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संतकबीर नगर: पुल न बनने से ग्रामीण नाराज, करेंगे चुनाव का बहिष्कार

संतकबीर नगर के गांव असनहरा में ग्रामीणों ने पुल न बनने के कारण चुनाव के दौरान मतदान न करने का फैसला लिया है. ग्रामीणों का कहना है कि हर चुनाव में इस पुल को चुनावी मुद्दा बनाया जाता है, लेकिन आजतक यह पुल नहीं बन सका है.

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Published : Mar 28, 2019, 7:23 PM IST

Updated : Sep 10, 2020, 12:22 PM IST

ग्रामीण करेंगे चुनाव का बहिष्कार.

संतकबीरनगर: जिले में एक ऐसा बांस का पुल है जो हर बार लोकसभा और विधानसभा के चुनाव में मुद्दा बनता है, लेकिन ये पुल सिर्फ वादों का पुल बनकर रह गया है और यहां के ग्रामीण आज भी बांस के पुल के सहारे यात्रा करने पर मजबूर हैं. इसको लेकर अब यहां के ग्रामीण एक बार फिर लोकसभा चुनाव में इस पुल को मुद्दा बनाते हुए बीजेपी को वोट न देनी की ठान ली है.

ग्रामीण करेंगे चुनाव का बहिष्कार.

ग्रामीणों का कहना है कि बीजेपी के लोगों ने विधानसभा चुनाव में इस पुल को मुद्दा बनाते हुए ग्रामीणों का वोट लेकर चलते बने, लेकिन जीतने के बाद यहां के सांसद और विधायक इस पुल को भूल गए. इसको लेकर ग्रामीणों में आक्रोश है. वहीं इस बार लोकसभा चुनाव का तो बहिष्कार करेंगे ही. साथ ही भाजपा के उम्मीदवारों को पूरे पूर्वांचल में पूरी तरह से हराने का काम करेंगे.

मामला जिले के सेमरियावां ब्लाक में स्थित असनहरा गांव का है. ग्रामीण आजादी के कई साल बीत जाने के बाद भी बांस के पुल के सहारे अपनी यात्रा करते हैं. नदी पर बना बांस का पुल हर बार चुनाव का मुद्दा बनता है. पुल की मांग को लेकर ग्रामीणों ने कई बार जल सत्याग्रह करते हुए आंदोलन भी किया. आंदोलन के दौरान एक व्यक्ति की मौत भी हो गई थी. ग्रामीणों का आंदोलन देख कैबिनेट मंत्री समेत कई पार्टी के नेता और अधिकारियों ने ग्रामीणों को पुल बनाने का आश्वासन दिया था, लेकिन यह आश्वासन सिर्फ हवा-हवाई ही साबित हुआ.

संतकबीरनगर: जिले में एक ऐसा बांस का पुल है जो हर बार लोकसभा और विधानसभा के चुनाव में मुद्दा बनता है, लेकिन ये पुल सिर्फ वादों का पुल बनकर रह गया है और यहां के ग्रामीण आज भी बांस के पुल के सहारे यात्रा करने पर मजबूर हैं. इसको लेकर अब यहां के ग्रामीण एक बार फिर लोकसभा चुनाव में इस पुल को मुद्दा बनाते हुए बीजेपी को वोट न देनी की ठान ली है.

ग्रामीण करेंगे चुनाव का बहिष्कार.

ग्रामीणों का कहना है कि बीजेपी के लोगों ने विधानसभा चुनाव में इस पुल को मुद्दा बनाते हुए ग्रामीणों का वोट लेकर चलते बने, लेकिन जीतने के बाद यहां के सांसद और विधायक इस पुल को भूल गए. इसको लेकर ग्रामीणों में आक्रोश है. वहीं इस बार लोकसभा चुनाव का तो बहिष्कार करेंगे ही. साथ ही भाजपा के उम्मीदवारों को पूरे पूर्वांचल में पूरी तरह से हराने का काम करेंगे.

