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शामली: नहीं थे कोचिंग के पैसे, इंटरनेट से पढ़ाई कर स्वीटी बन गई पीसीएस अफसर

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Published : Oct 12, 2019, 4:41 PM IST

यूपी के शामली में एक बेटी ने वक्त की मार से मुकाबला करते हुए कामयाबी की बुलंदी हासिल की है. आर्थिक तंगी की वजह से महंगी कोचिंग नहीं कर पाने वाली बेटी ने यूट्यूब चैनलों के माध्यम से पढ़ाई कर पहले ही प्रयास में पीसीएस अफसर का रूतबा हासिल किया है.

पहले ही प्रयास में पास किया पीसीएस अफसर का रूतबा.

शामली: तीन साल की उम्र में पिता का साया उठने के बाद बंतीखेड़ा गांव निवासी स्वीटी कुमारी की यह कामयाबी जीवन के संघर्षों से लड़कर जीत हासिल करने की प्रेरणा देने वाली है. स्वीटी ने 2017 की पीसीएस परीक्षा पास की है. उन्हें जिला विकलांग कल्याण अधिकारी का पद भी मिल गया है.

पहले ही प्रयास में पास किया पीसीएस अफसर का रूतबा.
इसे भी पढ़ें-लम्हों ने खता की थी सदियों ने सजा पाई: मुजफ्फर 'रज़्मी'यूट्यूब चैनल्स बने शिक्षकस्वीटी की मां और मामा बिट्टू तोमर ने उन्हें बहुत सहयोग किया. घर की आर्थिक स्थिति ठीक न होने के कारण कोचिंग नहीं ली. घर पर यूट्यूब चैनल्स और इंटरनेट के माध्यम से पढ़ाई की. स्वीटी पहले ही प्रयास में पीसीएस अफसर बन गई.

यूं पा लिया मुकाम...
स्वीटी ने गांव के ही एक प्राइवेट स्कूल से कक्षा आठ पास की. कक्षा नौ से 12 तक शामली के मदरलैंड पब्लिक स्कूल से की और ग्रेजुएशन इंद्रप्रस्थ कॉलेज दिल्ली से हॉस्टल में रहकर किया. वो दिल्ली रहकर ही पोस्ट ग्रेजुएशन और पीसीएस की कोचिंग करना चाहती थी, लेकिन पढ़ाई और हॉस्टल का खर्च काफी अधिक था. परिवार की आर्थिक हालत में ज्यादा बेहतर नहीं थी. लिहाजा वो दिल्ली छोड़ अपने गांव वापस आ गई ओर घर पर ही तैयारी की. घर में ही पढ़कर राजनीति विज्ञान से एमए किया. इसके बाद पीसीएस की तैयारी में जुट गई.

पढ़ाई के साथ-साथ घर के सभी काम किए. रसोई में चाय नाश्ता, खाना बनाने के अलावा सभी काम करती थी. पशुओं की सानी करना, दूध बिलौना आदि सब घरेलू काम किए. सुबह चार बजे उठकर पढ़ती थी. दोपहर में दो घंटे और फिर रात को 12 बजे तक पढ़ाई की.
-स्वीटी कुमारी, पीसीएस अधिकारी

शामली: तीन साल की उम्र में पिता का साया उठने के बाद बंतीखेड़ा गांव निवासी स्वीटी कुमारी की यह कामयाबी जीवन के संघर्षों से लड़कर जीत हासिल करने की प्रेरणा देने वाली है. स्वीटी ने 2017 की पीसीएस परीक्षा पास की है. उन्हें जिला विकलांग कल्याण अधिकारी का पद भी मिल गया है.

पहले ही प्रयास में पास किया पीसीएस अफसर का रूतबा.
इसे भी पढ़ें-लम्हों ने खता की थी सदियों ने सजा पाई: मुजफ्फर 'रज़्मी'यूट्यूब चैनल्स बने शिक्षकस्वीटी की मां और मामा बिट्टू तोमर ने उन्हें बहुत सहयोग किया. घर की आर्थिक स्थिति ठीक न होने के कारण कोचिंग नहीं ली. घर पर यूट्यूब चैनल्स और इंटरनेट के माध्यम से पढ़ाई की. स्वीटी पहले ही प्रयास में पीसीएस अफसर बन गई.

