संत कबीर नगरः जिले में किसानों के सामने बड़ी समस्या खड़ी हो गई है. फसलों की सिंचाई का समय है लेकिन सिंचाई विभाग की नहरें धोखा दे रही हैं. काफी दिनों से निर्माण कार्य ना होने से किसानों को खेतों तक अब ट्यूबवेल का पानी नहीं पहुंच रहा है. खेतों तक पानी ना पहुंचने से किसान रबी की फसल कि सिंचाई नहीं कर पा रहे हैं. परेशान किसानों ने नहरों को जल्द दुरुस्त कराने की मांग की है.
सैंकड़ों ट्यूबवेल संचालित
आपको बता दें कि संत कबीर नगर में सिंचाई विभाग के सैकड़ों ट्यूबवेल संचालित होते हैं. इन्हीं ट्यूबवेलों के चलते किसानों के खेतों की सिंचाई होती है. सिंचाई विभाग की ओर से समय-समय पर ट्यूबवेलों का रख-रखाव तो किया जा रहा है लेकिन ट्यूबवेल से निकलने वाला पानी नहरों में जाकर खत्म हो जा रहा है. सिंचाई विभाग की ओर से विगत 20 वर्षों से नहरों के रिपेयरिंग का कार्य नहीं कराया गया है. नहरों की रिपेयरिंग ना होने से किसानों के खेतों तक पानी ना पहुंचकर रास्ते में ही बर्बाद हो रहा है. इससे किसान काफी परेशान हैं. किसानों की रबी की फसल में अब सिंचाई की जरूरत है लेकिन नहरें खराब होने के कारण किसान अपने गेहूं, मटर और सरसों की सिंचाई करने के लिए काफी परेशान हैं. किसानों के शिकायत करने के बावजूद भी सिंचाई विभाग के अधिकारी नहरों का निर्माण कार्य नहीं करा रहे हैं. आरोप है कि रिपेयरिंग के लिए आए हुए धन का सिंचाई विभाग के कर्मचारी और अधिकारी बंदरबांट कर रहे हैं.
किसानों का छलका दर्द
ट्यूबवेल से सिंचाई करने वाले किसान रामदेव ने बताया कि ट्यूबवेल ही उनकी सिंचाई का एक सहारा हैं. ट्यूबवेल तो चल रहा है लेकिन नहर पूरी तरीके से जर्जर है. लगभग 20 सालों से इन नहरों में मरम्मत का काम सिंचाई विभाग ने नहीं कराया है. ट्यूबवेल का पानी जब नहरों में जाता है तो खेतों तक पहुंचने से पहले रास्ते में ही गिर जाता है, जिससे उनके खेतों की सिंचाई नहीं हो पा रही है. शिकायत करने के बावजूद भी सिंचाई विभाग के अधिकारी नहर की मरम्मत नहीं करा रहे हैं. इसी तरह, सेमरियावां ब्लाक क्षेत्र के बुद्धा कला गांव के रहने वाले किसान संतोष चौरसिया ने भी बताया कि रबी की फसल की सिंचाई तेजी पर है. नहर खराब होने के कारण उनके खेतों तक पानी नहीं पहुंच रहा है. खेतों में उपजी फसल बर्बाद होने के कगार पर है. पूरे मामले पर जब ईटीवी भारत की टीम ने सिंचाई विभाग के अधिकारियों से बात करने की कोशिश की तो वह कैमरे के सामने बोलने से बचते हुए नजर आए. अब सवाल ये उठता है कि किसानों के नहरों की समस्या का समाधान जिला प्रशासन कब तक करेगा.