भदोही: भारत में लगने वाला 40वां कारपेट मेले का आयोजन आगामी माह 21 से 25 अगस्त तक किया जाना है. मेले की तैयारियों को लेकर कालीन निर्यातक संवर्धन परिषद ने काम करना शुरू कर दिया है. रविवार को इसका एक डेमो मेला आयोजित किया गया. इस तरह भारत में पहली बार कालीन मेले का वर्चुअल आयोजन होगा.
वर्चुअल मेले की तैयारियां शुरू
वर्चुअल मेले को लगाने की तैयारियां सीपीईसी ने शुरू कर दी हैं. निर्यातकों को भी अलग से गाइडलाइन दिए गए हैं और उन्हें वर्चुअल मेले को प्रभावी बनाने के लिए निर्देश भी दे दिए गए हैं. मेले में भाग लेने के लिए निर्यातक वार्तालाप व प्रदर्शनी आदि की जानकारी सीपीईसी से ले रहे हैं.
परिषद के चेयरमैन सिद्धार्थ नाथ सिंह ने बताया कि कोरोना संक्रमण के चलते इस साल अभी तक एक भी मेले का आयोजन नहीं हो पाया है. जिसकी वजह से बाजारों और एक्सपोर्ट में संवाद पूरी तरीके से ठप हो चुका है. इसकी वजह से कालीन इंडस्ट्री को करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ है.
ऐसे में खरीदारों और निर्यातकों के बीच संवाद स्थापित करने के लिए कालीन इंडस्ट्री को इस वर्चुअल मेले की काफी जरूरत है. इसी कड़ी में वर्चुअल मेले का आयोजन किया जा रहा है. यह समय वैश्विक खरीदारों से जुड़ने का सुनहरा मौका है.
कालीन उद्दोग के लिए सुनहरा मौका
सभी निर्यातकों को वर्चुअल मेले में किसी प्रकार की परेशानियों का सामना न करना पड़े, इसके लिए उन्हें डेमो दिखा कर तैयारियां कराई जा रही हैं. मेले की स्थापना, डिजाइन, प्रशिक्षण, होस्टिंग, रख-रखाव, खरीदारों के पंजीकरण, वेबसाइट बिल्डर, मोबाइल एप्लिकेशन, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग, पूर्व डेटा सुरक्षा व वेबिनार की तैयारियों में संस्था जुटा हुआ है.
इस मेले से भारतीय कालीन उद्योग और कालीन नगरी भदोही को काफी उम्मीदें हैं. लॉकडाउन के बाद जैसे-जैसै बाजार खुल रहा है, संभावनाएं बन रही हैं और जल्द ही कालीन इंडस्ट्री अपने पुराने अच्छे दिनों की तरफ वापसी लौट पायेगी.
इस वर्चुअल मेले से संस्था का यही प्रयास है कि बाजारों व निर्यातकों को एक प्लेटफार्म पर लाया जाए, ताकि फिर से कालीन इंडस्ट्री पटरी पर आ जाए. अगर इस मेले का सफलतापूर्वक वर्चुअल आयोजन हो जाता है तो कालीन इंडस्ट्री को कम से कम 100 करोड़ रुपये का मुनाफा हो सकता है.