यूं पा लिया मुकाम...
स्वीटी ने गांव के ही एक प्राइवेट स्कूल से कक्षा आठ पास की. कक्षा नौ से 12 तक शामली के मदरलैंड पब्लिक स्कूल से की और ग्रेजुएशन इंद्रप्रस्थ कॉलेज दिल्ली से हॉस्टल में रहकर किया. वो दिल्ली रहकर ही पोस्ट ग्रेजुएशन और पीसीएस की कोचिंग करना चाहती थी, लेकिन पढ़ाई और हॉस्टल का खर्च काफी अधिक था. परिवार की आर्थिक हालत में ज्यादा बेहतर नहीं थी. लिहाजा वो दिल्ली छोड़ अपने गांव वापस आ गई ओर घर पर ही तैयारी की. घर में ही पढ़कर राजनीति विज्ञान से एमए किया. इसके बाद पीसीएस की तैयारी में जुट गई.

पढ़ाई के साथ-साथ घर के सभी काम किए. रसोई में चाय नाश्ता, खाना बनाने के अलावा सभी काम करती थी. पशुओं की सानी करना, दूध बिलौना आदि सब घरेलू काम किए. सुबह चार बजे उठकर पढ़ती थी. दोपहर में दो घंटे और फिर रात को 12 बजे तक पढ़ाई की.
-स्वीटी कुमारी, पीसीएस अधिकारी

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यूपी के शामली में एक बेटी ने वक्त की रंजिशों से मुकाबला करते हुए कामयाबी की बुलंदियां हासिल की है. आर्थिक तंगी की वजह से महंगी कोचिंग नहीं कर पाने वाली बेटी ने यूट्यूब चैनलों के माध्यम से पढाई कर पहले ही प्रयास में पीसीएस अफसर का रूबता हासिल किया है. Body:
शामली: तीन साल की उम्र में पिता का साया उठने बाद बंतीखेड़ा गांव निवासी स्वीटी कुमारी की यह कामयाबी जीवन के संघर्षों से लड़कर जीत हासिल करने की प्रेरणा देने वाली है. स्वीटी ने पीसीएस परीक्षा 2017 पास की है. उन्हें जिला विक्लांग कल्याण अधिकारी का पद भी मिल गया है.

यूट्यूब चैनल्स बने शिक्षक
. स्वीटी की मां और मामा बिट्टू तोमर ने उन्हें बहुत सहयोग किया.

. घर की आर्थिक स्थिति ठीक न होने के कारण कोचिंग नही ली.

. घर पर यूट्यूब चैनल्स और इंटरनेट के माध्यम से पढ़ाई की.

. स्वीटी पहले ही प्रयास में पीसीएस अफसर बन गई.

यूं पा लिया मुकाम...
स्वीटी ने गांव के ही एक प्राइवेट स्कूल से कक्षा आठ पास की. कक्षा नौ से 12 तक शामली के मदरलैंड पब्लिक स्कूल से की और ग्रेेजुएशन इंद्रप्रस्थ कालेज दिल्ली से हॉस्टल में रहकर किया. वो दिल्ली रहकर ही पोस्ट ग्रेजुएशन और पीसीएस की कोचिंग करना चाहती थी, लेकिन पढ़ाई और हॉस्टल का खर्च काफी अधिक था. परिवार की आर्थिक हालत में ज्यादा बेहतर नहीं थी. लिहाजा वो दिल्ली छोड़ अपने गांव वापस आ गई ओर घर पर ही तैयारी की. घर में ही पढ़कर राजनीति विज्ञान से एमए किया. इसके बाद पीसीएस की तैयारी में जुट गई. Conclusion:
मां को नही पड़ने दिया अकेला
स्वीटी ने बताया कि उन्होंने पढ़ाई के साथ—साथ घर के सभी पूरे काम किए. रसोई में चाय नाश्ता, खाना बनाने के अलावा सभी काम करती थी. पशुओं की सानी करना, दूध बिलौना आदि सब घरेलू काम किए. सुबह चार बजे उठकर पढ़ती थी। दोपहर में दो घंटे और फिर रात को 12 बजे तक पढ़ाई की.

बाइट: स्वीटी कुमारी, पीसीएस अधिकारी

Reporter: sachin sharma
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