शाहजहांपुर: माटी कला रोजगार योजना के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में निवास करने वाले और परंपरागत कारीगरों को आत्मनिर्भर बनाने की योजना है. इसके लिए उत्तर प्रदेश माटी कला बोर्ड के अध्यक्ष धर्मवीर प्रजापति ने कलेक्ट्रेट सभागार में एक बैठक की. उनका कहना है कि माटी कला से लोगों को रोजगार दिया जाएगा. जिन कुम्हार परिवारों के पास मिट्टी की व्यवस्था नहीं है, तो उन्हें सरकार मिट्टी उपलब्ध कराएगी.
माटी कला को स्वरोजगार से जोड़ने की योजना
ग्रामीण क्षेत्र में निवास करने वाले माटीकला से जुड़े परम्परागत कारीगरों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए तथा उनको स्वरोजगार से जोड़ने के लिए प्रदेश की योगी सरकार ने मुख्यमंत्री माटीकला रोजगार योजना संचालित की है. यह बात यूपी माटीकला बोर्ड के अध्यक्ष धर्मवीर प्रजापति ने न्यू कलेक्ट्रेट सभागार में आयोजित मुख्यमंत्री माटीकला रोजगार योजना की समीक्षा बैठक के दौरान कही. उन्होंने कहा है कि माटीकला से सम्बन्धित जो परिवार है उनको लेखपाल के माध्यम से चिन्हित किया जाए. परिवारों के पास मिट्टी की उपलब्धता के बारे में जानकारी प्राप्त की जाए. माटीकला के परिवारों के पास अगर मिट्टी की व्यवस्था नहीं है, तो उनकों मिट्टी उपलब्ध कराई जाए.
'मिट्टी के लिए जमीन उपलब्ध कराई जाए जमीन'
माटी कला बोर्ड के अध्यक्ष ने कहा कि, माटी कला से जुड़े के परिवारों को मिट्टी के लिए जो पट्टे आवंटित किए गये हैं, उनपर यदि अनाधिकृत तरीके से किसी ने कब्जा कर लिया है तो उन्हें कब्जा मुक्त कराया जाए. उन्होंने कहा है कि माटी कला से जुड़े परिवारों को पेयजल व्यवस्था एवं पात्रता के आधार पर प्रधानमंत्री आवास योजना, शौचालय समेत विभिन्न योजनाओं से लाभान्वित किया जाए. बैठक के बारे में धर्मवीर प्रजापति ने मिट्टी के 26 पोषक तत्व का जिक्र करते हुए कहा है कि मिट्टी के बर्तनों को खान-पान में उपयोग करने से तमाम प्रकार की बीमारी दूर होती है. ऐसे में लोगों को मिट्टी के बर्तनों को प्रयोग करने के लिए लोगों को प्रेरित किया जाए.
मिट्टी के बर्तनों को प्रमोट करने की मांग
माटी कला बोर्ड अध्यक्ष ने सरकार से मांग की कि विभागों की बैठकों में मिट्टी के कुल्हड़ में चाय, पानी आदि दिया जाए. जिला प्रशासन द्वारा जिलास्तर पर एवं तहसील स्तर पर प्राइवेट सेक्टर होटल और ढाबे वालों के साथ बैठक की जाए. उसमें मिट्टी के कुल्हड़ में चाय, पानी व बर्तनों का प्रयोग करने के लिए प्रेरित किया जाए, ताकि माटीकला जुडे़ परिवारों की आर्थिक स्थिति में सुधार लाया जा सके. धर्मवीर ने मिट्टी के बर्तनों की प्रदर्शनी एवं इलेक्ट्रिक चलचित चाक का भी अवलोकन किया.