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भदोही: कालीन कारखाने से भागा बाल श्रमिक, सुनाई आपबीती

उत्तर प्रदेश के भदोही में कालीन उद्योग में बच्चों से काम कराया जा रहा है. कालीन उद्योग से भागे एक बच्चे को चाइल्ड लाइन की टीम ने स्टेशन से बरामद किया है. बच्चा पश्चिम बंगाल का रहने वाला है.

बाल श्रमिक
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Published : Oct 16, 2019, 3:05 PM IST

भदोही : जनपद के कालीन उद्योग में अभी भी बाल श्रमिकों से कालीन की बुनाई कराई जा रही है. इसका खुलासा तब हुआ जब यहां एक कालीन कारखाने से भागे 11 वर्षीय बाल श्रमिक को चाइल्ड लाइन की टीम ने रेलवे स्टेशन से बरामद किया. बच्चे को बाल कल्याण समिति सौंपा गया है. पिछले वर्ष 10 बच्चो को कालीन कारखाने से मुक्त कराए जाने के बाद फिर बाल श्रमिक मिलना कालीन उद्योग के लिए शुभ संकेत नहीं है.

आपबीती सुनाता बाल श्रमिक.

बाल श्रमिक को बचाया गया -

  • जिले के कालीन उद्योग में बच्चों से काम कराने का मामला सामने आया है.
  • कारखाने से भागे बच्चे को रेलवे स्टेशन से बरामद किया.
  • बच्चे ने बताया कि कारखाने में दो और भी बच्चे कालीन बुनाई का काम करते हैं.
  • बच्चा पश्चिम बंगाल का रहने वाला है.
  • उसके चाचा ने यहां लाकर कालीन बुनाई के काम मे लगा दिया.
  • बाल श्रमिक ने बताया कि काम न करने पर उसका चाचा उसकी पिटाई भी करता था.
  • वह अपने घर जाना चाहता है और इसी वजह से कारखाने से भागकर स्टेशन पहुंच गया.

इसे भी पढ़ें - इलाहाबाद विश्वविद्यालय में उपद्रव करने वाले 23 छात्रों को किया गया गिरफ्तार

बच्चा भदोही शहर के पीरखापुर स्थित एक कालीन कारखाने में काम करता है. उस कारखाने को मिराज नाम का व्यक्ति संचालित करता है. इस मामले में श्रम विभाग को अवगत करा दिया गया है. बच्चे के संरक्षण और पुनर्वास के लिए आवश्यक कार्यवाई की जा रही है.
- डॉ. अनिल श्रीवास्तव, बाल कल्याण समिति अध्यक्ष

भदोही : जनपद के कालीन उद्योग में अभी भी बाल श्रमिकों से कालीन की बुनाई कराई जा रही है. इसका खुलासा तब हुआ जब यहां एक कालीन कारखाने से भागे 11 वर्षीय बाल श्रमिक को चाइल्ड लाइन की टीम ने रेलवे स्टेशन से बरामद किया. बच्चे को बाल कल्याण समिति सौंपा गया है. पिछले वर्ष 10 बच्चो को कालीन कारखाने से मुक्त कराए जाने के बाद फिर बाल श्रमिक मिलना कालीन उद्योग के लिए शुभ संकेत नहीं है.

आपबीती सुनाता बाल श्रमिक.

बाल श्रमिक को बचाया गया -

  • जिले के कालीन उद्योग में बच्चों से काम कराने का मामला सामने आया है.
  • कारखाने से भागे बच्चे को रेलवे स्टेशन से बरामद किया.
  • बच्चे ने बताया कि कारखाने में दो और भी बच्चे कालीन बुनाई का काम करते हैं.
  • बच्चा पश्चिम बंगाल का रहने वाला है.
  • उसके चाचा ने यहां लाकर कालीन बुनाई के काम मे लगा दिया.
  • बाल श्रमिक ने बताया कि काम न करने पर उसका चाचा उसकी पिटाई भी करता था.
  • वह अपने घर जाना चाहता है और इसी वजह से कारखाने से भागकर स्टेशन पहुंच गया.

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बच्चा भदोही शहर के पीरखापुर स्थित एक कालीन कारखाने में काम करता है. उस कारखाने को मिराज नाम का व्यक्ति संचालित करता है. इस मामले में श्रम विभाग को अवगत करा दिया गया है. बच्चे के संरक्षण और पुनर्वास के लिए आवश्यक कार्यवाई की जा रही है.
- डॉ. अनिल श्रीवास्तव, बाल कल्याण समिति अध्यक्ष

Intro: भदोही के कालीन उद्योग में अभी भी बाल श्रमिकों से कालीन की बुनाई कराई जा रही है इसका खुलासा तब हुआ जब यहां एक कालीन कारखाने से भागे 11 वर्षीय बाल श्रमिक को चाइल्ड लाइन की टीम ने रेलवे स्टेशन से बरामद किया। बच्चे को बाल कल्याण समिति के सामने पेश किया है। जहां उंसके संरक्षण की कार्यवाई की जा रही है। बच्चे ने बताया कि कारखाने में दो और भी बच्चे कालीन बुनाई का काम करते हैं। पिछले वर्ष 10 बच्चो को कालीन कारखाने से मुक्त कराए जाने के बाद फिर बाल श्रमिक मिलना कालीन उद्योग के लिए शुभ संकेत नही है।

Body:स्टेशन पर मिला बाल श्रमिक ईशा मोमिन पश्चिम बंगाल का रहने वाला है। उसे उसके चाचा ने यहां लाकर कालीन बुनाई के काम मे लगा दिया। बाल श्रमिक ने बताया कि काम न करने पर उसका चाचा उसकी पिटाई भी करता था जिसके कारण वह कारखाने से भागकर स्टेशन पहुंच गया। वह अपने घर जाना चाहता है। Conclusion:बाल कल्याण न्यायालय समिति के अध्यक्ष ने बताया कि बच्चा भदोही शहर के पीरखापुर स्थित एक कालीन कारखाने में काम करता है और उस कारखाने को मिराज नाम का व्यक्ति संचालित करता है। इस मामले में श्रम विभाग को अवगत करा दिया गया है। इसके साथ कि बच्चे के संरक्षण और पुनर्वास के लिए आवश्यक कार्यवाई की जा रही है।
बाईट-ईशा मोमिन, बाल श्रमिक
बाईट- डा अनिल श्रीवास्तव, अध्यक्ष, बाल कल्याण समिति
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