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15 अगस्त को भदोही एसपी को किया जाएगा सम्मानित

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Published : Aug 13, 2020, 6:41 PM IST

भदोही एसपी राम बदन सिंह को 15 अगस्त को डीजी कमेंडेशन सिल्वर डिस्क से सम्मानित किया जाएगा. इसके पहले राम बदन सिंह को तीन बार प्रेसीडेंशियल मेडल मिल चुका है. यूपी पीपीएस के 1991 बैच के अधिकारी रामबदन ने पुलिस विभाग को इसके लिए धन्यवाद कहा है.

Bhadohi news
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भदोही: जिले के पुलिस अधीक्षक को विभाग की तरफ से 15 अगस्त को डीजी कमेंडेशन सिल्वर डिस्क से नवाजा जाएगा. उनके साथ प्रदेश भर के कई पुलिस अधिकारियों को यह सम्मान दिया जाएगा. भदोही के पुलिस अधीक्षक राम बदन सिंह को इससे पहले भी अपने उत्कृष्ट कार्यों के लिए कई बार सम्मानित किया जा चुका है. उनकी पुलिस अधीक्षक के तौर पर भदोही में पहली पोस्टिंग है. इससे पहले वह 36 वीं बटालियन में कमांडिंग ऑफिसर के रूप में तैनात थे.

फतेहपुर के रहने वाले हैं मौजूदा एसपी भदोही

भदोही के पुलिस अधीक्षक राम बदन सिंह को उनके कुशल कार्य शैली और कर्मठता के लिए यह सम्मान दिया गया है. वाराणसी में 15 अगस्त को यह पुरस्कार उन्हें दिया जाएगा. इसकी घोषणा पुलिस विभाग द्वारा 3 दिन पहले ही किया जा चुका है. पुलिस अधीक्षक राम बदन सिंह का जन्म 1994 में फतेहपुर जिले के हरदवा गांव में हुआ था. उनके पिता का नाम स्वर्गीय अमर सिंह था. उनके पिताजी पेशे से एक सरकारी शिक्षक थे. प्रारंभिक शिक्षा हरदवा के ही सरकारी स्कूल से प्राप्त करने के बाद आरबी सिंह अपनी आगे की पढ़ाई पूरी करने के लिए इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में दाखिला लिया. वहां वह बीएससी मैथमेटिक्स से ग्रेजुएट हुए. जिसके बाद वह सिविल सर्विसेज की परीक्षाओं की तैयार करने लगे. कठिन परिश्रम के बाद सन 1994 में उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग की परीक्षा पास की, जिसके बाद यूपी पीपीएस ज्वाइन किया.

इसके पहले तीन बार जीत चुके हैं प्रेसीडेंशियल अवॉर्ड

वह उत्तर प्रदेश पुलिस सेवा के 91वीं बैच के अधिकारी हैं. उन्हें क्षेत्राधिकारी के रूप में गोंडा में पहली पोस्टिंग मिली. अपने 26 साल के कैरियर में पुलिस के कई विभागों में अपनी सेवाएं दी, जिस दौरान उन्हें तीन बार प्रेसिडेंशल अवार्ड के साथ और कई सम्मानों से नवाजा गया. पहली बार उन्हें उनके उत्कृष्ट कार्यों के लिए सन 2007 में प्रेसीडेंशियल अवॉर्ड पीपीएमजी से नवाजा गया. दूसरी बार सन् 2009 में उन्हें प्रेसीडेंशियल अवॉर्ड पुलिस मेडल फॉर गैलंट्री से नवाजा गया.

आखिरी बार उन्हें सन् 2010 में सराहनीय सेवा मेडल से मिला. इस दौरान उन्होंने गोंडा के एक क्षेत्र अधिकारी से लेकर भदोही के पुलिस अधीक्षक तक का सफर तय किया. जब उन्हें सराहनीय सेवा मेडल प्रदान किया गया, उस समय वह इटावा के एडिशनल एसपी के रूप में तैनात थे. आखिरी बार 2010 में जब उन्हें प्रेसीडेंशियल अवॉर्ड मिला उस समय वह एसटीएफ में डेप्युटी सुपरिटेंडेंट ऑफ पुलिस के तौर पर कार्यरत रहे.

विभाग को की दिया धन्यवाद

पुलिस अधीक्षक भदोही राम बदन सिंह ने सम्मान के लिए अपने विभाग को धन्यवाद ज्ञापित किया. उन्होंने कहा कि अपने किए गए कार्यों को अगर विभाग द्वारा सम्मान दिया जाता है, तो ऐसी स्थिति में हमारी जिम्मेदारी और बढ़ जाती है. पुलिस विभाग ज्वाइन करना ही मेरे लिए गर्व की बात है. मैं अपने विभाग को इसके लिए धन्यवाद कहता हूं. उन्होंने अपनी सारी सफलताओं का श्रेय अपने स्वर्गीय पिता अमर सिंह और अपने परिवार को दिया.

