संतकबीरनगर: जिले में एक ऐसा बांस का पुल है जो हर बार लोकसभा और विधानसभा के चुनाव में मुद्दा बनता है, लेकिन ये पुल सिर्फ वादों का पुल बनकर रह गया है और यहां के ग्रामीण आज भी बांस के पुल के सहारे यात्रा करने पर मजबूर हैं. इसको लेकर अब यहां के ग्रामीण एक बार फिर लोकसभा चुनाव में इस पुल को मुद्दा बनाते हुए बीजेपी को वोट न देनी की ठान ली है.
ग्रामीणों का कहना है कि बीजेपी के लोगों ने विधानसभा चुनाव में इस पुल को मुद्दा बनाते हुए ग्रामीणों का वोट लेकर चलते बने, लेकिन जीतने के बाद यहां के सांसद और विधायक इस पुल को भूल गए. इसको लेकर ग्रामीणों में आक्रोश है. वहीं इस बार लोकसभा चुनाव का तो बहिष्कार करेंगे ही. साथ ही भाजपा के उम्मीदवारों को पूरे पूर्वांचल में पूरी तरह से हराने का काम करेंगे.
मामला जिले के सेमरियावां ब्लाक में स्थित असनहरा गांव का है. ग्रामीण आजादी के कई साल बीत जाने के बाद भी बांस के पुल के सहारे अपनी यात्रा करते हैं. नदी पर बना बांस का पुल हर बार चुनाव का मुद्दा बनता है. पुल की मांग को लेकर ग्रामीणों ने कई बार जल सत्याग्रह करते हुए आंदोलन भी किया. आंदोलन के दौरान एक व्यक्ति की मौत भी हो गई थी. ग्रामीणों का आंदोलन देख कैबिनेट मंत्री समेत कई पार्टी के नेता और अधिकारियों ने ग्रामीणों को पुल बनाने का आश्वासन दिया था, लेकिन यह आश्वासन सिर्फ हवा-हवाई ही साबित हुआ.