शामली: शनिवार को कैराना यमुना ब्रिज के पास नदी में डूबे तीनों बच्चों की शिनाख्त हो गई है. तीनों बच्चे कैराना के ही रहने वाले हैं. मगर शव बरामद होने के बाद पुलिस की तरफ से की गई कार्रवाई से परिजनों में आक्रोश फैल गया. परिजनों का आरोप है कि वे रात से ही तीनों बच्चों का शव लेने के लिए इधर-उधर भटक रहे हैं. मगर पुलिस ने बच्चों को लावारिश में दर्ज कर पोस्टमार्टम के बाद ही शव देने की बात कही. इससे आक्रोशित परिजनों ने कैराना में जाम भी लगाने की कोशिश की. वहीं कुछ जिम्मेदार लोगों ने उन्हें समझा-बुझाकर शांत कराते हुए फौरन जाम खुलवा दिया.
शनिवार की शाम करीब 6:30 बजे 13 से 16 साल की उम्र के तीन बच्चे साइकिल से कैराना स्थित यमुना ब्रिज पर पहुंचे थे. यह इलाका यूपी-हरियाणा की सीमा के बॉर्डर क्षेत्र में पड़ता है. तीनों बच्चे अपनी साइकिल को किनारे पर खड़ी कर यमुना नदी में नहाने चले गए. मगर कुछ देर बाद वे अचानक गहरे पानी में डूबने लगे. पुल के ऊपर से गुजर रहे एक वृद्ध ने यमुना ब्रिज पर स्थित पुलिस चौकी पर पहुंचकर इसकी जानकारी दी थी. देर रात तक चले सर्च ऑपरेशन के बाद पुलिस ने तीनों बच्चों के शवों को यमुना नदी से बाहर निकालते हुए उनकी शिनाख्त के प्रयास शुरू करने का दावा किया था.
कैराना के ही रहने वाले हैं तीनों किशोर
यमुना में डूबे तीनों बच्चे हरियाणा की ओर से साइकिल पर सवार होकर यमुना नदी में नहाने के लिए पहुंचे थे, जिसके चलते दोनों प्रदेशों की पुलिस सीमावर्ती गांवों में बच्चों की तलाश कर रही थी. मगर तीनों बच्चे कैराना के मोहल्ला रेत्तावाला के निकले. परिजनों को सोशल मीडिया से तीनों बच्चों के डूबने की जानकारी मिली. पुलिस के मुताबिक तीनों बच्चों की शिनाख्त मोहल्ला दरबार खुर्द, रेतावाला कैराना निवासी 16 वर्षीय अमन पुत्र कन्हैया, 12 वर्षीय खुशहाल पुत्र तालिब और 14 वर्षीय मोहित पुत्र जिनेसर के रूप में हुई है. परिजनों के मुताबिक तीनों बच्चे दोस्त थे, जो खेलने के लिए घर से निकले थे. देर रात तक वापस न लौटने पर परिजनों ने तलाश शुरू कर दी थी.
लावारिस बताने पर फूटा परिजनों का गुस्सा
कानूनी प्रक्रिया के मुताबिक लावारिस मिले शव को पहचान के लिए 72 घंटे के लिए सुरक्षित रखा जाता है. उस समय के दौरान अगर शव की पहचान न हो सके तो उसका पोस्टमार्टम कराते हुए अंतिम संस्कार कराया जाता है. परिजनों के मुताबिक जानकारी मिलने पर वे रात से ही बगैर पोस्टमार्टम के बच्चों के शव को हासिल करने के लिए पुलिस के चक्कर काट रहे थे. मगर पुलिस ने उन्हें सुबह आने के लिए कहकर घरों को लौटा दिया.
परिजनों का आरोप है कि सुबह जब वे बच्चों के शव लेने के लिए पहुंचे तो पुलिसकर्मियों ने शवों को पोस्टमार्टम के लिए भेजने की बात बताई. आरोप है कि कैराना कोतवाली पर बच्चों के परिजनों के साथ अभद्रता भी की गई. परिजनों का यह भी आरोप है कि रात में ही शिनाख्त हो जाने के बावजूद भी पुलिस ने शवों को लावारिस में दर्शाते हुए पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया, जबकि परिजन बगैर पोस्टमार्टम के बच्चों के शव को हासिल करना चाहते थे.
आक्रोशित परिजनों ने की जाम लगाने की कोशिश
कैराना कोतवाली पुलिस के रवैये से नाराज बच्चों के परिजनों ने कैराना में मुख्य मार्ग पर जाम लगाने की भी कोशिश की. इससे कई मिनटों तक सड़क के दोनों ओर आवश्यक सेवाओं से जुडे ट्रकों का आवागमन ठहर गया. इसी बीच मौके पर पहुंचे कुछ जनप्रतिनिधि और जिम्मेदार लोगों ने आक्रोशित लोगों को लॉकडाउन का हवाला देते हुए जाम लगाने से रोक दिया. परिजनों को आश्वासन दिया गया कि उनके बच्चों के शव बगैर पोस्टमार्टम के ही वापस लाए जा रहे हैं. इससे आक्रोशित परिजन शांत होकर बच्चों के शवों का शामली पोस्टमार्टम हाउस से लौटने का इंतजार करने लगे.