जानिए क्या होते हैं प्रेसीडेंशियल अवॉर्ड

पुलिस विभाग में तैनात अधिकारियों को राष्ट्रपति के द्वारा चार तरीके के पुरस्कार दिए जाते हैं, जिनमें पहला प्रेसीडेंशियल मेडल ऑफ गैलंट्री है. इसके बाद पुलिस मेडल ऑफ गैलंट्री अवार्ड प्रदान किया जाता है. पुलिस के द्वारा किए गए उनके सराहनीय कार्यों के लिए सराहनीय सेवा मेडल भी राष्ट्रपति के द्वारा दिया जाता है. अधिकारियों को राष्ट्रपति के द्वारा जो सबसे सर्वोच्च पुरस्कार दिया जाता है, उसे दीर्घ सराहनीय सेवा मेडल कहते हैं. यह सारे पुरस्कार किसी भी पुलिस कर्मी को प्रतिवर्ष नहीं दिए जा सकते हैं.

पुलिस को उनके अति उत्कृष्ट कार्यों के लिए यह पुरस्कार दिए जाते हैं, जो पुलिस को अन्य अवार्ड भी दिए जाते हैं. उनमें दूसरे स्थान पर डायरेक्टर जनरल कमेंडेशन डिस्क नामक पुरस्कार दिए जाते हैं. इसमें सिल्वर, गोल्ड व प्लैटिनम 3 तरीके के पुरस्कार होते हैं. जो अधिकारियों को उनके कार्यों के लिए दिया जाता है.

प्रेसीडेंशियल मेडलिस्ट और उसके परिजनों को ये फायदे

पुलिस विभाग में मुख्यमंत्री द्वारा भी एक पुरस्कार दिया जाता है. इसका नाम मुख्यमंत्री पदक है. यह पुरस्कार वीरगति को प्राप्त करने वाले पुलिस या उनके अति उत्कृष्ट कार्यो के लिए प्रदान किया जाता है. किसी भी पुलिसकर्मी को अगर प्रेसीडेंशियल अवॉर्ड मिलता है, तो उसे हवाई सेवाओं में 75 परसेंट की छूट दी जाती है. जबकि ट्रेन में एसी सेकंड टीयर में कम्पैनियन के साथ सफर करने की छूट दी जाती है. राज्य सरकार द्वारा परिवहन की बसों में भी उन्हें मुफ्त सेवा दी जाती है. गैलंट्री अवॉर्ड पाने वाले पुलिस कर्मियों के बच्चों को भी सेंट्रल यूनिवर्सिटी में रिजर्वेशन दिया जाता है.

भदोही: जिले के पुलिस अधीक्षक को विभाग की तरफ से 15 अगस्त को डीजी कमेंडेशन सिल्वर डिस्क से नवाजा जाएगा. उनके साथ प्रदेश भर के कई पुलिस अधिकारियों को यह सम्मान दिया जाएगा. भदोही के पुलिस अधीक्षक राम बदन सिंह को इससे पहले भी अपने उत्कृष्ट कार्यों के लिए कई बार सम्मानित किया जा चुका है. उनकी पुलिस अधीक्षक के तौर पर भदोही में पहली पोस्टिंग है. इससे पहले वह 36 वीं बटालियन में कमांडिंग ऑफिसर के रूप में तैनात थे.

फतेहपुर के रहने वाले हैं मौजूदा एसपी भदोही

भदोही के पुलिस अधीक्षक राम बदन सिंह को उनके कुशल कार्य शैली और कर्मठता के लिए यह सम्मान दिया गया है. वाराणसी में 15 अगस्त को यह पुरस्कार उन्हें दिया जाएगा. इसकी घोषणा पुलिस विभाग द्वारा 3 दिन पहले ही किया जा चुका है. पुलिस अधीक्षक राम बदन सिंह का जन्म 1994 में फतेहपुर जिले के हरदवा गांव में हुआ था. उनके पिता का नाम स्वर्गीय अमर सिंह था. उनके पिताजी पेशे से एक सरकारी शिक्षक थे. प्रारंभिक शिक्षा हरदवा के ही सरकारी स्कूल से प्राप्त करने के बाद आरबी सिंह अपनी आगे की पढ़ाई पूरी करने के लिए इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में दाखिला लिया. वहां वह बीएससी मैथमेटिक्स से ग्रेजुएट हुए. जिसके बाद वह सिविल सर्विसेज की परीक्षाओं की तैयार करने लगे. कठिन परिश्रम के बाद सन 1994 में उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग की परीक्षा पास की, जिसके बाद यूपी पीपीएस ज्वाइन किया.

