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सहारनपुर: देवीकुंड स्थित माता अन्नपूर्णा मन्दिर में विशेष व्रत व पूजन शुरू

सहारनपुर जिले के देवबंद नगर के देवीकुंड स्थित माता अन्नपूर्णा मंदिर में विशेष व्रत प्रारम्भ हो गया है. यह व्रत कार्तिक माह की पूर्णिमा से अगहन की चौदस तक 29 दिनों के लिए रहता है. ऐसी मान्यता है जो भी इस व्रत को करता है माता अन्नपूर्णा उन पर सदा अन्न की कृपा बनाये रखती हैं.

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देवीकुंड स्थित माता अन्नपूर्णा मन्दिर में विशेष व्रत व पूजन शुरू
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Published : Nov 28, 2019, 3:16 PM IST

Updated : Sep 17, 2020, 4:21 PM IST

सहारनपुर: देवबंद नगर के अन्नपूर्णा माता मन्दिर में विशेष व्रत व पूजन शुरू हो गया. इस व्रत को करने का अवसर साल में केवल एक बार प्राप्त होता है. मान्यता है कि इस व्रत को करने से कभी भी अन्न का कष्ट नहीं होता है. देवीकुंड स्थित माता अन्नपूर्णा मन्दिर पर आसपास के इलाके के अलावा दूर दराज से आए लोगों का भी मंदिर में तांता लगा रहता है.

देवीकुंड स्थित माता अन्नपूर्णा मन्दिर में विशेष व्रत व पूजन शुरू
कैसे होता है व्रत-
  • 21 दिनों का व्रत किया जाता है.
  • कार्तिक मास की पूर्णिमा से अगहन की चौदस तक मनाया जाता है व्र.त
  • इस व्रत को करने से भक्त कभी भूखा नहीं रहता.

क्या है मान्यता-

  • ऐसा माना जाता है कि सृष्टि रचने के बाद मनुष्य के भोजन के लिए भगवान शंकर ने मां अन्नपूर्णा से अन्न की भिक्षा मांगी थी.
  • माता ने भगवान को चावल का दान दिया था.
  • भगवान शंकर द्वारा मां से भिक्षा लेने के बाद सृष्टि के लोगों को अन्न की प्राप्ति हुई थी.
  • लोग आज भी अपनी फसल का पहला भोग माता अन्नपूर्णा को समर्पित करते हैं, उसके बाद ही वे उन्हें बाजारों में बेचते हैं.

सहारनपुर: देवबंद नगर के अन्नपूर्णा माता मन्दिर में विशेष व्रत व पूजन शुरू हो गया. इस व्रत को करने का अवसर साल में केवल एक बार प्राप्त होता है. मान्यता है कि इस व्रत को करने से कभी भी अन्न का कष्ट नहीं होता है. देवीकुंड स्थित माता अन्नपूर्णा मन्दिर पर आसपास के इलाके के अलावा दूर दराज से आए लोगों का भी मंदिर में तांता लगा रहता है.

देवीकुंड स्थित माता अन्नपूर्णा मन्दिर में विशेष व्रत व पूजन शुरू
कैसे होता है व्रत-
  • 21 दिनों का व्रत किया जाता है.
  • कार्तिक मास की पूर्णिमा से अगहन की चौदस तक मनाया जाता है व्र.त
  • इस व्रत को करने से भक्त कभी भूखा नहीं रहता.

क्या है मान्यता-

  • ऐसा माना जाता है कि सृष्टि रचने के बाद मनुष्य के भोजन के लिए भगवान शंकर ने मां अन्नपूर्णा से अन्न की भिक्षा मांगी थी.
  • माता ने भगवान को चावल का दान दिया था.
  • भगवान शंकर द्वारा मां से भिक्षा लेने के बाद सृष्टि के लोगों को अन्न की प्राप्ति हुई थी.
  • लोग आज भी अपनी फसल का पहला भोग माता अन्नपूर्णा को समर्पित करते हैं, उसके बाद ही वे उन्हें बाजारों में बेचते हैं.
Intro:नगर के माता अन्नपूर्णा मन्दिर में माता के विशेष व्रत व पूजन शुरू हो गया हसि। यह व्रत केवल साल में एक बार ही करने का अवसर प्राप्त होता है। इस व्रत को करने से कभी भी अन्न का कष्ट नही होता है।


Body:नगर के माता अन्नपूर्णा मन्दिर में माता के विशेष व्रत व पूजन शुरू हो गया हसि। यह व्रत केवल साल में एक बार ही करने का अवसर प्राप्त होता है। इस व्रत को करने से कभी भी अन्न का कष्ट नही होता है।
देवबंद नगर के देवीकुंड स्थित माता अन्नपूर्णा मन्दिर पर माता के विशेष व्रत प्रारंभ हो गए है। यह व्रत कार्तिक मास की पूर्णिमा से अगहन की चौदस तक 29 दिन के होते है। इन 29 दिनों में से कोई भी 21 दिन का व्रत करके माता अन्नपूर्णा को प्रसन्न किया जा सकता है। यह अवसर केवल साल में एक बार ही आता है। इस व्रत को करने वालो को कभी भी भूखा सोना नही पड़ता, माता अन्नपूर्णा उन पर सदा अन्न की कृपा बनाये रखती है। सृष्टि रचने के बाद मनुष्य के खाने के लिए भगवान भोले शंकर ने माता अन्नपूर्णा से अन्न की भिक्षा मांगी थी ,जिस पर माता ने भगवान को चावल का दान दिया था। जब से ही सृष्टि के लोगो को अन्न खाने को मिला था। माता अन्नपूर्णा की महिमा जो लोग जानते है वो आज भी अपनी फसल का पहला भोग माता अन्नपूर्णा को लगते है , उसके बाद ही वे उन्हें बाज़ारो में बेचते है। देवीकुंड स्थित माता अन्नपूर्णा मन्दिर पर आसपास के इलाके के अलावा काफी दूर दराज के इलाके वाले भी माता की पूजा अर्चना करने आते है ।

बाइट :- विजय
श्रद्धालु
बाइट :- अरुणा
महिला श्रद्धालु


Conclusion:बलवीर सैनी
देवबंद, सहारनपुर
मोबाईल 9319488130
Last Updated : Sep 17, 2020, 4:21 PM IST
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