भदोही: ज्ञानपुर सीट से विधायक विजय मिश्रा फिर से एक बार पुलिस की गिरफ्त में आ गए हैं. उन्हें एक मामले में 12 दिनों के लिए न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है. हालांकि यह पहली बार नहीं है, जब विजय मिश्रा को न्यायिक हिरासत में लिया गया हो. विजय मिश्रा के खिलाफ आपराधिक आरोपों में 73 मुकदमे दर्ज हैं. विजय मिश्रा इससे पहले भी गिरफ्तार हो चुके हैं. एक बार पुलिस की पकड़ से खुद को बचाने के लिए हेलीकॉप्टर से भागे तो कभी साधु वेश में समर्पण किया था.
हाल ही में गिरफ्तार
उत्तर प्रदेश के बाहुबली नेताओं में शुमार भदोही की ज्ञानपुर सीट से विधायक विजय मिश्रा को बीती 14 अगस्त को एमपी के आगर मालवा से गिरफ्तार किया गया है. पुलिस अधीक्षक राम बदन सिंह ने गिरफ्तारी की पुष्टि की थी. एसपी ने बताया था कि विजय मिश्रा, उनकी पत्नी और बेटे पर उनके एक रिश्तेदार कृष्ण मोहन तिवारी ने मुकदमा दर्ज कराया था.
राजनीति का सफर
प्रयागराज जनपद के सैदाबाद क्षेत्र के खपटीहां गांव में जन्मे विजय मिश्रा ने 1980 में एक पेट्रोल पंप और ट्रक संचालन से अपने कारोबारी जीवन की शुरुआत की थी. पूर्व मुख्यमंत्री पं. कमलापति त्रिपाठी के निर्देश पर पं. श्यामधर मिश्र ने उन्हें राजनीति में लाया. बताया जाता है कि उस समय श्यामधर मिश्र को ऐसा लग रहा था कि ब्राह्मण बाहुल्य जिले में उनकी स्थिति खराब हो रही है. इसी को ध्यान में रखते हुए श्यामधर मिश्र ने बाहुबली विजय मिश्र को भदोही बुलाया और 90 के दशक में विजय मिश्रा को डीघ का ब्लॉक प्रमुख बनाया.
पूर्वांचल के चर्चित मामलों में से एक सांसद गोरखनाथ पांडे के भाई की हत्या में भी विधायक विजय मिश्रा का नाम खूब सुर्खियों में रहा. 2002 में गोपीगंज के घनश्यामपुर गांव में बाई पोल इलेक्शन था, जहां आपसी रंजिश को लेकर गोरखनाथ पांडे के भाई रामेश्वर पांडे की हत्या कर दी गई थी. हालांकि बाद में इसमें भी विजय मिश्रा को बरी कर दिया गया, गोरखनाथ पांडे का परिवार अभी भी हाईकोर्ट में हत्या के मामले की सही तरीके से जांच के लिए अर्जी दे रखा है.
अभी विजय मिश्रा पर चल रहे हैं 16 मुकदमे
विजय मिश्रा का लंबा आपराधिक इतिहास रहा है. विजय मिश्रा के खिलाफ एक समय 60 से ज्यादा आपराधिक मुकदमे दर्ज थे. हालांकि समय के साथ ये कम होते गए. 2017 विधानसभा चुनाव में विजय मिश्रा ने जो शपथपत्र दिया, उसके अनुसार हत्या, हत्या के प्रयास, आपराधिक साजिश रचने जैसे तमाम गंभीर मामलों के 16 मुकदमे उन पर चल रहे हैं.
बता दें कि एक समय था, जब चर्चा होती थी कि विजय मिश्र और मऊ के विधायक मुख्तार अंसारी बहुत करीबी हैं. उस समय विजय मिश्रा ने साबित किया कि वह सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव की छत्रछाया में भदोही जिले की राजनीति तक ही खुद को सीमित कर रखे हैं.
विजय मिश्रा एकला चलो की नीति पर चलते रहे और भदोही जिले के बाहर के रसूखदारों से उनके संबंध कभी खराब नहीं हुए. यह जरूर रहा कि उन्होंने भदोही जिले में किसी और को बादशाहत नहीं कायम करने दी और हमेशा तगड़ी चुनौती दी.
सपा से लगातार 3 बार विधायक
2002 में वह पहली बार ज्ञानपुर सीट से समाजवादी पार्टी के टिकट पर चुनाव जीते और विधानसभा पहुंचे. इसके बाद 2008 और 2012 में भी वह सपा के टिकट पर चुनाव जीते, लेकिन 2017 के विधानसभा चुनाव में सपा के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने विजय मिश्रा को टिकट नहीं दिया, जिसके बाद वह निषाद पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़े. इस चुनाव में बीजेपी की बड़ी लहर के बावजूद विजय मिश्रा चुनाव जीतने में सफल रहे. एमएलसी के चुनाव में जब मिर्ज़ापुर मंडल से बड़े-बड़े बाहुबलियों ने हाथ आजमाया तो उनको हराते हुए विजय मिश्रा ने अपनी पत्नी रामलली को जिताया. विधायक विजय मिश्रा का जैसे-जैसे राजनीति में कद बढ़ता गया, वैसे ही उनका आपराधिक ग्राफ भी ऊपर जाने लगा.
बसपा सरकार में मंत्री नंदी पर जानलेवा हमले का आरोप
काफी समय तक विजय मिश्रा की बसपा सुप्रीमो मायावती से लंबी लड़ाई चली. विजय मिश्रा पर 2010 में तत्कालीन बसपा सरकार में मंत्री नंद कुमार नंदी पर जानलेवा हमला करने का आरोप है. प्रयागराज में नंदी पर बम से हमला किया गया, जिसमें एक सुरक्षाकर्मी और एक पत्रकार मारे गए थे. नंदी इस समय योगी सरकार में मंत्री हैं. घटना के बाद विजय मिश्रा फरार हो गए, 2012 चुनावों से पहले कोर्ट में सरेंडर किया और इसके बाद हुए चुनाव में वह आराम से जीत गए.