भदोही : कोरोना संक्रमण जितनी तेजी से पांव पसार रहा है, विभागीय लापरवाही भी उतनी ही तेज गति से बढ़ रही है. भदोही नगर में कारपेट एक्सपो मार्ट में बनाए गए 900 बेड के कोविड-19 अस्पताल में मरीजों का इलाज भगवान भरोसे हो रहा है. आइसोलेशन सेंटर में दुर्व्यवस्थाओं का अंबार लगा है. एक्सपो मार्ट में भर्ती 60 मरीजों के लिए महज 15 शौचालय ही चालू हैं. इन शौचालयों में सेंटर में आने वाले नए मरीज और रिकवर हो चुके दोनों मरीज इस्तेमाल करते हैं, जबकि यही हालत नहाने के लिए आस-पास बनाए गए पानी के चार नलों का है. इससे कोरोना संक्रमण बरकरार रहने का खतरा बना हुआ है.
एक्सपो मार्ट में बने कोविड अस्पताल में साफ-सफाई से लेकर खाने-पीने तक की व्यवस्था बेपटरी है. मरीजों का कहना है कि वे कोरोना से पहले गंदगी से फैले संक्रमण से जान गंवा देंगे. कार्यदायी संस्था राजकीय निर्माण निगम को खाने-पीने से लेकर साफ-सफाई आदी की जिम्मेदारी दी गई है. मगर कमीशनखोरी के चक्कर में संक्रमितों को जरूरत के मुताबिक भी सुविधाएं नहीं मिल पा रहीं. अस्पताल में मरीज बढ़ते गए, लेकिन सुविधाएं नहीं बढ़ीं. वर्तमान समय में मार्ट में करीब 60 संक्रमित मरीजों को आइसोलेट किया गया है, जिन पर सरकार मोटी रकम खर्च कर रही है.
कोविड अस्पताल की सफाई पर नजर डाली जाए तो एंट्री गेट के पास 25 जुलाई से पड़ा कचरा अब तक नहीं हटा है. उससे उठने वाली दुर्गंध अस्पताल के अंदर तक जाती है. स्नान के लिए सिर्फ चार टोटियां लगी हैं, जिन पर सभी मरीजों को स्नान करना है. यही हाल शौचालय का है. कहने को यहां 20 अस्थायी शौचालय बने हैं, लेकिन पांच खराब हालत में हैं. सभी 60 संक्रमितों को उन्हीं शौचालयों का उपयोग करना है. ऐसे में स्वस्थ होने वाले लोगों में दोबारा संक्रमित होने का खतरा बना हुआ है.
60 संक्रमितों को पीने के लिए मिल रहा है एक लीटर काढ़ा
कोविड अस्पताल एक्सपो मार्ट में नाश्ते से लेकर खाने-पीने तक की व्यवस्था लचर है. यहां 60 संक्रमितों को काढ़ा के नाम पर एक लीटर गर्म पानी दे दिया जाता है. यही हाल नाश्ते, लंच और डिनर का है. मरीजों ने बताया कि भोजन की मात्रा इतनी कम रहती है कि झूठ बोलकर दो पैकेट लंच या डिनर मांगना पड़ता है. जिसको मिल गया ठीक है, नहीं तो आधे पेट खाकर ही सोना पड़ता है. हैरान करने वाली बात यह है कि यहां खान-पान वितरण का कोई टाइम टेबल ही नहीं है.
समय से नहीं मिल रहा है इलाज
कोविड अस्पताल में चिकित्सकीय सुविधा का हाल भी माशाअल्लाह है. 24 घंटे में दो बार चिकित्सक का दर्शन होता है. थर्मामीटर से तापमान लेने के बाद पूछा जाता है कि क्या दिक्कत है, इसके बाद दवा दी जाती है. अगर किसी की तबीयत बीच में बिगड़ जाए तो वह चिल्ला-चिल्ला कर थक जाता है. कभी भी समय पर चिकित्सक नहीं पहुंचते.