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लाॅकडाउन की मार: बंदी की कगार पर सहारनपुर का वुड कार्विंग कारोबार

अमेरिका के व्हाइट हाउस से लेकर कई बड़े घरानों की शोभा बढ़ा चुका यूपी के सहारनपुर जिले का मशहूर वुड कार्विंग कोराबार लाॅकडाउन की मार के चलते बंदी की कगार पर है. विदेशी निर्यातकों ने कोरोना संकट के कारण 90 फीसदी ऑर्डर कैंसिल कर दिया है. काम न होने के कारण कई छोटे-बड़े कारखाने बंद हो गए हैं जिसके चलते हजारों कामगार बेरोजगार हो गए हैं.

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बंद होने की कगार पर सहारनपुर का वुड कार्विंग कारोबार.
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Published : Jun 21, 2020, 8:12 PM IST

Updated : Sep 17, 2020, 4:22 PM IST

सहारनपुर: जिले का सबसे बड़ा वुड कार्विंग कारोबार देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी अपनी काफी पहचान बना चुका है. यहां बनने वाले लकड़ी के सामान अमेरिका के व्हाइट हाउस से लेकर कई बड़े घरानों की शोभा बढ़ा चुके हैं. लाॅकडाउन के कारण काम बंद हो गया और मजदूर पलायन कर गए, जो अब आने को तैयार नहीं है. वहीं निर्यातकों ने भी कोरोना वायरस और आर्थिक तंगी के कारण पहले से दिए गए ऑर्डर को कैंसिल कर दिया है. विदेशी कंपनियों के करीब 90 फीसदी ऑर्डर कैंसिल हो गए हैं. लिहाजा ऐसे में अब कारोबार बंद होने की कगार पर है. वहीं कारोबारियों ने प्रदेश के सीएम को पत्र लिखकर आर्थिक मदद की गुहार लगाई है.

बंद होने की कगार पर वुड कार्विंग कारोबार.

सालाना 800 से 1000 करोड़ का होता था कारोबार
वुड कार्विंग कारोबार को काष्ठ कला भी कहते हैं. कारोबारियों के अनुसार वुड कार्विंग कारोबार करीब 400 साल पुराना है. हर साल 800 से 1000 करोड़ रुपये के बीच टर्न ओवर होता था, लेकिन लाॅकडाउन के कारण अब कारोबार बंदी की कगार पर है. दो माह से अधिक समय से जिले में लकड़ी के सभी कारखाने बंद हैं. जिले में तैयार किया गया हैंडीक्राफ्ट का सामान देश के सभी राज्यों के अलावा विदेशों में भी निर्यात होता है और इस कारोबार से 4 लाख से अधिक कामगार जुड़े है. यहां लकड़ियों को तराश कर बेड, सोफे, कुर्सियां, मेज, झूले, पशुओं की आकृति, चाबी के छल्ले, लकड़ी के पेन से लेकर घरेलू साज-सज्जा के सामान के अलावा बच्चों के खिलौने भी बनाए जाते हैं.

अमेरिका के व्हाइट हाउस में लगी हैं यहां की खिड़कियां और दरवाजे
जिले के कारीगर अपनी शानदार हस्तलिपि कला के चलते विदेशियों को भी अपनी ओर आकर्षित करते रहे हैं. अमेरिका के व्हाइट हाउस में लगा लकड़ी का दरवाजा और खिड़कियां जिले में ही तैयार की गई हैं. लाॅकडाउन के कारण काम बंद होने की वजह से मजदूर पलायन कर गए और अब आने को तैयार नहीं है. कारोबारियों ने बताया कि अनलाॅक के बाद केवल 10 से 15 फीसदी मजदूर ही काम पर वापस आए हैं. कोरोना के कारण विदेशी निर्यातकों ने ऑर्डर कैंसिल कर दिया है. वहीं पहले से निर्यात किए गए माॅल का अभी तक कारोबारियों को पैसा भी नहीं मिला है. लॉकडाउन से पहले निर्यात किया गया अरबों रुपये का सामान समुद्री जहाजों में फंसा हुआ है.

