श्रावस्ती: अपर जिला सत्र ने गुरुवार को दुष्कर्म के एक मामले में सात साल बाद फैसला सुनाया. अपर जिला सत्र न्यायाधीश दिनेश सिंह ने आरोपित को दोषी करार देते हुए 7 वर्ष के कारावास की सजा सुनाई है. इसके साथ ही उस पर 30 हजार रुपये का अर्थदंड भी लगाया. अर्थदंड अदा न करने पर दोषी को एक वर्ष का अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा.
अपर जिला शासकीय अधिवक्ता (फौजदारी) सत्येंद्र बहादुर सिंह ने बताया कि 26 नवंबर 2012 को 13 वर्षीय एक किशोरी को आरोपी भगत अपने साथियों के साथ बहला-फुसलाकर भगा ले गया. इसके बाद उसने उसके साथ दुष्कर्म किया. इस मामले में किशोरी के पिता की तहरीर पर सिरसिया थाने की पुलिस ने रिपोर्ट दर्ज की. विवेचना के दौरान लगभग छह माह के बाद अपहृत किशोरी को बरामद किया गया.
अपर जिला शासकीय अधिवक्ता ने कहा कि पीड़िता के बयान के अनुसार आरोपित भगत के खिलाफ न्यायालय पर चार्ज शीट भेजी गई. मामले का विचारण अपर जिला सत्र न्यायालय (रेप एलांग विद पाक्सो एक्ट) की अदालत पर किया गया. अपर जिला सत्र न्यायाधीश दिनेश सिंह ने आरोपित को दोषी करार देते हुए सात वर्ष के कारावास की सजा सुनाई है. विशेष लोक अभियोजक रोहित गुप्ता ने बताया कि न्यायलय ने यह भी आदेश किया है कि अर्थदंड की धनराशि में से 25 हजार रुपये पीड़िता को दिया जाएगा.
छेड़खानी के दोषी को भी 4 वर्ष का कारावासः वहीं, कोर्ट ने एक अन्य छेड़खानी के मामले में भी फैसला सुनाया. कोर्ट ने सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता (फौजदारी) उमाकांत त्रिपाठी ने बताया कि भिनगा क्षेत्र के एक गांव में 12 नवंबर 2018 को आरोपी प्रभुदीन ने घर के अंदर खाना बना रही किशोरी का जबरन हाथ पकड़कर पटक दिया और उसके साथ अश्लील हरकत करने लगा. किशोरी के शोर मचाने पर जब उसके परिजन मौके पर आ गए तो आरोपित भाग खड़ा हुआ. किशोरी की मां की तहरीर पर भिनगा पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर आरोप पत्र न्यायालय में भेजा. मामले के विचारण के बाद अपर सत्र न्यायाधीश/विशेष न्यायाधीश सुदामा प्रसाद ने आरोपित प्रभुदीन को दोषसिद्ध ठहराते हुए. 4 वर्ष के सश्रम कारावास की सजा सुनाई है.
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