इसके पहले तीन बार जीत चुके हैं प्रेसीडेंशियल अवॉर्ड

वह उत्तर प्रदेश पुलिस सेवा के 91वीं बैच के अधिकारी हैं. उन्हें क्षेत्राधिकारी के रूप में गोंडा में पहली पोस्टिंग मिली. अपने 26 साल के कैरियर में पुलिस के कई विभागों में अपनी सेवाएं दी, जिस दौरान उन्हें तीन बार प्रेसिडेंशल अवार्ड के साथ और कई सम्मानों से नवाजा गया. पहली बार उन्हें उनके उत्कृष्ट कार्यों के लिए सन 2007 में प्रेसीडेंशियल अवॉर्ड पीपीएमजी से नवाजा गया. दूसरी बार सन् 2009 में उन्हें प्रेसीडेंशियल अवॉर्ड पुलिस मेडल फॉर गैलंट्री से नवाजा गया.

आखिरी बार उन्हें सन् 2010 में सराहनीय सेवा मेडल से मिला. इस दौरान उन्होंने गोंडा के एक क्षेत्र अधिकारी से लेकर भदोही के पुलिस अधीक्षक तक का सफर तय किया. जब उन्हें सराहनीय सेवा मेडल प्रदान किया गया, उस समय वह इटावा के एडिशनल एसपी के रूप में तैनात थे. आखिरी बार 2010 में जब उन्हें प्रेसीडेंशियल अवॉर्ड मिला उस समय वह एसटीएफ में डेप्युटी सुपरिटेंडेंट ऑफ पुलिस के तौर पर कार्यरत रहे.

विभाग को की दिया धन्यवाद

पुलिस अधीक्षक भदोही राम बदन सिंह ने सम्मान के लिए अपने विभाग को धन्यवाद ज्ञापित किया. उन्होंने कहा कि अपने किए गए कार्यों को अगर विभाग द्वारा सम्मान दिया जाता है, तो ऐसी स्थिति में हमारी जिम्मेदारी और बढ़ जाती है. पुलिस विभाग ज्वाइन करना ही मेरे लिए गर्व की बात है. मैं अपने विभाग को इसके लिए धन्यवाद कहता हूं. उन्होंने अपनी सारी सफलताओं का श्रेय अपने स्वर्गीय पिता अमर सिंह और अपने परिवार को दिया.

जानिए क्या होते हैं प्रेसीडेंशियल अवॉर्ड

पुलिस विभाग में तैनात अधिकारियों को राष्ट्रपति के द्वारा चार तरीके के पुरस्कार दिए जाते हैं, जिनमें पहला प्रेसीडेंशियल मेडल ऑफ गैलंट्री है. इसके बाद पुलिस मेडल ऑफ गैलंट्री अवार्ड प्रदान किया जाता है. पुलिस के द्वारा किए गए उनके सराहनीय कार्यों के लिए सराहनीय सेवा मेडल भी राष्ट्रपति के द्वारा दिया जाता है. अधिकारियों को राष्ट्रपति के द्वारा जो सबसे सर्वोच्च पुरस्कार दिया जाता है, उसे दीर्घ सराहनीय सेवा मेडल कहते हैं. यह सारे पुरस्कार किसी भी पुलिस कर्मी को प्रतिवर्ष नहीं दिए जा सकते हैं.

पुलिस को उनके अति उत्कृष्ट कार्यों के लिए यह पुरस्कार दिए जाते हैं, जो पुलिस को अन्य अवार्ड भी दिए जाते हैं. उनमें दूसरे स्थान पर डायरेक्टर जनरल कमेंडेशन डिस्क नामक पुरस्कार दिए जाते हैं. इसमें सिल्वर, गोल्ड व प्लैटिनम 3 तरीके के पुरस्कार होते हैं. जो अधिकारियों को उनके कार्यों के लिए दिया जाता है.

प्रेसीडेंशियल मेडलिस्ट और उसके परिजनों को ये फायदे

पुलिस विभाग में मुख्यमंत्री द्वारा भी एक पुरस्कार दिया जाता है. इसका नाम मुख्यमंत्री पदक है. यह पुरस्कार वीरगति को प्राप्त करने वाले पुलिस या उनके अति उत्कृष्ट कार्यो के लिए प्रदान किया जाता है. किसी भी पुलिसकर्मी को अगर प्रेसीडेंशियल अवॉर्ड मिलता है, तो उसे हवाई सेवाओं में 75 परसेंट की छूट दी जाती है. जबकि ट्रेन में एसी सेकंड टीयर में कम्पैनियन के साथ सफर करने की छूट दी जाती है. राज्य सरकार द्वारा परिवहन की बसों में भी उन्हें मुफ्त सेवा दी जाती है. गैलंट्री अवॉर्ड पाने वाले पुलिस कर्मियों के बच्चों को भी सेंट्रल यूनिवर्सिटी में रिजर्वेशन दिया जाता है.

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