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सीतापुर के पहाड़पुर गांव को आज भी है विकास की दरकार

त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के लिए मैदान में उतरने वाले उम्मीदवारों ने तैयारी शुरू कर दी है. पिछले पंचायत चुनाव में जीते उम्मीदवारों ने क्या विकास कार्य किए ये जानने के लिए जब ईटीवी भारत की टीम सीतापुर पहुंचा तो यहां पर विकास कार्यों की पोल खुल गई. पढ़िए ये रिपोर्ट...

सीतापुर से गांव की ग्राउंड रिपोर्ट.
सीतापुर से गांव की ग्राउंड रिपोर्ट.
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Published : Jan 31, 2021, 11:56 AM IST

सीतापुर: उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव का शंखनाद हो चुका है. सरकार ने पंचायत चुनाव को लेकर लगभग सभी तैयारियां पूरी कर ली हैं. भावी प्रत्याशी वोटरों से संपर्क करने के साथ साथ गांवों में जगह जगह अपनी अपनी होर्डिंगों के माध्यम से अपना अपना प्रचार करने में जुट गये है. ग्रामीण इलाकों में मतदाता भी विकास कार्यों का हिसाब मांगने लगे हैं.

पहाड़पुर गांव की ग्राउंड रिपोर्ट
सीतापुर जनपद में 79 जिला पंचायत वार्ड हैं. वर्ष 2015 में इन वार्डों से जनता ने जिला पंचायत सदस्यों को चुना था. जिनका अब कार्यकाल पूरा हो चुका है. इस बार जिले में हुए आंशिक परिसीमन में जिला पंचायत के वार्डों में कोई बदलाव नहीं हुआ है. केवल विकास खण्ड बेहटा की दो ग्राम पंचायतें और दो क्षेत्र पंचायत वार्ड नगर पंचायत महोली में शामिल किए गये हैं. इस बार के पंचायत चुनाव में जनपद के 79 वार्डों पर जिला पंचायत सदस्य के पद पर चुनाव होना है. यहां अभी आरक्षण की प्रक्रिया शेष है, लेकिन भावी प्रत्याशियों ने अपने-अपने तरीके से वोटरों से संपर्क करना शुरू कर दिया है. होर्डिंगो, पोस्टरों के माध्यम से वह अपनी-अपनी दावेदारी दर्ज करने में लगे हुए हैं.

सीतापुर से गांव की ग्राउंड रिपोर्ट.

मूलभूत सुविधाओं की दरकार
वर्तमान समय में यहां जितेंद्र यादव जिला पंचायत अध्यक्ष हैं. सिधौली विधानसभा मुख्यालय से 9 किलोमीटर दूर स्थित पहाड़पुर गांव सराय नदी से तीन तरफ से घिरा हुआ है. यहां के लोगों के लिए जिला मुख्यालय और तहसील मुख्यालय तक आने-जाने का जंगल से गुजरने वाला एक मात्र कच्चा मार्ग ही विकल्प है. इस गांव के लोगों को आज भी सड़क, नाली, स्कूल, अस्पताल आदि मूलभूत सुविधाओं की दरकार है.

गांव में नहीं है एक भी अस्पताल
पहाड़पुर के ग्रामीणों ने बताया कि उनका गांव चारों ओर से सराय नदी से घिरा हुआ है. गांव के बच्चे पढने नहीं जा पाते हैं. उन्हें आठवां पढाकर घर में बच्चों को बैठा दिया जाता है. ग्रामीणों का कहना है कि उनकी कोई सुनता ही नहीं है. गांव में न अस्पताल है न ही कक्षा 8 के बाद कोई स्कूल है और न ही कोई रास्ता है. बच्चे पैदल जंगल में हो कर कैसे स्कूल जाएंगे. आजादी के इतने साल हो गये हैं, गांव का कोई विकास नहीं हुआ है. गांव में जूनियर तक स्कूल है और यहां एक भी रास्ता सही नहीं है. अस्पतालों की बात की जाए तो इस गांव में एक भी अस्पताल नहीं है. बरसात के समय गांव तक एंबुलेंस जाने का कोई रास्ता नहीं है. उस समय अगर कोई बीमार हो जाए तो उसे चारपाई पर लेकर 6 किलोमीटर दूर जाना पड़ता है.

