प्रयागराज : प्रयागराज महाकुंभ में मौनी अमावस्या (बुधवार) के दिन 10 करोड़ श्रद्धालुओं के बीच दूसरा शाही स्नान है. जिसमें सभी अखाड़े शिरकत करेंगे. शाही स्नान को लेकर अखाड़े की तरफ से तमाम तैयारियां के बीच प्रशासन ने भी कमर कस ली है. इसी को लेकर अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रवींद्र पुरी ने ईटीवी भारत से खास बातें साझा की हैं.
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रवींद्र पुरी ने मौनी अमावस्या के स्नान को लेकर श्रद्धालुओं से खुद की सुरक्षा के साथ दूसरों का ख्याल रखते हुए जहां गंगा नजर आए वहीं डुबकी लगाने की अपील की है. उन्होंने कहा कि प्रयागराज में महाकुंभ 144 साल के बाद आया है. ऐसे में हर कोई संगम में डुबकी लगाना चाहता है. मैं यहां पहुंचे सभी भक्तों और स्नान करने वालों से बस यही अपील करना चाहूंगा जितने भी लोग यहां आ चुके हैं, उन्हें जहां-जहां भी गंगा मैया दिखाई दे रही हैं, आप वहीं पर स्नान कर लीजिए. पुण्य का लाभ आपको गंगा में आस्था की डुबकी लगाने से होगा.
निरंजनी अखाड़ा का स्नान कार्यक्रम : महंत रवींद्र पुरी ने बताया कि बुधवार को होने वाले स्नान के लिए निरंजनी अखाड़ा 4:50 पर गेट से बाहर निकलेंगे और 5:50 पर स्नान करेंगे. सबसे पहले महानिर्वाणी अखाड़ा फिर निरंजनी अखाड़ा फिर जूना अखाड़ा उसके बाद बैरागी अखाड़े और फिर उसके बाद उदासीन अखाड़े स्नान करेंगे यह कार्यक्रम सुबह से लेकर शाम तक जारी रहेगा.
मौनी अमावस्या का स्नान महत्वपूर्ण : महंत रवींद्र पुरी ने कहा कि मौनी अमावस्या का स्नान सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है. हम सभी को इसी का इंतजार रहता है, क्योंकि ऐसा माना गया है कि मौनी अमावस्या के दिन ही अमृत की कल्पना जो हम करते हैं वह पूरी हुई थी. वेदों में जो कहा गया है अमृत गिरा था.
वह कल का ही दिन है, यानी करोड़ों यात्री माघ मेले में भी हर वर्ष यहां आते हैं और इस बार तो महाकुंभ का पावन पर्व है. इसलिए सभी को इसमें डुबकी लगानी है. इसलिए हमें सबसे पहले करना चाहिए हम गंगा किनारे या संगम पर जाएं तो पितृ तर्पण जरूर करें, ताकि पितृ दोष जो हमारे ऊपर हैं उससे हम मुक्त हो जाएं.
गैर किन्नरों को महामंडलेश्वर बनाए जाने विवाद की जरूरत नहीं: किन्नर अखाड़े के विवाद और किन्नर अखाड़े की तरफ से गैर किन्नरों को महामंडलेश्वर बनाए जाने पर महंत महंत रवींद्र पुरी का कहना है कि हमारा प्रयास है कि 2019 में हमारे गृह मंत्री ने मुझे यही कहा था, हमें सबको एक साथ लेकर चलना है, हमें जाति-पाति भेदभाव मिटाना है मैं यही कहना चाहूंगा.
अगर किन्नर संन्यासी बनते हैं तो हमें उसको साथ लेकर चलना चाहिए. अगर कमी भी है तो उसे हमें नजरअंदाज करके देखना चाहिए. सब हमारे हैं, मैं यह मानता हूं कि एक नई महामंडलेश्वर बनाया है. जिस पर विवाद है, लेकिन इस पर विवाद की जरूरत नहीं है.