शामली: बिहार के दरभंगा में हुए पार्सल विस्फोट कांड के तार शामली से जुड़ गए हैं. इस मामले की जांच कर रही एजेंसियों ने स्थानीय पुलिस की मदद से कैराना के रहने वाले पिता-पुत्र को हिरासत में लिया है. शीघ्र ही एनआईए की टीम भी शामली पहुंचकर मामले से जुड़े आरोपियों से पूछताछ करेगी.
आतंकी कनेक्शन के लिए बदनाम शामली जिला एक बार फिर सुर्खियों में आ गया है. यहां के कैराना के रहने वाले दो लोगों के तार दरभंगा ब्लास्ट से जुड़ गए हैं. बताया जा रहा है कि दोनों आरोपियों को पुलिस ने हिरासत में ले लिया है, जिनसे देश की प्रमुख सुरक्षा एजेंसियां पूछताछ में जुट गई हैं.
जानें क्या है पूरा मामला?
दरअसल, बिहार के दरभंगा जंक्शन पर 17 जून 2021 को एक पार्सल में विस्फोट हो गया था. यह पार्सल कपड़े की गांठ में होने के कारण ब्लास्ट से कोई बड़ा नुकसान नहीं हो पाया था. जांच-पड़ताल में पता चला था कि यह पार्सल तेलंगाना के सिकंदराबाद स्टेशन से बुक किया गया था, जिसे दरभंगा में मोहम्मद सूफियान नाम का शख्स रिसीव करने वाला था, जबकि पार्सल पर शामली निवासी किसी व्यक्ति का फोन नंबर मिला था. प्रयोगशाला की जांच में यह खुलासा हुआ है कि दरभंगा बम विस्फोट में केमिकल विस्फोटक का इस्तेमाल हुआ है. इसके बाद से ही देश की प्रमुख सुरक्षा एजेंसियां हरकत में आते हुए मामले की जांच-पड़ताल में जुटी हुई थीं.
एजेंसियों ने शामली में डाला डेरा, दो दबोचे
दरभंगा ब्लास्ट में आतंकी कनेक्शन उजागर होने के बाद से ही देश की सभी प्रमुख सुरक्षा एजेंसियां हरकत में आ गई हैं. बताया जा रहा है कि शामली में बिहार एटीएस, यूपी एटीएस और सुरक्षा एजेंसियों से जुड़े कारिंदों ने स्थानीय पुलिस की मदद से पार्सल पर मिले नंबर के आधार पर दो संदिग्धों को हिरासत में लिया है. हिरासत में लिए गए संदिग्ध पिता-पुत्र बताए जा रहे हैं, जिनके आतंकी कनेक्शन की संभावनाएं भी जताई जा रही हैं. बताया जा रहा है कि इसके अलावा भी टीमें कई अन्य संदिग्धों से भी पूछताछ में जुटी हुई हैं.
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मास्टमाइंड पर कसा गया शिकंजा
सूत्रों के अनुसार मिली जानकारी के मुताबिक इस पूरे मामले में पुलिस ने कैराना के रहने वाले एक व्यक्ति और उसके बेटे को हिरासत में लिया है. इनके अलावा एक अन्य चेहरा भी पुलिस के सामने आया है. मामले में फिलहाल पुलिस हिरासत में लिए गए लोगों से गहन पूछताछ में जुटी हुई है. सुरक्षा एजेंसियों के अफसर भी आरोपियों से पूछताछ कर रहे हैं, जिससे आतकी मंसूबों को उजागर किया जा सके. मामला देश की सुरक्षा से जुड़ा होने के कारण अधिकारी जल्दबाजी में सीधे तौर पर मामले की जानकारी देने से बच रहे हैं.