शामली: उत्तर प्रदेश के शामली में दो गांव के लोगों ने यमुना नदी में खनन के खिलाफ आवाज उठाई है. ग्रामीणों ने तहसील मुख्यालय पर पहुंचकर प्रदर्शन करते हुए खनन पर पाबंदी लगाने की मांग सरकार से की है. नंगलाराई गांव में पांच साल के लिए छोड़े गए खनन पट्टे को निरस्त करने के लिए भी आवाजें उठी हैं.
क्या है पूरा मामला
- मंगलवार को नंगलाराई व रामड़ा गांव के लोग कैराना तहसील मुख्यालय पर पहुंचे.
- ग्रामीणों ने प्रदर्शन करते हुए नंगलाराई में आवंटित हुए पांच साल के बालू खनन पट्टे का विरोध किया.
- ग्रामीणों ने बताया कि खनन से यमुना में गहरे कुंड बन जाते हैं, जिनमें डूबने से लोगों की मौत हो जाती है.
- खनन की वजह से यमुना में पानी बढ़ने पर लोगों को बाढ़ की त्रासदी का सामना भी करना पड़ता है.
- ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि खनन पट्टे छूटने के बाद तस्करी और अन्य आपराधिक वारदातें बढ़ जाती हैं.
खनन से कमजोर होता है तटबंध
नंगलाराई और रामडा के ग्रामीणों ने अधिकारियों को शिकायती पत्र देकर बताया कि नंगलाराई में खनन का पांच वर्ष के लिए पट्टा छोड़ा गया है, जहां पर खनन के लिए युद्धस्तर पर तैयारी भी चल रही है. खनन के वाहनों से यमुना तटबंध कमजोर पड़ने के साथ ही लोगों को बाढ़ की त्रासदी सामना भी करना पड़ सकता है. पूर्व में भी इसी के चलते यमुना नदी में बाढ़ भी आ चुकी है.
माफियाओं ने नष्ट किए हजारों पेड़
नंगलाराई के ग्राम प्रधान मोहम्मद यूसुफ ने बताया कि गांव में खनन को लेकर तनाव की स्थिति बनी हुई है और झगड़े की आशंका भी है. उनका आरोप है कि खनन शुरू करने से पहले खनन माफियाओं ने यमुना तटबंध किनारे लगे वन विभाग के हजारों पेड़ भी नष्ट कर दिए हैं. इस संबंध में खनन माफियाओं के खिलाफ शिकायत भी की गई थी, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई और न ही किसी भी विभाग के अधिकारियों ने इस ओर कोई ध्यान दिया.
गहरे कुंड बनते हैं जानलेवा
खनन के कारण यमुना नदी में बने गहरे कुंड जान पर आफत बन जाते हैं. सितंबर 2019 में मलकपुर गांव निवासी सात युवक नंगलाराई से सटे मोहम्मदपुर राई यमुना नदी में हवन की राख विसर्जित करने के दौरान डूब गए थे. इनमें एक को सुरक्षित निकाल लिया गया था, जबकि छह के शव बरामद हुए थे. नंगलाराई के ग्रामीणों का कहना है कि उनके गांव की सीमा से भी उस समय युवकों के शव बरामद हुए थे. यहां भी खनन से खतरा कम नहीं हैं.