श्रावस्ती: जिले के इकौना क्षेत्र के एक गांव में 12 वर्ष पूर्व हुए अपहरण और दुष्कर्म के मामले में न्यायालय ने सोमवार को दुराचारी और उसके सहयोगी पति- पत्नी को दोष सिद्ध ठहराते हुए सात-सात वर्ष के सश्रम कारावास की सजा सुनाई है. साथ ही 70 हजार रूपये के अर्थदंड से भी दंडित किया गया है. अपर जिला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी सतेंद्र बहादुर सिंह ने बताया कि 26 जून 2011 को घर में अकेली मौजूद एक 14 वर्षीय नाबालिग किशोरी को उसके मामा ननके अपनी पत्नी विमला और अपने सगे साले सर्वेश कुमार के साथ मिलकर भगा ले गया था.
इस मामले में पीड़िता के मां की तहरीर पर इकौना थाने में मुकदमा पंजीकृत किया गया था. घटना के चार माह बाद पीड़िता की बरामदगी हुई थी. उन्होंने आगे बताया कि बरामदगी के बाद पीड़िता ने अपने बयान में बताया कि घटना वाले दिन उसके मामा-मामी सर्वेश के साथ घर आए थे. वह उसे जबरदस्ती लेकर चले गए. अभियुक्त पहले उसे परसिया गांव ले गए. वहां उसके साथ में जबरदस्ती बलात्कार किया. इसके बाद सर्वेश गोंडा से अयोध्या लेकर गए. अयोध्या में किराए का कमरा लेकर उसे एक माह तक रखा और रोज उसके साथ जबरदस्ती बलात्कार करते थे. फिर उसे मुंबई लेकर गए. दो माह मुंबई में रखा वहां पर भी उसके साथ लगातार बलात्कार करते रहे.
मामले की विवेचना इकौना पुलिस द्वारा की गई. आरोप पत्र न्यायालय पर भेजा गया. मामले का विचारण अपर सत्र न्यायालय (रेप एलाग विद पॉक्सो एक्ट) के न्यायालय पर हुआ. अपर जिला सत्र न्यायाधीश दिनेश सिंह ने तीनों अभियुक्तों सर्वेश ननके और विमला को दोषी करार देते सात-सात वर्ष के सश्रम कारावास की सजा सुनाई है. साथ ही 70 हजार रुपये के अर्थदंड से भी दंडित किया है. विशेष लोक अभियोजक रोहित गुप्ता ने बताया कि अर्थदंड अदा न करने की दशा में अभियुक्तों को डेढ़-डेढ़ माह का अतिरिक्त कारावास की सजा भुगतनी पड़ेगी.
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