मामला जिले के सेमरियावां ब्लाक में स्थित असनहरा गांव का है. ग्रामीण आजादी के कई साल बीत जाने के बाद भी बांस के पुल के सहारे अपनी यात्रा करते हैं. नदी पर बना बांस का पुल हर बार चुनाव का मुद्दा बनता है. पुल की मांग को लेकर ग्रामीणों ने कई बार जल सत्याग्रह करते हुए आंदोलन भी किया. आंदोलन के दौरान एक व्यक्ति की मौत भी हो गई थी. ग्रामीणों का आंदोलन देख कैबिनेट मंत्री समेत कई पार्टी के नेता और अधिकारियों ने ग्रामीणों को पुल बनाने का आश्वासन दिया था, लेकिन यह आश्वासन सिर्फ हवा-हवाई ही साबित हुआ.

Intro:संतकबीरनगर| वादों का पुल असनहरा जो हर चुनाव में बनता है मुद्दा


Body:एंकर- यूपी के संत कबीर नगर जिले का एक ऐसा बांस का पुल जो हर लोकसभा और विधानसभा के चुनाव में मुद्दा बनता है लेकिन यह पुल सिर्फ वादों का पुल बनकर रह गया है और यहा के ग्रामीण आज भी बॉस के पुल के सहारे यात्रा करने पर मजबूर है जिसको लेकर अब यह के ग्रामीण एक बार फिर लोकसभा चुनाव में इस पुल को मुद्दा बनाते हुए बीजेपी को वोट ना देनी की ठान ली है ग्रामीणों का कहना है बीजेपी के लोगो ने विधानसभा चुनाव में इस पुल को मुद्दा बनाते हुए ग्रामीणों का वोट लेकर चलते बने लेकिन जीतने के बाद यहा के सांसद और विधायक इस पुल को भूल गए जिसको लेकर ग्रामीणों में आक्रोश है और वही हु इस बार लोकसभा चुनाव में चुनाव का तो बहिष्कार करेंगे लेकिन भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार को पूरी तरह से हराने का काम करेंगे. आपको बता दें कि पूरा मामला संत कबीर नगर जिले के सेमरियावां ब्लॉक में स्थित असनहरा गांव का है जहां के ग्रामीण आजादी के कई साल बीत जाने के बाद भी बॉस के पुल के सहारे अपनी यात्रा करते हैं कठिन है या नदी में बनाया बास का पुल हर बार चुनाव का मुद्दा बनता है प्रत्याशी इस गांव में वोट मांगने के लिए आते हैं और पुल बनवाने का आश्वासन ही देते हैं लेकिन यह आश्वासन हवा हवाई साबित होते हैं पुल की मांग को लेकर ग्रामीणों ने कई बार जल सत्याग्रह करते हुए आंदोलन भी किया आंदोलन के दौरान एक व्यक्ति की मौत भी हो गई ग्रामीणों का आंदोलन देख कैबिनेट मंत्री सहित कई पार्टी के नेता और अधिकारी पहुंचे लोगों ने ग्रामीणों को पुल बनाने का आश्वासन देते हुए धरने को समाप्त करें लेकिन यह आश्वासन सिर्फ हवा हवाई थी जिसके कारण आज भी यहां के ग्रामीण और उनके नौनिहाल बच्चे मौत के स्कूल से यात्रा करने पर मजबूर है जिसको लेकर आगामी लोकसभा चुनाव में यहां के ग्रामीणों ने पुल को मुद्दा बनाते हुए लोकसभा चुनाव का बहिष्कार का मन बनाया है वहीं भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार को आगामी लोकसभा चुनाव में हराने की बात कर रहे हैं .


Conclusion:बाइट-शैलेश राजभर ग्रामीण

बाइट-सुरेमन राजभर ग्रामीण
Last Updated : Sep 10, 2020, 12:22 PM IST
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