शाहजहांपुर: आज पूरा देश काकोरी कांड की जयंती मना रहा है. 9 अगस्त 1925 को काकोरी कांड को अंजाम दिया गया था, जिसमें शाहजहांपुर जिले के वीर सपूतों का बहुत बड़ा योगदान है. काकोरी कांड की रूपरेखा तैयार करने और उसे अंजाम देने में जिले के तीन महानायकों अशफाक उल्ला खान, राम प्रसाद बिस्मिल और ठाकुर रोशन सिंह का बड़ा योगदान था. इस कांड के बाद अंग्रेजों ने 19 दिसंबर 1927 को तीनों महानायकों को अलग-अलग जिलों में फांसी दे दी थी.
आजादी के आंदोलन में गुलामी की बेड़ियां तोड़ने के लिए पूरा देश व्याकुल था. साथ ही साथ कुर्बानियां दी जा रही थी और जेल भरी जा रही थीं. इसी दौरान शाहजहांपुर जिले के आर्य समाज मंदिर में काकोरी कांड की रूपरेखा तैयार की गई. काकोरी कांड को अंजाम देने के लिए अशफाक उल्ला खां, राम प्रसाद बिस्मिल और ठाकुर रोशन सिंह ने तय किया कि सुबह को शाहजहांपुर से सहारनपुर पैसेंजर ट्रेन जाती है, जिसमें अंग्रेजों का खजाना जाता है, हम उस ट्रेन को लूटेंगे और लूटे गए पैसों से हथियार खरीदेंगे.
बिस्मिल, रोशन सिंह और अशफाकउल्ला खां जैसे क्रांतिकारी थे शामिल
9 अगस्त 1925 को शाहजहांपुर से सहारनपुर पैसेंजर में तीनों महानायक सवार हुए. इस ट्रेन में 10 क्रांतिकारियों ने काकोरी के पास अंग्रेजों का खजाना लूटा. इसको लेकर के शाहजहांपुर के तीनों महानायक राम प्रसाद बिस्मिल, अअशफाकउल्ला खां और ठाकुर रोशन सिंह को अंग्रेजी हुकूमत ने गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया. इसके बाद 19 दिसंबर 1927 को अलग-अलग जिलों में तीनों महाननायकों को फांसी दे दी गई.