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काकोरी कांड में शाहजहांपुर का रहा बहुत बड़ा योगदान

9 अगस्त 1925 को 10 क्रांतिकारियों ने काकोरी में एक ट्रेन में डकैती डाली. काकोरी कांड के लिए अंग्रेजों ने राम प्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्लाह खा और रोशन सिंह को 19 दिसंबर,1927 को फांसी दे दी.

आज पूरा देश काकोरी कांड की जयंती मना रहा है
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Published : Aug 9, 2019, 2:01 PM IST

Updated : Sep 4, 2020, 3:10 PM IST

शाहजहांपुर : आज पूरा देश काकोरी कांड की जयंती मना रहा है. काकोरी कांड देश के इतिहास में एक ऐसी घटना है, जिसने हर देशवासियों के दिलों में अंग्रेजी शासन के प्रति नफरत के बारूद में आग लगा दी थी. 9 अगस्त 1925 में क्रांतिकारियों ने अंग्रेजों के सामने एक ऐसा जज्बा दिखाया जो अंग्रेजी हुकूमत के गाल पर तमाचा मारने जैसा था. मात्र 10 क्रांतिकारियों ने काकोरी में एक ट्रेन में डकैती डाली. बता दें काकोरी कांड के लिए अंग्रेजों ने राम प्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्लाह खा और रोशन सिंह को 19 दिसंबर,1927 को फांसी दे दी.

शाहजहांपुर का नाम कैसे हुआ रोशन

इस कांड में शाहजहांपुर का बहुत बड़ा योगदान रहा है. इस कांड को अंजाम देने वाले यहां के महानायक पंडित राम प्रसाद बिस्मिल ठाकुर रोशन सिंह और अशफाक उल्ला खां हैं. इन्होंने इस कांड की रूपरेखा आर्य समाज मंदिर में तैयार की थी और 9 अगस्त 1925 को काकोरी स्टेशन पर अंग्रेजों का खजाना देशभक्तों ने लूट लिया था. जिसके बाद महानायकों को गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया गया. उसके बाद काकोरी कांड के महानायक पंडित राम प्रसाद बिस्मिल, ठाकुर रोशन सिंह, अशफाक उल्ला खां को 19 दिसंबर 1927 को जेल में फांसी दे दी गई थी.

आज पूरा देश काकोरी कांड की जयंती मना रहा है.

पढ़े:भारत के तीन 'रत्नों' को मिला सर्वोच्च नागरिक सम्मान, देखें कुछ अनदेखी तस्वीरें

काकोरी कांड के महानायक अशफाक उल्ला खां से जब फांसी लगने से पहले उनकी आखिरी इच्छा पूछी गई, तो उन्होंने अपने कफन में वतन की मिट्टी रखने की बात कही थी. अशफाक उल्ला खां ने जेल में अपनी डायरी में लिखा था "शहीदों की मजार पर लगेंगे हर बरस मेले वतन पर मिटने वालों का बस यही बाकी निशा होगा" यह लाइनें लिख कर अशफाक उल्ला खान मुल्क की आजादी के खातिर हंसते-हंसते फांसी पर झूल गए थे.

शाहजहांपुर : आज पूरा देश काकोरी कांड की जयंती मना रहा है. काकोरी कांड देश के इतिहास में एक ऐसी घटना है, जिसने हर देशवासियों के दिलों में अंग्रेजी शासन के प्रति नफरत के बारूद में आग लगा दी थी. 9 अगस्त 1925 में क्रांतिकारियों ने अंग्रेजों के सामने एक ऐसा जज्बा दिखाया जो अंग्रेजी हुकूमत के गाल पर तमाचा मारने जैसा था. मात्र 10 क्रांतिकारियों ने काकोरी में एक ट्रेन में डकैती डाली. बता दें काकोरी कांड के लिए अंग्रेजों ने राम प्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्लाह खा और रोशन सिंह को 19 दिसंबर,1927 को फांसी दे दी.