छोटे कारखाने हुए बंद, लाखों कामगार बेरोजगार
कारोबारियों के अनुसार मौजूदा समय में कोरोना संकट के कारण काम न होने की वजह से हजारों की संख्या में छोटे-बड़े लकड़ी के कारखाने बंद हो गए हैं. इस कारण लाखों कामगार बेरोजगार हो गए हैं और उनके सामने रोजी-रोटी का संकट मंडरा रहा है. कोरोना संकट के कारण कारोबार सिमट कर 20 फीसदी रह गया है. कारीगर अहसान ने बताया कि अगर कुछ दिनों तक ऐसा ही चलता रहा, तो कारोबार पूरी तरह से बंद हो जाएगा और इससे जुड़े सभी लोग बेरोजगार हो जाएंगे.

400 साल पहले कश्मीर से आया था जिले में यह कारोबार
वुड कार्विंग एसोसिएशन के अध्यक्ष शेख फैजान अहमद ने बताया कि वुड कार्विंग यानी कि काष्ठ कला का काम करीब 400 साल पहले कश्मीर से सहारनपुर जिले में आया था. तभी से यह कारोबार जिले में लगातार बढ़ने लगा और इतना ज्यादा फैल गया कि इसने विदेशों में भी अपनी पहचान बना ली. इसके बाद से यहां से सामान विदेशों में निर्यात होने लगा. उन्होंने बताया कि इससे पहले 800 से 1000 करोड़ रुपये का सालाना कारोबार होता था. कोरोना के कारण इस बार 150 करोड़ रुपये का कारोबार भी नहीं हो पाया है.

एक्सपोर्टर गुड्डू कुरैशी ने बताया कि सभी एक्सपोर्टरों और एक्सपोर्टर ऑफ ऑर्गेनाइजेशन ने भी कंपनियों से ऑर्डर कैंसिल करने की बजाए होल्ड रखने की अपील की थी, लेकिन मंदी के दौर में विदेशी निर्यातकों ने सभी ऑर्डर कैंसिल कर दिए. वहीं कार्विंग एसोसिएशन ने प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर आर्थिक मदद की गुहार लगाई है.

सहारनपुर: जिले का सबसे बड़ा वुड कार्विंग कारोबार देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी अपनी काफी पहचान बना चुका है. यहां बनने वाले लकड़ी के सामान अमेरिका के व्हाइट हाउस से लेकर कई बड़े घरानों की शोभा बढ़ा चुके हैं. लाॅकडाउन के कारण काम बंद हो गया और मजदूर पलायन कर गए, जो अब आने को तैयार नहीं है. वहीं निर्यातकों ने भी कोरोना वायरस और आर्थिक तंगी के कारण पहले से दिए गए ऑर्डर को कैंसिल कर दिया है. विदेशी कंपनियों के करीब 90 फीसदी ऑर्डर कैंसिल हो गए हैं. लिहाजा ऐसे में अब कारोबार बंद होने की कगार पर है. वहीं कारोबारियों ने प्रदेश के सीएम को पत्र लिखकर आर्थिक मदद की गुहार लगाई है.

बंद होने की कगार पर वुड कार्विंग कारोबार.

