सीतापुर: बादशाह अकबर के नवरत्नों में से एक थे राजा टोडरमल. राजा टोडरमल को भूमि पैमाइश और राजस्व कर प्रणाली का जनक माना जाता है. उनका जन्म सीतापुर के लहरपुर कस्बे में हुआ था. सामान्य लेखक के रूप में अपने जीवन की शुरुआत करने वाले राजा टोडरमल ने भागवत पुराण का फारसी में अनुवाद करके अपनी एक और पहचान कायम की थी.
लेखक के रूप में किया था जीवन शुरू
राजा टोडरमल का जन्म 10 फरवरी 1503 को सीतापुर के लहरपुर कस्बे में हुआ था. छोटे थे तभी उनके पिता का स्वर्गवास हो गया था. उनके पास आजीविका का कोई साधन नहीं था. लिहाजा सामान्य लेखक के रूप में उन्होंने अपना जीवन शुरू किया था. उनकी विद्वता की जानकारी मिलने पर अकबर बादशाह ने उन्हें अपने दरबार में महत्त्वपूर्ण जिम्मेदारी दी.
राजा टोडरमल ने शुरू करवाई थी मालगुजारी की व्यवस्था
राजा टोडरमल ने मुगल साम्राज्य में भूमि पैमाइश और कर प्रणाली की नई व्यवस्था लागू की थी. प्रख्यात लेखक राहुल सांकृत्यायन ने अपनी एक किताब में लिखा है कि उन्होंने लड़ाई के मैदान में न सिर्फ अपनी तलवार का जौहर दिखाया, बल्कि देश के शासन प्रबंध और भू कर व्यवस्था के लिए जो नियम निकाले, उसकी छाप सारे मुगल शासन काल और अंग्रेजी शासन से होते हुए आज भी मौजूद है. गांव में मालगुजारी की व्यवस्था उन्होंने ही बनाई थी. उन्हीं के सुझाव पर हिजरी 682 (1574-1575) में सारे मुल्क को 12 सूबों में बांटा गया था और 10 साल बंदोबस्त मुकर्रर हुआ.
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बादशाह अकबर के अधीन उन्हें आगरा का प्रभारी बनाया गया और बाद में उन्हें गुजरात का राज्यपाल बनाया गया. उन्होंने बंगाल में अकबर की टकसाल का भी प्रबंधन किया. वह बहुत पूजा पाठ करते थे और फारसी भाषा के काफी जानकर थे. उनका देहावसान 8 नवम्बर 1589 को हुआ था.