शामली: जिला प्रशासन ने प्रदूषण की रोकथाम के लिए ईंट-भट्ठों की कई फैक्ट्रियों पर रोक लगा दी, लेकिन गुड़ के कोल्हू प्रदूषण फैलाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं. यहां ईंधन के रूप में धड़ल्ले से पराली जलाई जा रही है, लेकिन इस ओर प्रशासन का ध्यान नहीं जा रहा है.
- जिले में गुड के कोल्हुओं पर ईंधन के रूप में पराली का इस्तेमाल हो रहा है.
- गुड़ की भट्टियों पर प्रतिबंधित पराली जलाई जा रही है, जिसके खिलाफ अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है.
- दिन-रात गुड़ की भट्टियों पर पराली जलाने के बाद प्रदूषण का ग्राफ भी बढ़ रहा है.
- प्रतिबंध होने के बाद बावजूद भी लोग गुड़ बनाने के लिए पराली को ईंधन के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं.
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किसानों को पराली जलाने के संबंध में आवश्यक दिशा-निर्देश जारी करते हुए जागरूक किया गया है. नियम संगत वैधानिक कार्रवाई भी लगातार जिला प्रशासन द्वारा की जा रही है. जिले में ऐसे पराली जलाने के 39 मामले सामने आए थे, जिनमें जुर्माना वसूली और एफआईआर की कार्रवाई भी की गई है. अगर पराली जलाने की अन्य घटनाएं सामने आएंगी तो आवश्यक कार्रवाई की जाएगी.
-अखिलेश कुमार, डीएम