शामली: जिले में पुलिस की कार्यप्रणाली से पर्दा उठाने वाला एक गंभीर मामला सामने आया है. यहां सड़क दुर्घटना में घायल हुआ एक युवक 12 दिनों तक लावारिश के रूप में अस्पताल में तड़फता रहा. बाद में युवक की मौत हो जाने पर उसका लावारिश के तौर पर अंतिम संस्कार कर दिया गया. लेकिन घटनास्थल से युवक की बाइक बरामद होने के बावजूद भी पुलिस उसके परिजनों को ढूढ नहीं पाई. परिजनों ने खुद ही थाने पहुंचकर बाइक की पहचान करते हुए मृतक की शिनाख्त की.
जानिए पूरा मामला
शामली कोतवाली क्षेत्र के मेरठ करनाल हाईवे पर 31 मार्च की रात सिंभालका गांव के पास अज्ञात वाहन की टक्कर से एक बाइक सवार गंभीर रूप से घायल हो गया था. कोतवाली पुलिस ने घायल को सीएचसी पर उपचार के लिए भर्ती कराया था, जहां से उसे मेरठ मेडिकल के लिए रेफर कर दिया गया था. युवक की शिनाख्त नहीं होने पर पुलिस ने उसे लावारिश में मेरठ मेडिकल में भर्ती कराया था. घटनास्थल से पुलिस द्वारा शामली आरटीओ ऑफिस से रजिस्टर्ड घायल युवक की बाइक भी कब्जे में ली गई थी, जिसे लाकर शहर कोतवाली पर खड़ा कर दिया गया. मेडिकल में 12 दिन बाद उपचार के दौरान युवक की मौत हो गई थी. इसके बाद पुलिस ने लावारिश में मृतक का अंतिम संस्कार कर दिया था.
नहीं की गई परिजनों को तलाशने की कोशिश
सड़क हादसे में घायल युवक को अस्पताल में भर्ती कराने के साथ ही पुलिस ने घटनास्थल से उसकी बाइक भी बरामद की थी. बाइक का नंबर शामली आरटीओ में रजिस्टर्ड था, लेकिन इसके बावजूद भी परिजनों ने आरटीओ ऑफिस में जाकर युवक के बारे में जानकारी जुटाने से भी परहेज किया. इस मामले में करीब दो महीने बाद परिजन गुमशुदा युवक के बारे में जानकारी करने के लिए शहर कोतवाली पहुंचे, तो उन्होंने कोतवाली में युवक की बाइक खड़ी देखकर मृतक युवक की शिनाख्त जिमाना बागपत निवासी रोनिक कुमार के रूप में की.
दर्ज कराई थी गुमशुदगी, नही मिला सहयोग
शामली की शहर कोतवाली पर बाइक के जरिए मृतक की पहचान करने वाले लोग शहर के मोहल्ला रेलपार और बागपत के जिमाना गांव से आए थे. कोतवाली पहुंचे मृतक रोनित के चाचा सोहनबीर सिंह ने बताया कि उसका भतीजा रोनित कुमार शामली के मोहल्ला शिव विहार कालोनी में अपनी बुआ के पास आया हुआ था. उसने अपनी बाइक भी शामली आरटीओ में ही रजिस्टर्ड कराई हुई थी, क्योंकि वह ज्यादातर अपनी बुआ के पास ही रहता था. 31 मार्च को रोनित मार्केट जाने के लिए बुआ के घर से बाइक पर निकला था. रास्ते में मेरठ-करनाल हाईवे पर अज्ञात वाहन की चपेट में आने पर वह गंभीर रूप से घायल हो गया था. सोहनवीर सिंह ने बताया कि पुलिस और अस्पताल से मिली जानकारी के मुताबिक रोनित करीब 12 दिनों तक अस्पताल में मौत से लड़ता रहा, लेकिन पुलिस ने घटनास्थल से बरामद हुई उसकी बाइक के नंबर की जांच करना भी उचित नहीं समझा. यदि पुलिस ऐसा करती, तो परिजनों को उसकी जानकारी मिल जाती.
दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग
मामले में शहर कोतवाली पहुंचे मृतक के परिजनों ने पुलिस की इस गंभीर लापरवाही पर रोष प्रकट करते हुए हंगामा किया. परिजनों ने मामले के दोषी पुलिसकर्मियों और अफसरों के खिलाफ कार्रवाई की मांग पुलिस अफसरों से की है. फिलहाल इस मामले में रोजाना पुलिस के गुडवर्क के कसीदे पढ़ने वाले अफसर भी खामोश बने हुए हैं. ऐसे में मृतक के परिजनों को न्याय के लिए मजबूती के साथ आगे आने ही जरूरत है.