तविहीन को छोड़कर अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में शिक्षकों के कुल 42 पद है. जिन पर कुछ समय पहले तक शिक्षक भी कार्यरत थे, लेकिन धीरे-धीरे शिक्षक सेवानिवृत्त होते गये और रिक्त पदों की संख्या बढ़ती गयी.

मौजूदा हालात ये हैं कि इन तेरह विद्यालयों में सिर्फ 10 शिक्षक ही कार्यरत हैं, जबकि करीब 5 सौ छात्र संस्कृत विद्यालयों में अध्ययनरत है. कई विद्यालयों में एक भी शिक्षक न होने के कारण दूसरे विद्यालय के शिक्षकों को अटैच कर छात्रों को पढ़ाया जा रहा है.

छात्रों ने की शिक्षकों की तैनती की मांग:
केन्द्र और राज्य में बीजेपी सरकार बनने के बाद इन संस्कृत विद्यालयों के उत्थान की उम्मीद जगी थी, लेकिन समय के साथ इस उम्मीद की लौ मद्धिम पड़ने लगी है. छात्रों और प्रबंधक ने सरकार से इन स्कूलों में शिक्षकों की तैनाती की मांग की है. वहीं जिला विद्यालय निरीक्षक का कहना है कि फिलहाल सरकार ने मानदेय पर शिक्षकों की नियुक्ति के आदेश दिए हैं, बाद में आयोग से इन रिक्त पदों पर नियुक्ति की जाएगी.

सीतापुर: देवभाषा संस्कृत के उत्थान के लिए सरकार भले ही प्रयास कर रही हो, लेकिन सीतापुर में संचालित संस्कृत विद्यालयों को अपना अस्तित्व बचाने के लिए जूझना पड़ रहा है. इन विद्यालयों में छात्रों को पढ़ाने वाले शिक्षकों का अभाव है. जिले में 13 संस्कृत विद्यालय 10 शिक्षकों के सहारे चल रहे हैं, तो सात विद्यालयों में शिक्षक ही नहीं है. ऐसे में इन विद्यालयों में पढ़ने वाले छात्रों का भविष्य भी अंधकारमय होता जा रहा है.

संस्कृत स्कूलों में शिक्षकों की कमीं.

नहीं हो रही रिक्त पदों पर भर्ती:
पूरे जिले में संस्कृत भाषा के कुल 18 विद्यालय संचालित है. जिनमें 13 विद्यालय अशासकीय सहायता प्राप्त और पांच विद्यालय वित्तविहीन मान्यता प्राप्त है. वित्तविहीन को छोड़कर अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में शिक्षकों के कुल 42 पद है. जिन पर कुछ समय पहले तक शिक्षक भी कार्यरत थे, लेकिन धीरे-धीरे शिक्षक सेवानिवृत्त होते गये और रिक्त पदों की संख्या बढ़ती गयी.

मौजूदा हालात ये हैं कि इन तेरह विद्यालयों में सिर्फ 10 शिक्षक ही कार्यरत हैं, जबकि करीब 5 सौ छात्र संस्कृत विद्यालयों में अध्ययनरत है. कई विद्यालयों में एक भी शिक्षक न होने के कारण दूसरे विद्यालय के शिक्षकों को अटैच कर छात्रों को पढ़ाया जा रहा है.

छात्रों ने की शिक्षकों की तैनती की मांग:
केन्द्र और राज्य में बीजेपी सरकार बनने के बाद इन संस्कृत विद्यालयों के उत्थान की उम्मीद जगी थी, लेकिन समय के साथ इस उम्मीद की लौ मद्धिम पड़ने लगी है. छात्रों और प्रबंधक ने सरकार से इन स्कूलों में शिक्षकों की तैनाती की मांग की है. वहीं जिला विद्यालय निरीक्षक का कहना है कि फिलहाल सरकार ने मानदेय पर शिक्षकों की नियुक्ति के आदेश दिए हैं, बाद में आयोग से इन रिक्त पदों पर नियुक्ति की जाएगी.

Intro:सीतापुर: देवभाषा संस्कृत के उत्थान के लिए सरकार भले ही प्रयास कर रही हो लेकिन सीतापुर में संचालित संस्कृत विद्यालयों को अपना अस्तित्व बचाने के लिए जूझना पड़ रहा है. इन विद्यालयों में छात्रों को पढ़ाने वाले शिक्षकों का भी अभाव है. जिले में 13 संस्कृत विद्यालय 10 शिक्षकों के सहारे चल रहे हैं तो सात विद्यालयों में शिक्षक ही नही है.ऐसे में इन विद्यालयों में पढ़ने वाले छात्रों का भविष्य भी अंधकार मय होता जा जा रहा है.


Body:पूरे जिले में संस्कृत भाषा के कुल 18 विद्यालय संचालित है जिनमे 13 विद्यालय अशासकीय सहायता प्राप्त और पांच विद्यालय वित्तविहीन मान्यता प्राप्त है.वित्तविहीन को छोड़कर अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में शिक्षकों के कुल 42 है जिनपर कुछ समय पहले तक शिक्षक भी कार्यरत थे लेकिन धीरे धीरे शिक्षक सेवानिवृत्त होते गये और रिक्त पदों की संख्या बढ़ती गयी.वर्तमान समय मे इन तेरह विद्यालयों में सिर्फ 10 शिक्षक ही कार्यरत हैं जबकि करीब 5 सौ छात्र संस्कृत विद्यालयों में अध्ययनरत है. करीब विद्यालयों में एक भी शिक्षक न होने के कारण दूसरे विद्यालय के शिक्षकों को अटैच कर छात्रों को पढ़ाया जा रहा है.


Conclusion:केन्द्र और राज्य में बीजेपी सरकार बनने के बाद इन संस्कृत विद्यालयों के उत्थान की उम्मीद जगी थी लेकिन समय बीतने के साथ यह उम्मीद की लौ मद्धिम पड़ने लगी है. छात्रों और प्रबंधक ने सरकार से इन स्कूलों में शिक्षकों की तैनाती की मांग की है वहीं जिला विद्यालय निरीक्षक का कहना है कि फिलहाल सरकार ने मानदेय पर शिक्षकों की नियुक्ति के आदेश दिए हैं बाद में आयोग से इन रिक्त पदों पर नियुक्ति की जाएगी.

बाइट-दीपेन्द्र (छात्र)
बाइट-आशुतोष शुक्ला (प्रबंधक-मोहनलाल गुरुकुल संस्कृत विद्यालय)
बाइट-नरेन्द्र शर्मा (डीआईओएस)

सीतापुर से नीरज श्रीवास्तव की रिपोर्ट,9415084887
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