शाहजहांपुर का नाम कैसे हुआ रोशन

इस कांड में शाहजहांपुर का बहुत बड़ा योगदान रहा है. इस कांड को अंजाम देने वाले यहां के महानायक पंडित राम प्रसाद बिस्मिल ठाकुर रोशन सिंह और अशफाक उल्ला खां हैं. इन्होंने इस कांड की रूपरेखा आर्य समाज मंदिर में तैयार की थी और 9 अगस्त 1925 को काकोरी स्टेशन पर अंग्रेजों का खजाना देशभक्तों ने लूट लिया था. जिसके बाद महानायकों को गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया गया. उसके बाद काकोरी कांड के महानायक पंडित राम प्रसाद बिस्मिल, ठाकुर रोशन सिंह, अशफाक उल्ला खां को 19 दिसंबर 1927 को जेल में फांसी दे दी गई थी.

आज पूरा देश काकोरी कांड की जयंती मना रहा है.

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काकोरी कांड के महानायक अशफाक उल्ला खां से जब फांसी लगने से पहले उनकी आखिरी इच्छा पूछी गई, तो उन्होंने अपने कफन में वतन की मिट्टी रखने की बात कही थी. अशफाक उल्ला खां ने जेल में अपनी डायरी में लिखा था "शहीदों की मजार पर लगेंगे हर बरस मेले वतन पर मिटने वालों का बस यही बाकी निशा होगा" यह लाइनें लिख कर अशफाक उल्ला खान मुल्क की आजादी के खातिर हंसते-हंसते फांसी पर झूल गए थे.

Intro:विशेष खबर---
स्लग काकोरी कांड पर विशेष

एंकर आज पूरा देश काकोरी कांड की जयंती मना रहा है यूपी के शाहजहांपुर ने काकोरी कांड मैं अहम भूमिका अदा की थी इस कांड में जिले के पंडित राम प्रसाद बिस्मिल ठाकुर रोशन सिंह और अशफाक उल्ला खाने काकोरी कांड में अपने प्राणों की आहुति देकर शाहजहांपुर का नाम आजादी के पन्नों में दर्ज किया है


Body:दरअसल 9 अगस्त 1925 को स्वतंत्रता सेनानियों ने काकोरी कांड को अंजाम दिया इस कांड में शाहजहांपुर का बहुत बड़ा योगदान रहा इस कांड को अंजाम देने वाले यहां के महानायक पंडित राम प्रसाद बिस्मिल ठाकुर रोशन सिंह और अशफाक उल्ला खां हैं इन्होंने इस कांड की रूपरेखा यहां के आर्य समाज मंदिर में तैयार की थी और 9 अगस्त 1925 को काकोरी स्टेशन पर अंग्रेजों का खजाना देशभक्तों ने लूट लिया था जिसके बाद महा नायकों को गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया गया उसके बाद काकोरी कांड के महानायक पंडित राम प्रसाद बिस्मिल को पुण्य दिसंबर 1927 में गोरखपुर जेल से ठाकुर रोशन सिंह को 19 दिसंबर 1927 को इलाहाबाद जेल से और अशफाक उल्ला खां को 19 दिसंबर 1927 को फैजाबाद जेल में फांसी दे दी गई

बाइट अशफ़ाक उल्ला प्रपोत्र अशफाक उल्ला खां


Conclusion:काकोरी कांड के महानायक अशफाक उल्ला खां से जब फांसी लगने से पहले उनसे उनकी आखिरी इच्छा पूछी गई तो उन्होंने अपने कफन में वतन की मिट्टी रखने की बात कही थी अशफाक उल्ला खां जेल में अपनी डायरी में लिखा था शहीदों की मजार पर लगेंगे हर बरस मेले वतन पर मिटने वालों का बस यही बाकी निशा होगा यह लाइनें लिख कर अशफाक उल्ला खान मुल्क की आजादी के खातिर हंसते-हंसते फांसी पर झूल गए थे
संजय श्रीवास्तव ईटीवी भारत शाहजहांपुर 94 15 15 2485
Last Updated : Sep 4, 2020, 3:10 PM IST
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