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भदोही: खंडहर बन चुका है महाविद्यालय का छात्रावास, किराए पर रहने को छात्र मजबूर

उत्तर प्रदेश के भदोही जिले में राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय खंडहर बन चुका है. स्थिति यह है कि पीडब्ल्यूडी ने इसे रहने के लिए अयोग्य घोषित कर दिया है. इस कारण से छात्रावासों में रहने वाले छात्र किराए का रूम लेकर रहने को मजबूर है.

राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय.
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Published : Aug 16, 2019, 10:49 PM IST

भदोही: जिले का एकमात्र राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय कमियों से जूझ रहा है. इस महाविद्यालय को काशी नरेश ने सन 1952 में पठन-पाठन के उद्देश्य से राज्य सरकार को सौंप दिया था, जहां महाविद्यालय का निर्माण किया गया था. उसके 10 साल बाद यहां छात्रों को रहने के लिए छात्रावास बनाया गया, जिसमें पांच से सात सौ छात्र रहते थे. उस समय इसकी स्थिति सही थी, लेकिन कई वर्षों से इसकी मरम्मत और रखरखाव सही तरीके से नहीं करने की वजह से खंडहर में तब्दील हो गया.

जानकारी देते प्रधानाचार्य प्रदीप नारायण डोंगरे.

पढ़ें- आजम खां के 'हमसफर' पर चला प्रशासन का बुलडोजर

पीडब्ल्यूडी ने छात्रावास को रहने योग्य नहीं किया घोषित

  • राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय में पिछले 10 साल से छात्र अन्य जिलों से आकर यहां पढ़ाई करते हैं.
  • महाविद्यालय के छात्रावासों के सही रखरखाव न होने से अब वह खंडहर बन चुका है.
  • स्थिति यह है कि इस छात्रावास को पीडब्ल्यूडी ने नहीं रहने योग्य घोषित कर दिया है.
  • इस वजह से छात्र किराए के रूम लेकर रहने को मजबूर हैं.
  • छात्रों का कहना है कि राज्य और केंद्र सरकार पिछले कई सालों से ध्यान नहीं दे रही है.
  • छात्रों और महाविद्यालय प्रशासन के द्वारा कई बार उच्चतर शिक्षा निदेशालय से लेकर केंद्र सरकार को पत्र लिखे जा चुके हैं.

भदोही: जिले का एकमात्र राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय कमियों से जूझ रहा है. इस महाविद्यालय को काशी नरेश ने सन 1952 में पठन-पाठन के उद्देश्य से राज्य सरकार को सौंप दिया था, जहां महाविद्यालय का निर्माण किया गया था. उसके 10 साल बाद यहां छात्रों को रहने के लिए छात्रावास बनाया गया, जिसमें पांच से सात सौ छात्र रहते थे. उस समय इसकी स्थिति सही थी, लेकिन कई वर्षों से इसकी मरम्मत और रखरखाव सही तरीके से नहीं करने की वजह से खंडहर में तब्दील हो गया.

जानकारी देते प्रधानाचार्य प्रदीप नारायण डोंगरे.

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पीडब्ल्यूडी ने छात्रावास को रहने योग्य नहीं किया घोषित

  • राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय में पिछले 10 साल से छात्र अन्य जिलों से आकर यहां पढ़ाई करते हैं.
  • महाविद्यालय के छात्रावासों के सही रखरखाव न होने से अब वह खंडहर बन चुका है.
  • स्थिति यह है कि इस छात्रावास को पीडब्ल्यूडी ने नहीं रहने योग्य घोषित कर दिया है.
  • इस वजह से छात्र किराए के रूम लेकर रहने को मजबूर हैं.
  • छात्रों का कहना है कि राज्य और केंद्र सरकार पिछले कई सालों से ध्यान नहीं दे रही है.
  • छात्रों और महाविद्यालय प्रशासन के द्वारा कई बार उच्चतर शिक्षा निदेशालय से लेकर केंद्र सरकार को पत्र लिखे जा चुके हैं.
Intro:भदोही जिले का एकमात्र राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय कमियों से जूझ रहा है इस महाविद्यालय को काशी नरेश ने सन 1952 में पठन-पाठन के कार्य के लिए राज्य सरकार को सौंप दिया था जहां महाविद्यालय का निर्माण किया गया था उसके 10 साल बाद यहां छात्रों को रहने के लिए छात्रावास बनाया गया जिसमें पांच सौ से सात सौ छात्र इस छात्रावास में रहकर पढ़ाई करते थे उस समय इसकी स्थिति सही थी लेकिन कई वर्षों से इसका रिपेयरिंग तथा रखरखाव सही तरीके से नहीं करने की वजह से या खंडहर में तब्दील हो गया है


Body:पिछले 10 साल से महाविद्यालय के छात्र जोकि इस जिले के अलावा अन्य जिलों से भी यहां पढ़ाई के लिए आते हैं वह महंगे किराए के रूम में रहने के लिए मजबूर हैं जो छात्रावास सही रखरखाव के कारण खंडहर बन चुका है उस पर पिछले कई सालों से ना ही राज्य सरकार ध्यान दे रही है और ना ही केंद्र सरकार ध्यान दे रही है जबकि छात्रों द्वारा और महाविद्यालय प्रशासन के द्वारा कई बार उच्चतर शिक्षा निदेशालय से लेकर राज्य सरकार तथा केंद्र सरकार को पत्र लिखे जा चुके हैं


Conclusion:अभी स्थिति यह है कि इस छात्रावास को पीडब्ल्यूडी ने नहीं रहने योग्य घोषित कर दिया है जिसके कारण दूरदराज से आए छात्र तथा जो छात्र गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करते हैं उनके लिए या सिरदर्द बन चुका है गरीब छात्रों को यहां सस्ते दामों में हॉस्टल इलाज किया जाता था लेकिन अब यह महाविद्यालय बिना छात्रावास के चल रहा है अभी यहां 7 हजार से अधिक छात्र पठन-पाठन में लगे हुए हैं लेकिन राज्य सरकार की उदासीनता की वजह से गरीब छात्र अब यहां एडमिशन कराने से कतराते हैं क्योंकि रेसीडेंस की कोई व्यवस्था नहीं है करीब 100 एकड़ से ऊपर जमीन में बना छात्रावास अब खंडहर हो चुका है और वह लकड़ियों का अड्डा बन चुका है इसके लिए कई बार छात्र धरना प्रदर्शन कर चुके हैं लेकिन प्रशासन के कानों पर जूं नहीं रेंग रहा है सबसे बड़ी समस्या की बात यह है कि इस जिले का यह इकलौता महाविद्यालय है जिसकी वजह से यहां विद्यार्थियों की संख्या बहुत अधिक है यहां विद्यार्थियों को मजबूरी बस किराए के रूम में रहना पड़ता है जोकि अधिकतर छात्रों के लिए परेशानी का सबब बना हुआ है गरीब छात्रों के लिए सबसे बड़ी परेशानी यह होती है कि छात्रावास ना होने की वजह से ही वह लंबी दूरी तय कर कॉलेज आते हैं और उनके पास इतने पैसे भी नहीं होते कि वह ज्ञानपुर में या महाविद्यालय के आसपास किराए पर रूम ले सके ऐसी स्थिति में प्रशासन का यह रवैया छात्रों के भविष्य के लिए खतरनाक हो सकता है

बाइट - विभव मिश्र बीएससी का विद्यार्थी
बाइट- सूरज कुमार ma का विद्यार्थी
बाइट - प्रिंसिपल प्रदीप नारायण डोंगरे
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