सालाना 800 से 1000 करोड़ का होता था कारोबार
वुड कार्विंग कारोबार को काष्ठ कला भी कहते हैं. कारोबारियों के अनुसार वुड कार्विंग कारोबार करीब 400 साल पुराना है. हर साल 800 से 1000 करोड़ रुपये के बीच टर्न ओवर होता था, लेकिन लाॅकडाउन के कारण अब कारोबार बंदी की कगार पर है. दो माह से अधिक समय से जिले में लकड़ी के सभी कारखाने बंद हैं. जिले में तैयार किया गया हैंडीक्राफ्ट का सामान देश के सभी राज्यों के अलावा विदेशों में भी निर्यात होता है और इस कारोबार से 4 लाख से अधिक कामगार जुड़े है. यहां लकड़ियों को तराश कर बेड, सोफे, कुर्सियां, मेज, झूले, पशुओं की आकृति, चाबी के छल्ले, लकड़ी के पेन से लेकर घरेलू साज-सज्जा के सामान के अलावा बच्चों के खिलौने भी बनाए जाते हैं.

अमेरिका के व्हाइट हाउस में लगी हैं यहां की खिड़कियां और दरवाजे
जिले के कारीगर अपनी शानदार हस्तलिपि कला के चलते विदेशियों को भी अपनी ओर आकर्षित करते रहे हैं. अमेरिका के व्हाइट हाउस में लगा लकड़ी का दरवाजा और खिड़कियां जिले में ही तैयार की गई हैं. लाॅकडाउन के कारण काम बंद होने की वजह से मजदूर पलायन कर गए और अब आने को तैयार नहीं है. कारोबारियों ने बताया कि अनलाॅक के बाद केवल 10 से 15 फीसदी मजदूर ही काम पर वापस आए हैं. कोरोना के कारण विदेशी निर्यातकों ने ऑर्डर कैंसिल कर दिया है. वहीं पहले से निर्यात किए गए माॅल का अभी तक कारोबारियों को पैसा भी नहीं मिला है. लॉकडाउन से पहले निर्यात किया गया अरबों रुपये का सामान समुद्री जहाजों में फंसा हुआ है.

छोटे कारखाने हुए बंद, लाखों कामगार बेरोजगार
कारोबारियों के अनुसार मौजूदा समय में कोरोना संकट के कारण काम न होने की वजह से हजारों की संख्या में छोटे-बड़े लकड़ी के कारखाने बंद हो गए हैं. इस कारण लाखों कामगार बेरोजगार हो गए हैं और उनके सामने रोजी-रोटी का संकट मंडरा रहा है. कोरोना संकट के कारण कारोबार सिमट कर 20 फीसदी रह गया है. कारीगर अहसान ने बताया कि अगर कुछ दिनों तक ऐसा ही चलता रहा, तो कारोबार पूरी तरह से बंद हो जाएगा और इससे जुड़े सभी लोग बेरोजगार हो जाएंगे.

400 साल पहले कश्मीर से आया था जिले में यह कारोबार
वुड कार्विंग एसोसिएशन के अध्यक्ष शेख फैजान अहमद ने बताया कि वुड कार्विंग यानी कि काष्ठ कला का काम करीब 400 साल पहले कश्मीर से सहारनपुर जिले में आया था. तभी से यह कारोबार जिले में लगातार बढ़ने लगा और इतना ज्यादा फैल गया कि इसने विदेशों में भी अपनी पहचान बना ली. इसके बाद से यहां से सामान विदेशों में निर्यात होने लगा. उन्होंने बताया कि इससे पहले 800 से 1000 करोड़ रुपये का सालाना कारोबार होता था. कोरोना के कारण इस बार 150 करोड़ रुपये का कारोबार भी नहीं हो पाया है.

एक्सपोर्टर गुड्डू कुरैशी ने बताया कि सभी एक्सपोर्टरों और एक्सपोर्टर ऑफ ऑर्गेनाइजेशन ने भी कंपनियों से ऑर्डर कैंसिल करने की बजाए होल्ड रखने की अपील की थी, लेकिन मंदी के दौर में विदेशी निर्यातकों ने सभी ऑर्डर कैंसिल कर दिए. वहीं कार्विंग एसोसिएशन ने प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर आर्थिक मदद की गुहार लगाई है.

Last Updated : Sep 17, 2020, 4:22 PM IST
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