सीतापुर: कोरोना के कारण लागू हुए लॉकडाउन में नौकरी जाने के बाद दाने-दाने के लिए मोहताज हुए मेरठ के 68 वर्ष के नेत्रपाल की जब किसी ने फरियाद नहीं सुनी उन्होंने सीएम से मिलने की ठानी. सीएम से गुहार लगाने के लिए वह बीती 3 फरवरी को हाथ रिक्शे से अपनी बीमार पत्नी राजेन्द्री को लेकर वह मेरठ से निकले थे. लगातार 15 दिन से रास्ते की तमाम मुसीबतों को झेलते हुए वह गुरुवार को जिले के सिधौली कस्बा पहुंचे. यहां उनकी मुसीबतों की दास्तां सुनकर स्थानीय लोगों के साथ आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ता आगे आए और उनके लिए भोजन, राशन और फल आदि की व्यवस्था की. कुछ देर वहां रुकने के बाद वह आगे बढ़ गए. इस दौरान उन्होंने बताया कि वह मदद के लिए सीएम से गुहार लगाने जा रहे हैं.
दाने-दाने के लिए मोहताज हुए दंपति
नेत्रपाल ने बताया कि वह एक निजी विद्यालय में स्कूल बस चलाते थे. कोरोना काल में सरकार द्वारा घोषित लाॉकडाउन में उनका रोजगार छिन गया. राशन कार्ड न होने से वह उस समय राशन इत्यादि के लिए भी मोहताज हो गये. इस दौरान उनकी किसी ने भी खबर नहीं ली. उन्होंने बताया कि बीमारी के इलाज के लिए सरकार की आयुष्मान योजना का भी उन्हें लाभ नहीं मिला. एक छोटे से प्लाट गुजारा करने वाले बुजुर्ग दंपति को प्रधानमंत्री आवास योजना का भी लाभ नहीं मिल सका.
नेत्रपाल ने अपनी पीड़ा बताते हुए कहा कि दुनिया में उनके जैसा आभागा शायद ही कोई होगा. उन्होंने बताया कि उनके 27 वर्ष के पुत्र ने वर्ष 2014 में मानसिक तनाव के चलते खुदकुशी कर ली थी. उनकी एक पुत्री है जिसका विवाह हो चुका है. वह अपने परिवार के साथ मेरठ में ही रहती है.
अधिकारियों ने नहीं सुनी दंपति की फरियाद
उन्होंने बताया वह अपनी समस्याओं को लेकर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से गुहार लगायेंगे और बतायेंगे कि सरकारी नौकरी मिलने के बाद अधिकारी इतना बेफिक्र हो जाता है कि उसे दूसरो की समस्याएं भी नहीं दिखाई देती. उन्होंने कई बार अधिकारियों से गुहार लगाई, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई. उन्होंने बताया कि वह इस उम्मीद के साथ मुख्यमंत्री से मिलने जा रहे है कि शायद मुख्यमंत्री उनकी परेशानियों को समझें और उनकी दिक्कतों का निराकरण हो जाये.