सीतापुर: उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव का शंखनाद हो चुका है. सरकार ने पंचायत चुनाव को लेकर लगभग सभी तैयारियां पूरी कर ली हैं. भावी प्रत्याशी वोटरों से संपर्क करने के साथ साथ गांवों में जगह जगह अपनी अपनी होर्डिंगों के माध्यम से अपना अपना प्रचार करने में जुट गये है. ग्रामीण इलाकों में मतदाता भी विकास कार्यों का हिसाब मांगने लगे हैं.

पहाड़पुर गांव की ग्राउंड रिपोर्ट
सीतापुर जनपद में 79 जिला पंचायत वार्ड हैं. वर्ष 2015 में इन वार्डों से जनता ने जिला पंचायत सदस्यों को चुना था. जिनका अब कार्यकाल पूरा हो चुका है. इस बार जिले में हुए आंशिक परिसीमन में जिला पंचायत के वार्डों में कोई बदलाव नहीं हुआ है. केवल विकास खण्ड बेहटा की दो ग्राम पंचायतें और दो क्षेत्र पंचायत वार्ड नगर पंचायत महोली में शामिल किए गये हैं. इस बार के पंचायत चुनाव में जनपद के 79 वार्डों पर जिला पंचायत सदस्य के पद पर चुनाव होना है. यहां अभी आरक्षण की प्रक्रिया शेष है, लेकिन भावी प्रत्याशियों ने अपने-अपने तरीके से वोटरों से संपर्क करना शुरू कर दिया है. होर्डिंगो, पोस्टरों के माध्यम से वह अपनी-अपनी दावेदारी दर्ज करने में लगे हुए हैं.

सीतापुर से गांव की ग्राउंड रिपोर्ट.

मूलभूत सुविधाओं की दरकार
वर्तमान समय में यहां जितेंद्र यादव जिला पंचायत अध्यक्ष हैं. सिधौली विधानसभा मुख्यालय से 9 किलोमीटर दूर स्थित पहाड़पुर गांव सराय नदी से तीन तरफ से घिरा हुआ है. यहां के लोगों के लिए जिला मुख्यालय और तहसील मुख्यालय तक आने-जाने का जंगल से गुजरने वाला एक मात्र कच्चा मार्ग ही विकल्प है. इस गांव के लोगों को आज भी सड़क, नाली, स्कूल, अस्पताल आदि मूलभूत सुविधाओं की दरकार है.

गांव में नहीं है एक भी अस्पताल
पहाड़पुर के ग्रामीणों ने बताया कि उनका गांव चारों ओर से सराय नदी से घिरा हुआ है. गांव के बच्चे पढने नहीं जा पाते हैं. उन्हें आठवां पढाकर घर में बच्चों को बैठा दिया जाता है. ग्रामीणों का कहना है कि उनकी कोई सुनता ही नहीं है. गांव में न अस्पताल है न ही कक्षा 8 के बाद कोई स्कूल है और न ही कोई रास्ता है. बच्चे पैदल जंगल में हो कर कैसे स्कूल जाएंगे. आजादी के इतने साल हो गये हैं, गांव का कोई विकास नहीं हुआ है. गांव में जूनियर तक स्कूल है और यहां एक भी रास्ता सही नहीं है. अस्पतालों की बात की जाए तो इस गांव में एक भी अस्पताल नहीं है. बरसात के समय गांव तक एंबुलेंस जाने का कोई रास्ता नहीं है. उस समय अगर कोई बीमार हो जाए तो उसे चारपाई पर लेकर 6 किलोमीटर दूर जाना पड़ता है.

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